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Budget 2022: ताजनगरी को राहत और सौगात की उम्मीद, किसानों को आलू अनुसंधान केंद्र की आस

ताजनगरी के सीए, किसान, चिकित्सक और गृहिणियां आम बजट में राहत और सौगात की आस लगाए बैठे हैं। टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि महंगी दवाएं, इलाज के लिए मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट बढ़ाई जाए। महिलाओं का कहना है कि रसोई गैस और खाद्य पदार्थों के दाम कम हों तो बड़ी राहत मिलेगी। किसानों की सबसे बड़ी मांग आगरा में आलू प्रसंस्करण यूनिट खुलने की है। व्यापारी वर्ग टैक्स स्लैब, जीएसटी में छूट की आस लगाए हैं।

आयकर सीमा में मिल सकती है छूट

पांच राज्यों में होने जा रहे चुनाव के बीच बजट को समझने वाले टैक्स विशेषज्ञ और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को उम्मीद है कि आयकर सीमा में छूट के प्रावधानों में रियायतें मिल सकती हैं। मेडिकल खर्च में छूट के साथ वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं को भी छूट मिलने की संभावना हैं।

बजट से ये हैं उम्मीदें

– भविष्य निधि में कर्मचारी योगदान के लिए कटौती की अनुमति दी जाए।
– आयकर अधिनियम की धारा 56 में एचयूएफ संपत्ति पर कर का समाधान हो।
– एक घर की जगह दो घरों में निवेश के लिए आयकर कटौती का प्रावधान हो।
– धारा 80 डीडी का दायरा बढ़ाना चाहिए, ब्याज भी शामिल किया जाए।
– स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 50 हजार से बढ़ाकर 75 हजार रुपये की जाए।
– धारा 80 सी के तहत छूट 1.50 लाख से बढ़ाकर 2.50 लाख किया जाए।

टैक्स के मामले में रियायत मिलें

सीए इंस्टीट्यूट दीपिका मित्तल सचिव ने कहा कि कोरोना में स्वास्थ्य पर खर्च काफी बढ़ा है, इसलिए बजट में धारा 80 सी पर टैक्स छूट का दायरा बढ़ना चाहिए। महिलाओं को टैक्स के मामले में ज्यादा छूट फिर शुरू होनी चाहिए।

आयकर सीमा में बढ़ोतरी की जरूरत

टैक्स विशेषज्ञ दीपक माहेश्वरी ने कहा कि आयकर अधिनियम की धाराओं में छूट बढ़नी चाहिए, चाहे वह 80 सी हो या 80 डी। आयकर सीमा में बढ़ोतरी की जरूरत है। मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट की सीमा बढ़े, ऐसी बजट से उम्मीद हैं।

सामाजिक सुरक्षा की योजनाएं हों

चिकित्सक डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ ने कहा कि आयकर दाताओं के लिए सरकार को सामाजिक सुरक्षा की योजनाएं लानी चाहिए। हेल्थ इंश्योरेंस, पेंशन आदि से इसे जोड़ा जा सकता है। इससे अन्य लोगों को टैक्स देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।

आयात निर्भरता कम करनी चाहिए

जूता दस्तकार फेडरेशन के अध्यक्ष अभिकाम सिंह पिपल ने कहा कि जब मेक इन इंडिया को आगे बढ़ाना है तो फुटवियर के कच्चे माल पर आयात निर्भरता कम करनी चाहिए। फुटवियर कारखाने 12 फीसदी जीएसटी से बंदी के कगार पर हैं। इस पर तुरंत फैसले की जरूरत है।

एक बार फिर आगरा के किसानों की बजट पर नजर जमी है। उनको उम्मीद है कि इस बार आलू प्रोसेसिंग यूनिट और आलू अनुसंधान केंद्र की मुराद पूरी हो जाएगी। जिले में हर साल औसतन 70-75 हजार हेक्टेयर पर आलू की बोवाई होती है। आलू आधारित उद्योग नहीं होने के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
आलू आधारित उद्योग से होगा किसान का भला
भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष राजवीर लवानियां ने बताया कि आगरा में आलू बहुतायत पैदा किया जाता है। लागत अधिक होने से किसानों को घाटा होता है। लंबे समय से आलू अनुसंधान केंद्र और आलू प्रसंस्करण यूनिट की मांग कर रहे हैं। इससे आलू आधारिक उद्योग विकसित होंगे और किसानों का भला होगा।
बिजली निशुल्क, डीजल पर मिले सब्सिडी
किसान नेता सत्यवीर चौधरी ने कहा कि डीजल और बिजली के कारण खेती की लागत बढ़ जाती है। सरकार किसान क्रेडिट कार्ड के आधार पर सिंचाई के लिए बिजली निशुल्क उपलब्ध कराए और जोताई के लिए डीजल में सब्सिडी दी जाए। इससे किसानों की आय दोगुना हो जाएगी।

देहात में बढ़ें चिकित्सकीय सुविधाएं
चिकित्सकों का मानना है कि बजट में एमआरआई, सीटी स्कैन समेत अन्य महंगी जांचें सरकारी अस्पताल में निशुल्क की जाएं। देहात में बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी यह सुविधा हो, जिससे गांवों में मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके। देहात में डॉक्टरों के रहने पर सुरक्षा और सुविधाएं दी जाएं। अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ की कमी भी दूर हो।
सीएचसी को बनाएं मिनी सुपर स्पेशियलिटी सेंटर
आईएमए अध्यक्ष डॉ. राजीव उपाध्याय ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में एमआरआई, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड समेत अन्य महंगी जांचें निशुल्क होनी चाहिए। देहात में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) को भी मिनी सुपर स्पेशियलिटी सेंटर के तौर पर विकसित किया जाए। इससे गांवों में भी बेहतर उपचार मिल सकेगा।
पेट्रोल-डीजल और गैस सिलिंडर के कम हो दाम
पेट्रोल-गैस सिलिंडर के बढ़ते दामों ने घर-गृहस्थी का बजट बिगाड़ दिया है। महिलाओं और युवाओं की मांग है कि पेट्रोल-डीजल और गैस सिलिंडर के दाम कम किए जाएं। सामान्य वर्ग के परिवारों पर महंगाई का बोझ कम किया जाना चाहिए।

गैस सिलिंडर पर 50 फीसदी सब्सिडी बढ़ाएं
खंदारी निवासी गीता सारस्वत ने कहा कि बीते कुछ सालों से घरेलू गैस सिलिंडर पर लगातार दाम बढ़े हैं और सब्सिडी कम होती जा रही है। इससे रसोई के बजट पर अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ रहा है। सरकार को कीमत की 50 फीसदी सब्सिडी देने चाहिए जिससे महंगाई से राहत मिले।