मेरठ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) में उम्मीदवारों की धड़कनें अब बढ़ने लगी हैं। इसका कारण है मतदाताओं की चुप्पी। विपक्षी दल हमलावर हैं। वोटर चुप हैं। ऐसे में उम्मीदवारों के सामने सबसे बड़ी समस्या आगे की रणनीति तैयार करने की है। सभी उम्मीदवारों को वोटर जीत का भरोसा दे रहे हैं। ऐसी ही एक सीट है पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले की थानाभवन विधानसभा सीट। शुगर बाउली के नाम से प्रसिद्ध इस क्षेत्र में गन्ना मंत्री सुरेश राणा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। जीत की हैट्रिक लगा पाते हैं या नहीं, यह सबसे बड़ा सवाल बनकर सामने आ गया है।
हरियाणा से सटे यूपी के मुजफ्फरनगर और सहारनपुर जिले की सीमा पर यह विधानसभा सीट आता है। वर्ष 2012 से पहले थानाभवन मुजफ्फरनगर जिले का हिस्सा हुआ करता था। यह सीट कैराना लोकसभा क्षेत्र में आती हैं। थानाभवन विधानसभा क्षेत्र में पहला चुनाव परिसीमन का आदेश 1967 के बाद 1974 में हुआ था। यहां गन्ना मुद्दा हमेशा से चुनाव को इफैक्ट करता रहा हैं। किसान आंदोलन को लेकर यहां दिख रही तपिश और गन्ना मुद्दा मुखर हैं। बीजेपी ने यहां 2012 और 2017 में मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान सर्खियों मे आए सुरेश राणा को उतारा था। सुरेश राणा की बदौलत जीत का इतिहास कमल ने लिखा था। जिसके बाद शुगर बाउल में जीत दिलाने वाले राणा का गन्ना मंत्री भी योगी सरकार में बनाया गया, लेकिन अब सवाल कई है कि क्या इस बार भी भाजपा जीत का रेकॉर्ड बनाएगी। गन्ना मंत्री जीत से भाजपा का मुंह मीठा करा पाएंगे। वह हैट्रिक लगा पाएंगे।
विपक्ष का चक्रव्यूह भेदना आसान नहीं
सुरेश राणा को कमल खिलाने और हैट्रिक लगाने से रोकने के लिए इस बार विपक्ष तैयार हैं। उसने चक्रव्यूह बनाया हैं। अभी तक सपा और आरएलडी अलग अलग लड़ते थे। इस बार दोनों साथ हैं। इससे बहुत कम अंतर से जीतने वाली बीजेपी के सामने मुश्किल खड़ी हो सकती हैं। आप ने जाट नेता और कांग्रेस से सैनी के कैंडिडट हैं। पहले चुनाव में बीजेपी का साथ देने वाले जाट और सैनी के इस बार अपने सजातीय कैंडिडेट के पक्ष में जाने का खतरा भी बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता हैं। वर्ष 2012 में तो बीजेपी के सुरेश राणा सिर्फ 265 वोट से जीते थे। 2017 में जरूर उन्होंने 16,000 वोटों से जीत दर्ज की थी। इस बार इस गन्ना बेल्ट के किसान सरकार से नाखुशी जता रहे है। उनको मनाने की तमाम कवायद बीजेपी और सुरेश राणा कर रहे हैं।
शेर सिंह राणा भी पैदा कर रह मुश्किल
शेर सिंह राणा वैसे तो समाजवादी पार्टी के नेता है। ब्लाक प्रमुख भी रहे हैं और सुरेश राणा के धुर विरोधी हैं। ठाकुरों में अपना अच्छा खासा वर्चस्व है, जिसके चलते सुरेश राणा को टक्कर देने के लिए और ठाकुरों के वोट काटने के लिए शेर सिंह राणा निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं। मुस्लिम बहुल थानाभवन सीट पर इस बार बीजेपी और सपा आरएलडी गठबंधन में मुकाबले के आसार हैं। हालांकि, कई अहम फैक्टर भी विधानसभा सीट पर काम करता दिख रहा है।
गन्ना किसानों के भुगतान का भी मुद्दा अहम
किसान संगठन और विपक्ष हमेशा सरकार और गन्ना मंत्री को गन्ना मूल्य बढ़ोत्तरी और बकाया गन्ना भुगतान पर घेरते रहे हैं। गन्ना मंत्री सुरेश राणा के जिले शामली की चीनी मिलों पर ही करोड़ों का बकाया हैं। शामली जिले के थाना भवन का 170 करोड़, शामली का 130 करोड़ और ऊन का 113 करोड़ रुपये बकाया हैं। चुनाव में कैराना पलायन, दंगा के साथ गन्ना बकाया भी मुद्दा बन रहा हैं। सवाल यह उठाया जा रहा है कि गन्ना मंत्री अपने ही क्षेत्र के किसानों का भुगतान कराने में सफल नहीं हुए।
राणा ने बनाया है रिकॉर्ड
2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर इतिहास रचा गया था। बीजेपी के प्रत्याशी सुरेश राणा को लगातार दूसरी बार जीत मिली। इस सीट के इतिहास को देखें तो यहां पर कोई भी दो बार विधायक नहीं रहा है। लेकिन सुरेश राणा ने 2012 में जीतने के बाद 2017 में भी जीत दर्ज कर इस परंपरा की तोड़ दिया था। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनावों में सुरेश राणा की जीत का अंतर बहुत कम था। उन्होंने लोकदल के अशरफ अली को सिर्फ 265 वोटों के अंतर से हराया था। जातिगत समीकरण के चलते इस सीट पर मुस्लिम, वैश्य, सैनी, कश्यप, एमएलए चुने जा चुके हैं। इसलिए हर बार यहां जातिगत आधार पर टिकट दिए जाते हैं। इस बार भी सियासी दलों ने इसी आधार पर कैंडिडेट मैदान में उतरे हैं।
2017 में चुनाव का रिजल्ट
उम्मीदवार – पार्टी – कुल वोट
सुरेश राणा – भाजपा – 90995
अब्दुल वारिस खान – बसपा – 74178
जावेद राव – रालोद – 31275
सुधीर पंवार – सपा – 13480
सीट से बने विधायक
वर्ष – राजनीतिक दल – विधायक का नाम
1969 – भारतीय क्रांति दल – राव रफी खान
1974 – कांग्रेस – मलखान सिंह
1977 – जनता पार्टी – मूलचंद
1980 – कांग्रेस – सोमांश प्रकाश
1985 – लोकदल – अमीर आलम
1989 – कांग्रेस – नकली सिंह
1991 – जनता दल – सोमांश प्रकाश
1993 – बीजेपी- जगत सिंह
1996 – सपा – अमीर आलम
2000 – सपा – जगत सिंह (उपचुनाव)
2002- सपा – किरण पाल
2007 – आरएलडी – अब्दुल वारिस खान
2012 – भाजपा – सुरेश राणा
2017 – भाजपा – सुरेश राणा
यूपी चुनाव 2022 में प्रमुख कैंडिडेट
सुरेश राणा : भाजपाअशरफ अली खान : आरएलडी सपा गठबंधनजहीर मलिक : बसपासत्य संयम सैनी : कांग्रेसअरविंद देशपाल : आपवोटरों का गणित
कुल वोटर – 3,25.539पुरुष – 177118महिला – 148 372विधानसभा सीट का जातीय गणित
मुस्लिम : 97,500दलित : 60,000जाट : 42,000सैनी : 35.000कश्यप : 30000राजपूत : 22000ब्राह्मण : 14000वैश्य : 10000
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