सहारनपुर: जमीयत उलेमा हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) ने वर्ष 2009 में गुजरात के अहमदाबाद और सूरत में हुए बम धमाकों के मामलों में 13 साल बाद 28 मुस्लिम युवकों के बरी होने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा है कि पुलिस की सुस्त कार्रवाई के कारण अदालतों का फैसला आने में बरसों लग जाते हैं। इंसाफ मिलने में देरी का खामियाजा बेकसूर लोगों को भुगतना पड़ता है।
ये था मामला
साल 2009 में गुजरात के अहमदाबाद और सूरत में बम ब्लास्ट हुए थे। इस मामले में पुलिस ने दर्जनों मुस्लिम युवकों को पकड़ा था। 2009 से बम धमाकों का मामला अदालत में चल रहा था। केस की सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने इस मामले में 28 लोगों को निर्दोष मानते हुए बरी कर दिया है। जमीअत उलेमा हिंद द्वारा मुस्लिम युवकों की पैरवी की जा रही थी। जमीअत उलेमा हिंद ही मुकदमे का खर्च उठा रही थी। 28 लोगों को बरी होने के बाद मौलाना अरशद मदनी ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
मामलों के निस्तारण को निर्धारित हो समय सीमा
मौलाना अरशद मदनी ने बयान जारी कर कहा कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन बेगुनाहों के 13 साल के कीमती जीवन के हुए नुकसान की भरपाई कौन करेगा। बेगुनाह लोगों के जेल में रहने के लिए लिए कौन जिम्मेदार है?
उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलों का एक निश्चित समयावधि में निर्णय क्यों नहीं किया जाता? मौलाना मदनी ने कहा कि 28 लोगों का बरी होना इस बात का सबूत है कि पक्षपाती जांच एजेंसियां और अधिकारी निर्दोष मुस्लिमों का भविष्य फर्जी आतंकवाद के आरोप में फंसाकर बर्बाद कर रहे हैं।
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