पापा-पापा, कुछ तो बोलो, हमसे बात करो, ऐसे हमें छोड़कर मत जाओ। आप एक बार तो उठ जाओ। आप आंखें तो खोलो। पापा को कोई तो उठा दो। आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज इमरजेंसी में स्ट्रेचर पर रखी पिता भगवान दास राठौर की लाश के साथ बिलखती मासूम आठ साल की डोली बार-बार यही बात कहे जा रही थी। जो भी उसे चुप करने आता, उससे भी पिता को सही करने कहती। यही हालल अन्य बेटियों मुस्कान, भूमि, अनन्या और बेटे चिराग का था। वह बिलख रहे थे।
हरीपर्वत क्षेत्र स्थित मंडी सईद खां निवासी भगवान दास राठौर (36) किराये पर ऑटो चलाता था। मंगलवार को संजय प्लेज में उसकी मौत हो गई। परिजनों ने पुलिस पर पिटाई का आरोप लगाया है। मृतक की पत्नी अनीता का कहना है कि पति के हाथों पर खरोंच के निशान हैं। सीने पर डंडा मारा गया है। पुलिस की पिटाई से उनकी मौत हुई है। अगर, पिटाई नहीं हुई होती तो निशान कहां से आते। पुलिस झूठ बोल रही है कि गिरने के बाद मौत हुई। गिरने से कैसे कोई मर जाएगा।
थाना हरीपर्वत के प्रभारी निरीक्षक अरविंद कुमार का कहना है कि एचडीएफसी बैंक के पास खाली स्थान पर ऑटो चालक और रिक्शे वाले बैठे रहते हैं। यहीं पर बैठकर कुछ लोग जुआ खेल रहे थे। पुलिस के पहुंचने पर वे लोग भागने लगे। भगवान दास भागते समय गिर पड़ा था। परिजनों को वीडियो फुटेज दिखा दिया गया है। इसमें भगवान दास भागते दिखा है। पोस्टमार्टम कराया गया है। इसकी रिपोर्ट में ही मौत का कारण पता चलेगा।
ऑटो चालक की मौत के बाद एमजी रोड पर परिजनों और पुलिस के बीच खींचतान से अफरातफरी मच गई। इमरजेंसी से राजामंडी तक भीड़ नजर आने लगी। इससे मार्ग के दोनों तरफ जाम लग गया। पुलिस के शव कब्जे में लेने के बाद ही आधा घंटे बाद जाम खुल सका।
पुलिस ने जो ऑटो चालक इमरजेंसी में भगवान दास को लाया था, उसको भी बुलाया लिया। उसने अपना नाम कन्हैया अग्रवाल बताया। उसका कहना था कि संजय प्लेस में पुलिस ने उसे बुलाया था। एक व्यक्ति जमीन पर पड़ा था। लोगों की भीड़ लगी थी। लोग चेहरे पर पानी डाल रहे थे। इसके बाद बिना वर्दी में एक पुलिसकर्मी उसे उसके ऑटो में इमरजेंसी लेकर आया।
मंडी सईद खां निवासी भगवान दास राठौर की चार बेटियां और एक बेटा है। परिजनों ने बताया कि उनके एक भाई छोटू की छह साल पहले बीमारी के चलते मौत हो गई थी। तीन बहन की शादी हो चुकी है। मां ईश्वरी देवी विकलांग हैं। परिवार में एकमात्र भगवान दास ही कमाने वाले थे। अब परिवार का कोई सहारा नहीं है। परिजन और रिश्तेदार एक ही बात कर रहे थे कि अब परिवार का कौन सहारा बनेगा।
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