विजय कुमार गुप्ता, महराजगंज: महराजगंज जिले की पांच विधानसभा सीट में फरेंदा विधानसभा इस समय चर्चा में है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की प्रदेश संयोजिका ईशू चौरसिया विधानसभा चुनाव 2022 (UP Chunav 2022) में बीजेपी (BJP) को छोड़ बसपा (BSP) से चुनावी मैदान में हैं। बीजेपी ने इस बार उनको टिकट नहीं दिया तो उन्होंने बसपा को जॉइन कर लिया। अब इस विधानसभा में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है क्योंकि विधानसभा चुनाव 2017 में बीजेपी से बजरंग बहादुर सिंह ने कांग्रेस के वीरेंद्र चौधरी को सिर्फ 1.18 प्रतिशत मार्जिन से हराया था। तीसरे स्थान पर बसपा से वेचान थे।
इस बार भी चुनावी मैदान में बीजेपी से तीन बार के विधायक बजरंग बहादुर सिंह हैं तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस से वीरेंद्र चौधरी। ईशू चौरसिया बसपा से चुनाव लड़ रही हैं। सामाजिक समीकरणों की बात करें तो इस विधानसभा में हर जाति वर्ग के लोग रहते हैं। इस क्षेत्र में करीब साढ़े तीन लाख मतदाता हैं। जिसमें अधिकतम अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व मुस्लिम मतदाता हैं। निषाद, ब्राह्मण, कुर्मी और और पिछड़ी जाति के मतदाताओं की भी अच्छी तादात में हैं। इस विधानसभा की आवाम ने हमेशा से बसपा को नकारा है। लेकिन बीजेपी को छोड़ बसपा में शामिल होकर चुनाव लड़ रहीं ईशू चौरसिया की वजह से इस बार बसपा ने भी फाइट में मजबूती से ताल ठोक दिया है। 3 मार्च को महराजगंज में छठे चरण में मतदान होना है, इसके लिए ईशू चौरसिया पूरे दमखम के साथ क्षेत्र में प्रचार प्रसार में जुटी हुई हैं।
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इशू चौरसिया फरेन्दा विधानसभा के परसाबेनी ग्राम सभा की निवासी है। इनका जन्म 7 अप्रैल 1991 को लखीमपुर जिले में हुआ। इन्होंने इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। इनके पति पंकज वर्मा सरकारी कर्मचारी हैं।
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एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में उन्होंने बताया कि राजनीति में आने का कारण राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना, समाज के सभी वर्गों के लिए समान भाव से कार्य करना, जाति और धर्म की राजनीति से आगे बढ़कर एक स्वच्छ लोकतंत्र की स्थापना करना है। उन्होंने आगे कहा कि उनका मानना है कि सत्ता हासिल करने के बाद जनता की भावनाएं, नेताओं के लिए कोई महत्व नहीं रखती हैं। इसके कारण समाज भी पिछड़ता जा रहा है। मुझे इस समाज के लिए जीना है, इसके कारण युवाओं को इसके प्रति ध्यान देना बेहद जरूरी हो गया है और यही कारण है मुझे राजनीति में कदम रखना पड़ा क्योंकि स्वच्छ लोकतंत्र की जो परिभाषा बाबा साहेब ने दी है, उसको पूरा करने के लिए हर युवा को आगे आना पड़ेगा।
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ईशू चौरसिया ने बताया कि ‘विजन फ़ॉर फरेन्दा’ नए उद्योग को लाकर रोजग़ार के नये अवसर बढ़ाना है, जिससे लोगों का पलायन रुके और लोग अपने घर पर परिवार के बीच मे रहकर अपना जीवकोपार्जन करें। शिक्षा के स्तर को बढ़ाना, खेल की नई प्रतिभाएं बाहर आएं, इसके लिए ब्लॉक स्तर पर मिनी स्टेडियम, स्वास्थ्य के स्तर को बढ़ाने के लिए ग्राम सभा स्तर पर मिनी स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना कराना जैसे कई ऐतिहासक कार्य कर फरेन्दा को एक आदर्श विधानसभा बनाना है।
