अनुराग पाण्डेय, गोरखपुर
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले से योगी आदित्यनाथ पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने गोरखपुर से चार बार के विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल का टिकट शनिवार को काटकर योगी का नाम फाइनल कर दिया। अब यह तय हो गया कि यहां से योगी आदित्यनाथ विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। गोरखपुर में 9 विधानसभा हैं, जिसमें से 8 पर भाजपा तो एक पर बसपा का कब्जा है। योगी का टिकट फाइनल होने पर सभी भाजपा कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है तो दूसरी तरफ गोरखपुर की 7 विधानसभा जहां पर भाजपा के विधायक हैं, उनकी बेचैनी बढ़ गई है। वहीं, गोरखपुर कई सीटों पर अब भाजपा के किस विधायक का टिकट काटेगी इसको लेकर यहां पर चर्चाओं का बाजार गरम है।
भाजपा विधायकों की बेचैनी इस कारण भी बढ़ी है कि इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कई नए नेताओं ने दावेदारी पेश की है। साथ ही वे गोरखपुर की अलग-अलग विधानसभा में चुनाव प्रचार भी कर रहे हैं। इनमें से कई ऐसे भी दावेदार हैं, जो दिल्ली में बैठे बड़े नेताओं के टच में हैं। भारतीय जनता पार्टी से गोरखपुर की 9 सीटों से कमल खिलाने के लिए अभी तक 60 दावेदार सामने आ चुके हैं। इसमें सर्वाधिक संख्या सहजनवां से है। यहां कुल 11 नेताओं ने भाजपा के टिकट के लिए दावेदारी की है।
हर कोई ये बता रहा है मैं हूं जिताऊ चेहरा
सहजनवां के बाद भाजपा में टिकट के लिए सर्वाधिक मारामारी खजनी में है। यहां से कुल 10 लोगों ने टिकट के लिए अपनी दावेदारी पेश की है। हर कोई यह बताने में जुटा है कि पार्टी के लिए वही सबसे योग्य और जिताऊ चेहरा साबित हो सकता है। चौरी चौरा से 7, शहर से 2, पिपराइच से 3, बांसगांव से 5, चिल्लूपार से 5, ग्रामीण से 5 व कैंपियरगंज से 6 लोगों ने पार्टी के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है। दावेदारी के साथ-साथ इन लोगों ने अपने-अपने क्षेत्रों में लोगों से वर्चुअली संपर्क अभियान तेज कर दिया है। इतना ही नहीं वह संगठन के साथ-साथ निरंतर पार्टी के बड़े नेताओं के भी संपर्क में बने हुए हैं, ताकि टिकट पर उनकी दावेदारी मजबूत साबित हो।
भाजपा के सर्वे में फेल हुए कई विधायक
सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने गोपनीय तरिके से टीम भेजकर गोरखपुर की सभी 9 विधानसभा में एक सर्वे किया था। टीम ने गांव कस्बे में जाकर चौक चौराहे पर लोगों से विधायक के कार्यों का फीडबैक लिया था। जिसके बाद एक रिपोर्ट तैयार कर मुख्यालय भेजी थी। सूत्रों के अनुसार गोरखपुर की चार विधानसभा चौरी-चौरा, बांसगांव, गोरखपुर ग्रामीण और पिपराइच विधानसभा में भाजपा की टीम को लोगों को जो फीडबैक मिला, उसके अनुसार वोटर भाजपा विधायकों की कार्यप्रणाली से खुश नहीं थे। वहीं, क्षेत्र में भी ये विधायक समय कम दिए हैं। इस तरह की बातें खुलकर सामने आईं। जिसके बाद से ही गोरखपुर से चार भाजपा विधायकों की जगह इस बार नए चेहरे का टिकट मिलना तय माना जा रहा है। वहीं, चिल्लूपार सीट पर लगातार तीन बार से भाजपा हार रही है और वहां पर बसपा का कब्जा है। बसपा का किला तोड़ने के लिए भी भाजपा कोई मजबूत दावेदार ही इस बार चुनाव में उतारेगी।
ग्रामीण सीट से निषाद को मिल सकता है टिकट
गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा में सबसे अधिक वोटर दलित और निषाद हैं। यहां पर वर्तमान में भाजपा से विपिन सिंह विधायक हैं। जिन्होंने वर्ष 2017 चुनाव में बहुत कम वोट से सपा को हराया था। इस बार भाजपा का निषाद पार्टी से गठबंधन हुआ है। यहां से वर्ष 2017 चुनाव में डॉ. संजय निषाद 34 हजार वोट पाए थे। ऐसा माना जाता है कि सपा के कैंडिडेट केवल 5 हजार वोट से चुनाव हारे थे। अगर संजय निषाद चुनाव न लड़ते तो भाजपा की हार और सपा की जीत तय थी। भाजपा से गठबंधन के बाद गोरखपुर की ग्रामीण सीट से निषाद पार्टी ने अपना कैंडिडेट लड़ाने की सिफारिश की है। जिसके बाद चर्चाओं का बाजार गरम है। सूत्रों की मानें तो यहां से भाजपा विधायक का टिकट कटना तय माना जा रहा है।
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