आगरा में वर्ष 1989 के विधानसभा चुनाव में पहली बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का हाथी गली-गली में चर्चित हुआ। तब से अब तक जिले में बसपा आठ बार विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी उतार चुकी है। इनमें से चार चुनावों में बसपा का हाथी जिले में खूब दौड़ा और सवारों को लखनऊ विधानसभा तक पहुंचाया। लेकिन चार चुनाव ऐसे रहे जब हाथी जमीन से उठ ही न सका। बसपा के सामने अब वर्ष 2007 और 2012 के लगातार दो चुनावों में किया अपना प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है, जब उसने जिले की 9 में से 6 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया था।
1989 में घुमाया हाथी निशान, 1996 में जमाईं जड़ें
1989 में पहली बार चुनावी मैदान में उतरी बसपा का हाथी जिले में धीमी चाल से चला लेकिन बाद हाथी की चाल लगातार तेज होती गई। समाजवादी पार्टी (सपा) से समझौते में हुए चुनाव में आगरा में सपा के प्रत्याशी ज्यादा लड़े, जबकि बसपा सिर्फ फतेहाबाद पर ही चुनाव लड़ी। सपा से अलग होने के बाद 1996 के चुनाव में बसपा का प्रदर्शन जबरदस्त रहा और पहली बार दो विधायक जिले में जीते। अलग चुनाव लड़कर बसपा ने साल 2002 में भी दो सीटें जीतीं, लेकिन इस बार दयालबाग में सेठ किशन लाल बघेल और आगरा छावनी में पहले मुस्लिम विधायक चौधरी बशीर जीतकर आए।
जहां पाए सबसे कम वोट, उसी को 23 साल बाद जीता
1989 में पहली बार उतरी बसपा को सबसे कम वोट फतेहाबाद विधानसभा सीट पर मिले। यहां बसपा प्रत्याशी अनारदेवी को केवल 344 वोट मिले, वह पांचवें स्थान पर रहीं और केवल 0.47 फीसदी वोट पा सकीं, लेकिन उसके बाद बसपा लगातार वोट बढ़ाती रही और साल 2012 में छोटेलाल वर्मा उसी फतेहाबाद सीट पर 73098 वोट पाकर जीते। हालांकि प्रदेश में सपा सरकार आने पर वह सपा से जुड़ तो गए, पर बसपा से तकनीकी तौर पर इस्तीफा नहीं दिया था। यहां बसपा के लिए जमीन अशोक दीक्षित ने तैयार की, जहां वह 1996 के चुनाव में 34946 वोट पाकर दूसरे स्थान पर आ गए थे।
हाथी सवार उतरकर दूसरे दलों का थाम चुके हाथ
बसपा के हाथी पर चढ़कर जो विधायक बने, वह साल 2012 के बाद से ही दूसरे दलों में जगह देखने लगे। 2017 चुनाव के बाद तो बसपा के सभी पूर्व विधायक दूसरे दलों में पहुंच गए। इनमें से चार पूर्व विधायक इस चुनाव में मैदान में हैं। इनमें डॉ. धर्मपाल सिंह, भगवान सिंह कुशवाह, छोटेलाल वर्मा को भाजपा ने टिकट दिया है तो मधुसूदन शर्मा सपा से चुनाव लड़ रहे हैं। इनके अलावा बसपा से चुनाव लड़ चुके गुटियारी लाल दुबेश, कालीचरन सुमन, चौधरी बशीर, शौकी कपूर, केशव दीक्षित, दिगंबर सिंह धाकरे, राजकुमार चाहर, अमर सिंह परमार, धर्मप्रकाश भारतीय, अशोक दीक्षित, अमर चंद्र शर्मा, ज्ञानेंद्र गौतम, उमेश सैंथिया अब दूसरे दलों में हैं। इसके अलावा संगठन में रहे पूर्व एमएलसी सुनील चित्तौड़, धर्मप्रकाश भारतीय भी बसपा छोड़ चुके हैं।
बसपा का आठ चुनावों में प्रदर्शन
चुनाव जीत क्षेत्र
2017 0
2012 6 एत्मादपुर, छावनी, फतेहपुरसीकरी, खेरागढ़, फतेहाबाद, आगरा ग्रामीण
2007 6 बाह, एत्मादपुर, छावनी, पश्चिम, खेरागढ़, फतेहपुरसीकरी
2002 2 दयालबाग, छावनी
1996 2 एत्मादपुर, दयालबाग
1993 0
1991 0
1989 0
– सभी आंकड़े चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार
वोट प्रतिशत नहीं हुआ कम
बसपा कैडर बेस पार्टी है और नेताओं को तैयार करती है। कई विधायक यहां से चले भी गए, फिर भी हमारा वोट प्रतिशत कम नहीं हुआ। हमने हमेशा नए चेहरों को मौका दिया है और नेता बनाया। अब फिर से नए चेहरे उतारे हैं। दूसरे दलों से जो लड़ रहे हैं, वह कभी न कभी हमारे दल से चुनाव लड़े हैं। – गोरेलाल जाटव, मुख्य सेक्टर प्रभारी, बसपा
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