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UP Election 2022: यूपी की इस सीट पर 30 सालों से नहीं खिल सका है कमल, क्या इस बार बदलेगी किस्मत

अनुराग चौधरी, अम्बेडकरनगर
यूपी में भले ही बीजेपी के सियासत का डंका बज चुका है, लेकिन अम्बेडकरनगर की एक विधानसभा सीट बीजेपी के लिए उसर बन गई है। जी हां, हम बात कर रहे हैं 277 विधानसभा क्षेत्र कटेहरी की। यह एक ऐसी विधानसभा सीट है, जहां पर बीजेपी अब तक सिर्फ एक बार 1992 में राम लहर में चुनाव जीत सकी है।लगभग तीन दशक का समय बीत चुका है और यहां दोबारा कमल खिलाने की बीजेपी की हसरत अधूरी ही है।

वर्ष 2017 में जब भाजपा की सुनामी आई तो उस लहर में भी इस सीट पर लालजी वर्मा के सामने बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। इस सीट पर जो सियासी समीकरण है, उसे देख यह कयास लगाया जा रहा है कि इस बार भी यहां कमल खिलाने की बीजेपी की हसरत अधूरी रह जाएगी। भाजपा जातीय समीकरण को साधने की कोशिश में जुटी है, लेकिन कामयाबी मिलती है या नहीं, चुनाव परिणाम ही बताएगा।

बसपा और सपा का रहा कब्जा
कटेहरी विधानसभा क्षेत्र में राम लहर के बाद से इस सीट पर बसपा और सपा का कब्जा रहा है। सबसे पहले राम देव पटेल ने बसपा उम्मीदवार के रूप में यहां जीत दर्ज किया था, इसके बसपा के ही सिंबल पर धर्मराज निषाद लगातार तीन बार यहां से विधायक रहे हैं। वर्ष 2012 में यहां से एक बार सपा ने जीत दर्ज की है और शंखलाल मांझी विजयी हुए थे। वर्ष 2017 में जब पूरे प्रदेश में भाजपा की लहर चल रही थी।

उस समय भी भाजपा यहाँ जीत नही सकी और बसपा नेता लालजी वर्मा विजयी हुए। कटेहरी विधानसभा को लेकर एक खास बात यह भी है कि छह चुनावों में यहां पिछड़ी जाति के नेता ही चुनाव जीते हैं।

ऐसा रहा है जातीय समीकरण
कटेहरी विधानसभा सीट पर सबसे अधिक दलित मतदाताओं की संख्या है। दलित विरादरी के वोटरों की संख्या करीब 95 हजार है। मुस्लिम 55 हजार, ब्राम्हण 46 हजार, कुर्मी 44 हजार, यादव 30 हजार, ठाकुर 21 हजार, निषाद 22 हजार और राजभर 20 हजार वोटर हैं। विधानसभा सीट पर कुल वोटरों की संख्या 3 लाख 74 हजार 30 है। जातीय समीकरण का यह गठित भाजपा के लिए जीत में सबसे अधिक बाधक बनती रही है।