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करोड़ों की मालिक हैं ईशू चौरसिया
विधानसभा चुनाव के लिए फरेंदा से बसपा प्रत्याशी ईशू चौरसिया ने बुधवार को नामांकन दाखिल किया। दाखिल किए गए शपथ पत्र में इन्होंने घोषित किया है कि उनके पास दो लक्जरी गाड़ी, चार सौ ग्राम सोना, जिसकी कीमत साढ़े अठारह लाख रुपये है। इनके नाम से गोरखपुर व लखीमपुर के कई बैंकों की शाखाओं में 33.96 लाख रुपये जमा है। इनके नाम से 50 लाख 49 हजार रुपये का ऋण भी है। इन्होंने 38 लाख रुपये का निवेश भी किया है। ईशू चौरसिया के पति पंकज वर्मा सरकारी नौकरी में हैं।
ईशू चौरसिया फरेंदा विधानसभा के परसाबेनी गांव की रहने वाली हैं। ईशू चौरसिया आईसीएससी बोर्ड से 2007 में हाईस्कूल पास की हैं। 2012 में मेरठ से इलेक्ट्रॉनिक में डिप्लोमा करने के बाद 2016 में इन्होंने यूपी बोर्ड से 12वीं की पढ़ाई की है। ईशू चौरसिया व्यापार में भी काफी सक्रिय हैं, इन्होंने गोरखपुर और बस्ती में लैकमे सलून भी खोल रखा है।
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फरेंदा विधानसभा(315) की राजनीतिक पृष्ठभूमि
फरेंदा विधानसभा की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो सबसे अधिक पांच बार इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। 1952 से लेकर 1967 तक कांग्रेस के गौरी गुप्ता को इस क्षेत्र की जनता ने अपना प्रतिनिधि चुना। 1969 के चुनाव में महिला उम्मीदवार पियारी देवी ने निर्दलीय चुनाव जीता। 1974 में सीपीआई के लक्ष्मी नारायण पांडेय ने प्रतिनिधित्व किया। 1977 में सीपीआई व 1980 में आईएनडीसी के टिकट पर श्याम नारायण तिवारी ने जीत दर्ज की। उसके बाद 1985 में जनता पार्टी से हर्षवर्धन ने जीत दर्ज किया था। 1989 व 1991 में श्याम नारायण तिवारी निर्वाचित हुए। 1993 में राम लहर में बीजेपी ने शिवेंद्र चौधरी को टिकट दिया, जहां शिवेंद्र चौधरी ने सीपीआई के विनोद तिवारी को हराकर पहली बार फरेंदा विधानसभा से कमल का फूल खिलाया।
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1996 के चुनाव में सीपीएम व सपा समर्थित विनोद तिवारी ने चुनाव जीता। 2002 में कांग्रेस के श्याम नारायण तिवारी ने एक बार फिर निर्वाचित हुए। 2007 व 2012 में बीजेपी से बजरंग बहादुर सिंह को लोगों ने जिताया। लेकिन 2012 विधानसभा चुनाव के बाद फरेंदा विधानसभा उस समय सूबे में सुर्खियों में आ गयी जब तत्कालीन विधायक बजरंग बहादुर सिंह को लोकायुक्त की जांच में अपनी सदस्यता गवानी पड़ी। 2015 में उपचुनाव हुआ और जनता ने सपा के विनोद मणि को जिताया। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बजरंग बहादुर सिंह पर फिर से भरोसा जताया। इस चुनाव में जबरदस्त लड़ाई में बजरंग बहादुर ने कांग्रेस के वीरेंद्र चौधरी को हराकर तीसरी बार विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे।
UP Chunav Latest Update: कौन हैं ईशू चौरसिया, जिन पर दांव लगाकर महराजगंज की फरेंदा सीट पर पहली बार फाइट में आई बसपा
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