सार
1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी नए कलेवर में चुनाव मैदान में उतरी थी। कांग्रेस ने जिले की न सिर्फ तीनों सीटों पर जीत दर्ज की बल्कि पार्टी का मतदान प्रतिशत भी बढ़ा था।
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कासगंज में 1980 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए बेहद उत्साहपूर्ण रहा। जिले की सियासत में बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस के लिए इस चुनाव में नई संजीवनी मिल गई। जनता पार्टी के कुनबे में बिखराव का कांग्रेस को काफी लाभ मिला। इस चुनाव में इंदिरा गांधी की लहर चली। दूसरे विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने इस चुनाव में क्लीन स्वीप किया।
1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी नए कलेवर में चुनाव मैदान में उतरी। कांग्रेस का नाम बदल कर कांग्रेस-आई हो गया और चुनाव चिह्न गाय बछड़ा के स्थान पर हाथ का पंजा हो गया। इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली इस कांग्रेस को जिले की जनता ने हाथों हाथ लिया। इस चुनाव में पार्टी के वोट प्रतिशत में भी काफी इजाफा हुआ।
कांग्रेस को 39.80 प्रतिशत तक वोट मिले थे
पार्टी ने तीनों सीटों पर 33.43 प्रतिशत से लेकर 39.80 प्रतिशत तक वोट प्राप्त किए। कांग्रेस ने इस चुनाव में पटियाली विधानसभा से 1977 के चुनाव में दूसरे स्थान पर रहने वाले मलिक मुहम्मद को चुनाव मैदान में उतारा। जबकि जनता पार्टी से चुनाव जीतने वाले जसवीर सिंह लोकदल से चुनाव मैदान में उतरे। कांग्रेस प्रत्याशी ने 24702 वोट पाकर जीत हासिल कर ली। जबकि लोकदल प्रत्याशी 18505 वोट पा सके।
सोरों विधानसभा में कांग्रेस ने महिला प्रत्याशी उर्मिला अग्निहोत्री पर दांव लगाया। उनका मुकाबला निर्दलीय प्रत्याशी ओमकार सिंह से हुआ। कांग्रेस प्रत्याशी ने 19489 वोट पाकर चुनाव जीत लिया। जबकि निर्दलीय प्रत्याशी ओमकार 13112 वोट पाकर उप विजेता बने।
कासगंज विधानसभा में कांग्रेस ने पूर्व विधायक मानपाल सिंह पर दाव अजमाया। जबकि 1977 में जनता पार्टी से विधायक रहे नेत्रराम सिंह भाजपा के बैनर तले चुनाव मैदान में उतरे। कांग्रेस प्रत्याशी ने 26971 प्रतिशत वोट प्राप्त कर जीत हांसिल कर ली। भाजपा प्रत्याशी 12245 वोट ही प्राप्त कर सके।
भाजपा नहीं खिला सकी कमल
जनता पार्टी के बिखराव के बाद जनसंघ धड़ा ने भाजपा के नाम से अपना नया संगठन खड़ा किया। पार्टी ने तीनों सीटों पर अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे। कासगंज से चुनाव मैदान में उतरने वाले नेतराम ही दूसरे स्थान पर रहे। जबकि सोरों से चुनाव लड़ने वाले हीरश लाल व पटियाली से चुनाव लड़ने वाले गैंदालाल का तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा।
जनता पार्टी चार नामों से चुनाव मैदान में उतरी
विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी चार नामों से चुनाव मैदान में उतरी। जनता पाटी, जनता पार्टी एससी, जनता पार्टी एसआर, जनता पार्टी जेपी। चारों ही जनता पार्टी का इस चुनाव में बुरा हश्र हुआ। इनमें से किसी भी संगठन का प्रत्याशी दूसरे स्थान भी नहीं पा सका।
36 प्रत्याशी उतरे चुनाव मैदान में
विधानसभा चुनाव में 36 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई। जिनमें 18 निर्दलीय प्रत्याशी शामिल रहे। सबसे अधिक 13 प्रत्याशी सोरों से चुनाव मैदान में रहे। जबकि कासगंज से 12 एवं पटियाली से 11 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत अजमाई।
विस्तार
कासगंज में 1980 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए बेहद उत्साहपूर्ण रहा। जिले की सियासत में बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस के लिए इस चुनाव में नई संजीवनी मिल गई। जनता पार्टी के कुनबे में बिखराव का कांग्रेस को काफी लाभ मिला। इस चुनाव में इंदिरा गांधी की लहर चली। दूसरे विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने इस चुनाव में क्लीन स्वीप किया।
1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी नए कलेवर में चुनाव मैदान में उतरी। कांग्रेस का नाम बदल कर कांग्रेस-आई हो गया और चुनाव चिह्न गाय बछड़ा के स्थान पर हाथ का पंजा हो गया। इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली इस कांग्रेस को जिले की जनता ने हाथों हाथ लिया। इस चुनाव में पार्टी के वोट प्रतिशत में भी काफी इजाफा हुआ।
कांग्रेस को 39.80 प्रतिशत तक वोट मिले थे
पार्टी ने तीनों सीटों पर 33.43 प्रतिशत से लेकर 39.80 प्रतिशत तक वोट प्राप्त किए। कांग्रेस ने इस चुनाव में पटियाली विधानसभा से 1977 के चुनाव में दूसरे स्थान पर रहने वाले मलिक मुहम्मद को चुनाव मैदान में उतारा। जबकि जनता पार्टी से चुनाव जीतने वाले जसवीर सिंह लोकदल से चुनाव मैदान में उतरे। कांग्रेस प्रत्याशी ने 24702 वोट पाकर जीत हासिल कर ली। जबकि लोकदल प्रत्याशी 18505 वोट पा सके।
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