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UP Election: वेस्ट यूपी जीतने के लिए बीजेपी का नौ मंत्रियों वाला मास्टर प्लान, इनके काम से लेकर संपत्ति का ब्यौरा

मेरठ: वेस्ट यूपी (West UP) में पहले चरण के चुनावी रण में योगी (Yogi Adityanath) के नौ वजीरों (मंत्रियों) पर कमल खिलाने की चुनौती रहेगी। बतौर कैंडिडेट जीत दर्ज कर उनको सियासी चक्रव्यूह भेदना होगा। हालांकि बदले हालात में इस बार चुनाव चक्रव्यूह तोड़ना उनके लिए आसान नहीं होगा, अग्निपरीक्षा से गुजरना ही होगा। दरअसल, वेस्ट यूपी के 11 जिलों (मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, हापुड़, बुलंदशहर, गाजियाबाद, गौतबुद्धनगर,मथुरा, आगरा, अलीगढ़) की 58 सीटों पर पहले चरण में 10 फरवरी को मतदान है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा (UP Election BJP) का इस सीटों पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा था। इन 58 में से 53 सीटों पर कमल खिला था।

बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी को दो-दो और राष्ट्रीय लोकदल को एक सीट मिली थी। इस बार सपा और आरएलडी गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं। वेस्ट यूपी की सियासी उर्वरा भूमि में 53 सीटों पर कमल खिलाने वाले विधायकों में से बतौर तोहफा बीजेपी ने नौ को मंत्री पद सौंप दिया था। फिलहाल बीजेपी के नौ मंत्री सुरेश राणा, कपिल देव अग्रवाल, दिनेश खटीक, अतुल गर्ग, अनिल शर्मा, जीएस धर्मेश, श्रीकांत शर्मा,लक्ष्मी नारायण चौधरी और पूर्व सीएम कल्याण सिंह के पौत्र संदीप सिंह को फिर से कैंडिडेट बनाया है। ऐसे में सभी मंत्रियों को चुनावी चक्रव्यूह भेद के लिए किसी अग्नि परीक्षा देने से कम नहीं होगा।

किसान आंदोलन के बाद दिख रही नाराजगी
वेस्ट यूपी में 2014, 2017, 2019 के चुनाव में भाजपा का साथ देने वाले जाट मतदाताओं में किसान आंदोलन के कारण इस बार सत्तारूढ़ दल से नाराजगी साफ दिख रही हैं। बीजेपी यहां दंगा, पलायन, गुंडाराज, मंदिर-मस्जिद, पाकिस्तान और जिन्ना को फिर से हवा देकर माहौल पक्ष में करने की कोशिश में हैं। लेकिन सपा-रालोद गठबंधन की तरफ से भाजपा बनाम भाईचारा का नारा दिया जा रहा हैं। महंगाई, बेरोजगारी और गन्ना किसानों के मुद्दों को उठाया जा रहा हैं। साथ ही किसान 2022 तक अपनी आय दोगुनी करने, आवारा और छुट्टे पशु के फसलों को बर्बादी रोकने का वादा पूरा नहीं होने, महंगी बिजली होने और पुराने ट्रैक्टर नहीं चलने देने आदि को लेकर मंत्रियों की मुश्किल बढ़ा रहा हैं। गठबंधन खेती के लिए मुफ्त बिजली का वादा कर भी परेशानी को बढ़ा रहे हैं। खुद के क्षेत्र में मांग के मुताबिक विकास नहीं करा पाने को भी इस बार वोटर मंत्रियों के सामने नाराजगी जता रहे हैं।

कौन हैं ये मंत्री, कितनी संपत्ति के मालिक
1. सुरेश राणा – शामली जिले की थाना भवन सीट से विधायक चुने गए। सुरेश राणा वर्तमान में गन्ना मंत्री हैं। राणा के पास 78 लाख रुपये चल और अचल संपत्ति है, 2017 में यह केवल 39 लाख थी।

2. अनिल शर्मा – बुलंदशहर की शिकारपुर सीट से विधायक बने थे। अब कैंडिडेट हैं। वन और पर्यावरण मंत्री हैं। 2017 में अपनी सालाना आय 38.71 लाख दिखाई थी। 2022 में यह घटकर 25.02 लाख रह गई।

3. दिनेश खटीक – मेरठ की हस्तिनापुर सीट से विधायक बने। बाढ़ नियंत्रण राज्यमंत्री मंत्री हैं। अब कैंडिडेट हैं। उनके के पास अभी कुल 2.05 करोड़ की चल और अचल संपत्ति है। 2017 में 1.54 करोड़ की संपत्ति थी।

4. कपिल देव अग्रवाल – मुजफ्फरनगर सदर से विधायक बने थे। कौशल विकास के मंत्री बने। अब कैंडिडेट हैं। 2017 वार्षिक आय में 5.57 लाख थी जो 2022 में बढ़कर 15.24 लाख हो गई।

5. अतुल गर्ग – गाजियाबाद सीट से विधायक बने। स्वास्थ्य राज्य मंत्री बने। कैंडिडेट हैं। 2017 में सालाना आय 47.17 लाख थी, जो 2022 में घटकर 16.11 लाख रह गई। वह सोने और हीरे आदि के शौकीन हैं।

6. श्रीकांत शर्मा – मथुरा से विधायक हैं। ऊर्जा मंत्री हैं। कैंडिडेट हैं। उनकी संपत्ति में पांच साल में करीब 18 लाख बढ़ी है। 2017 में सालाना आय 3.20 लाख थी, जो अब बढ़कर 9.66 लाख हो गई है।

7. संदीप सिंह – पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पौत्र और एटा के सांसद राजवीर सिंह बेटे हैं। अलीगढ़ की अतरौली विधानसभा सीट से जीते थे। मंत्री हैं। कैंडिडेट हैं। 2017 में उनके पास कुल 1.42 करोड़ चल और अचल संपत्ति थी। अब ये बढ़कर 14.46 करोड़ हो गई है।

8. डॉक्टर जीएस धर्मेश – आगरा कैंट से विधायक बने। समाज कल्याण राज्य मंत्री हैं। कैंडिडेट हैं। उनकी की कुल संपत्ति 4.76 करोड़ रुपये है। पत्नी की संपत्ति भी शामिल है। 2017 में यह 2.33 करोड़ थी।

9. चौधरी लक्ष्मी नारायण – मथुरा की छाता सीट से विधायक बने। डेयरी व पशुपालन मंत्री हैं। कैंडिडेट हैं। उनके पास 11.93 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति है। 2017 में यह 7.01 करोड़ रुपये की थी।

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