लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दावे के अनुसार सूबे में अपराधी पलायन कर रहे हैं। हम जानते है कि यूपी में बीते 5 साल से योगी की सरकार है। ऐसे में जहां एक तरफ सीएम योगी अपने बयानों में यूपी के अपराधियों के पलायन या उनके जेल में होने का दम भरते हैं। वहीं दूसरी तरफ आज लखनऊ से बहु बेटी बचाओ अभियान की शुरूआत की गई है। जिसमें सपा से बीजेपी में शामिल हुई अपर्णा गौतम समेत, प्रियंका मौर्या, अदिति सिंह और अनुराग ठाकुर ने हिस्सा लिया।
अब ऐसे में सवाल उठता है कि योगी सरकार एक तरफ अपराधियों के सूबे से चले जाने की बात कर रही है तो आखिर बहु बेटियों को किससे बचाने की बात कर रही है। इसके लिए आइए आंकड़ों की मदद से जानें पिछली सरकारों में क्या रही अपराध की स्थिति…उससे पहले योगी सरकार में क्या है स्थिति.
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योगी सरकार में आपराधिक घटनाएं
अब बात करते हैं 2017 में आई योगी आदित्यनाथ की सरकार की. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने इस बीते साल सितंबर में 2020 के अपराध के आंकड़े जारी किए. इसलिए योगी सरकार के केवल 4 चार सालों के ही आंकड़े उपलब्ध हैं. योगी सरकार में आईपीसी की धाराओं के तहत हर साल औसतन 3 लाख 40 हजार 170 मामले दर्ज हुए. इनमें हिंसक वारदातों की संख्या 59 हजार 277 थी.
इस दौरान हर साल अपहरण की औसतन 17 हजार 784 मामले दर्ज किए गए. वहीं चोरी की 49 हजार 874 मामले दर्ज हुए. वहीं रेप के हर साल औसतन 3 हजार 507 मामले दर्ज किए गए. वहीं आईपीसी और स्थानीय कानूनों के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध के 56 हजार 174 मामले हर साल दर्ज किए गए. इसी तरह दंगों के हर साल औसतन 7 हजार 345 मामले दर्ज किए गए.
अखिलेश सरकार में आपराधिक घटनाएं
अखिलेश यादव 2012 से 2017 तक मुख्यमंत्री थे. इस दौरान आईपीसी की धाराओं के तहत हर साल औसतन 2 लाख 37 हजार 821 मामले दर्ज किए गए. वहीं हिंसक वारदातों के हर साल औसतन 44 हजार 39 मामले दर्ज किए गए. इसी तरह अपहरण के 12 हजार 64 मामले औसतन हर साल दर्ज किए गए. वहीं चोरी के मामले दर्ज करने का औसत हर साल 42 हजार 57 का था. इस दौरान बलात्कार के 3 हजार 264 मामले औसतन हर साल दर्ज किए गए. वहीं आईपीसी और स्थानीय कानूनों के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध के 36 हजार 41 मामले हर साल दर्ज किए गए. अखिलेश की सरकार में दंगों के हर साल औसतन 6 हजार 607 मामले दर्ज किए गए. अखिलेश यादव की सरकार में ही मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगे हुए थे. इसमें 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.
मायावती सरकार में आपराधिक घटनाएं
अब बात करते हैं मायावती की सरकार में कानून व्यवस्था के हालत की. बसपा प्रमुख मायावती 2007 से 2012 तक प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं. उनके कार्यकाल में आईपीसी की धाराओं के तहत हर साल औसतन 1 लाख 72 हजार 290 मामले दर्ज किए गए. इस दौरान हिंसक वारदातों का औसत हर साल 28 हजार 248 मामलों का था. इस दौरान अपहरण के 6 हजार 162 मामले औसतन हर साल दर्ज किए गए. वहीं चोरी के 16 हजार 1 मामले औसतन हर साल दर्ज किए गए. बलात्कार के औसतन 1 हजार 777 मामले हर साल दर्ज किए गए. आईपीसी और स्थानीय कानूनों के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध के 22 हजार 125 मामले दर्ज किए गए. दंगों के 4 हजार 469 मामले औसतन हर साल दर्ज किए गए.
इन सरकारी आंकड़ों के आधार पर यदि पिछली सरकारों में सूबे में घटी बलात्कार की घटनाओं पर बात की जाए तो सबसे कम घटनाएं मायावती के काल में रहीं। वहीं अखिलेश यादव की सरकार में इनमें बढ़त नजर आती है।
प्रतीकात्मक तस्वीर
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