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यूपी चुनाव 2022: सपा के खाते में गई सिवालखास विधानसभा सीट, गठबंधन ने हाजी गुलाम मोहम्मद को बनाया प्रत्याशी

सिवालखास विधानसभा सीट पर सपा-रालोद गठबंधन के बीच फंसा पेच आखिरकार मंगलवार को सुलझ गया। गठबंधन ने यहां से हाजी गुलाम मोहम्मद को प्रत्याशी बनाया है। देर रात तक भी इस सीट पर प्रत्याशी की घोषणा नहीं हुई थी। रालोद के साथ ही सपा के गुलाम मोहम्मद की दावेदारी को लेकर तमाम अटकलें लगाई जाती रहीं थी।

मेरठ से लखनऊ और दिल्ली तक इस सीट पर दोनों दलों ने पत्ते नहीं खोले। वहीं मंगलवार को प्रत्याशी के नाम पर से पर्दा हट गया और गठबंधन ने गुलाम मोहम्मद को प्रत्याशी घोषित कर दिया। वहीं जाट महासभा के अध्यक्ष रोहित जाखड़ ने चौधरी चरण सिंह पार्क में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है। कहा है कि सिवालखास से जाट प्रत्याशी को टिकट नहीं तो हम भी गठबंधन के साथ नहीं।

लंबी खींचतान के बाद टिकट की रेस में गुलाम मोहम्मद ने मारी बाजी
लंबी खींचतान के बाद सिवालखास से सपा रालोद गठबंधन प्रत्याशी के लिए पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद ने बाजी मार ली। उन्हें मंगलवार सिंबल मिल गया। वह 2012 में सिवालखास से विधायक बने थे।

विधायक रहते हुए 2014 में उन्हें सपा ने लोकसभा चुनाव में बागपत से प्रत्याशी बनाया लेकिन हार गए। 2017 में भी सिवालखास से विधानसभा चुनाव हार गए थे। यह सीट अभी तक रालोद के खाते में जाती हुई नजर आ रही थी, लेकिन गुलाम मोहम्मद इस पर लड़ने के लिए अड़े हुए थे और लखनऊ में ही कई दिन से डेरा डाले हुए थे।

सिवालखास सीट पर मुस्लिमों के बाद सर्वाधिक संख्या जाट मतदाताओं की है। इस पर सपा से विधायक रह चुके गुलाम मोहम्मद गठबंधन से टिकट की दावेदारी कर रहे थे। वह कई दिनों से लखनऊ में डेरा डाले हुए थे।

सपा के खाते में गई सीट
मेरठ जिले से 7 विधानसभा सीटों में से अब तक सपा रालोद गठबंधन ने 6 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं, यह सभी 6 सीटें सपा के खाते में गई हैं। सपा के प्रत्याशियों को सिंबल मिले हैं। सिर्फ कैंट सीट बाकी है जिस पर अभी प्रत्याशी तय होना है। कैंट पर भी  सपा के ही नेता टिकट लेने के लिए प्रयासरत हैं। कहीं ऐसा ना हो कि सारी सीटें सपा के ही खाते में चली जाएं। जो 6 प्रत्याशी उतारे हैं उनमें 4 मुस्लिम, एक गुर्जर और एक अनुसूचित जाति से है।

सूत्रों का कहना है कि 2:00 बजे सिवालखास के टिकट को लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव और रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी के बीच बातचीत हुई। इसी वजह से टिकट अटका हुआ था। इस पर पेच फंसा हुआ था। रालोद इसे अपने खाते में लेना चाहती थी, पर यह सपा के खाते में सीट चली गई ।

बागपत लोकसभा की सीट है सिवालखास
सिवालखास सीट बागपत लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है। यहां से रालोद प्रमुख चौधरी जयंत सिंह के दादा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और जयंत के पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय चौधरी अजित सिंह कई बार सांसद रहे। पिछला लोकसभा चुनाव जयंत ने इसी सीट से लड़ा था, हालांकि वे कड़े मुकाबले में भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह से हार गए थे। जयंत इस सीट को हर हाल में अपने पास रखना चाहते थे।

कुछ नेताओं का मानना है कि जिले में एक सीट पर जाट प्रत्याशी उतारा जाना चाहिए थाा। इसके बिना सोशल इंजीनियरिंग पूरी नहीं होगी। सिवालखास, किठौर, दक्षिण और शहर सीट से मुस्लिम प्रत्याशी उतारे जा चुके हैं।

बढ़ सकती थी भाजपा की मुश्किलें
सिवालखास विधानसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी का विरोध थमा नहीं है। सोमवार को भी कार्यकर्ताओं ने बागपत रोड स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में घंटों तक प्रदर्शन किया। कार्यकर्ता लगातार प्रत्याशी बदलने की मांग कर रहे हैं।

जिस तरह से यहां विरोध हो रहा है, ऐसे में सिवालखास विधानसभा सीट रालोद के खाते में जाती तो भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती थीं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव जातिगत आधार पर बहुत मायने रखता है। हर सीट पर जातिगत समीकरणों को साधने के लिए भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग पर फोकस रखा है। सिवालखास विधानसभा सीट पर बसपा नन्हें प्रधान को प्रत्याशी बना चुकी है। एआईएमआईएम भी मुस्लिम प्रत्याशी लड़ा रही है। ऐसे में रालोद-सपा गठबंधन के प्रत्याशी पर सबकी नजरें टिकी थीं।

सिवालखास विधानसभा सीट पर सपा-रालोद गठबंधन के बीच फंसा पेच आखिरकार मंगलवार को सुलझ गया। गठबंधन ने यहां से हाजी गुलाम मोहम्मद को प्रत्याशी बनाया है। देर रात तक भी इस सीट पर प्रत्याशी की घोषणा नहीं हुई थी। रालोद के साथ ही सपा के गुलाम मोहम्मद की दावेदारी को लेकर तमाम अटकलें लगाई जाती रहीं थी।

मेरठ से लखनऊ और दिल्ली तक इस सीट पर दोनों दलों ने पत्ते नहीं खोले। वहीं मंगलवार को प्रत्याशी के नाम पर से पर्दा हट गया और गठबंधन ने गुलाम मोहम्मद को प्रत्याशी घोषित कर दिया। वहीं जाट महासभा के अध्यक्ष रोहित जाखड़ ने चौधरी चरण सिंह पार्क में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है। कहा है कि सिवालखास से जाट प्रत्याशी को टिकट नहीं तो हम भी गठबंधन के साथ नहीं।

लंबी खींचतान के बाद सिवालखास से सपा रालोद गठबंधन प्रत्याशी के लिए पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद ने बाजी मार ली। उन्हें मंगलवार सिंबल मिल गया। वह 2012 में सिवालखास से विधायक बने थे।

विधायक रहते हुए 2014 में उन्हें सपा ने लोकसभा चुनाव में बागपत से प्रत्याशी बनाया लेकिन हार गए। 2017 में भी सिवालखास से विधानसभा चुनाव हार गए थे। यह सीट अभी तक रालोद के खाते में जाती हुई नजर आ रही थी, लेकिन गुलाम मोहम्मद इस पर लड़ने के लिए अड़े हुए थे और लखनऊ में ही कई दिन से डेरा डाले हुए थे।

सिवालखास सीट पर मुस्लिमों के बाद सर्वाधिक संख्या जाट मतदाताओं की है। इस पर सपा से विधायक रह चुके गुलाम मोहम्मद गठबंधन से टिकट की दावेदारी कर रहे थे। वह कई दिनों से लखनऊ में डेरा डाले हुए थे।