माइक्रोबायोलॉजी के विशेषज्ञों की मानें तो वायरस के ज्यादातर वैरिएंट वहीं से निकलते हैं, जहां वैक्सीनेशन कम होता है। अगर सारे लोगों को वैक्सीनेशन हो जाएगा तो संक्रमण की मारक क्षमता कम हो जाएगी और जटिलताएं नहीं उभर पाएंगी।
एक के बाद दूसरे कोरोना वैरिएंट के हमले को देखते हुए माइक्रोबायोलॉजी के विशेषज्ञों का कहना है कि वायरस के वैरिएंट आते रहेंगे, इन्हें रोकने के लिए सुपर वैक्सीन की जरूरत है। सुपर वैक्सीन से सभी वायरसों के वैरिएंट को रोका जा सकेगा। इंडियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट की जूम मीटिंग में सुझाव दिया गया कि सारे लोग वैक्सीनेशन करा लें।
कोरोना को तभी रोका जा सकता है। वायरस के ज्यादातर वैरिएंट वहीं से निकलते हैं, जहां वैक्सीनेशन कम होता है। अगर सारे लोगों को वैक्सीनेशन हो जाएगा तो संक्रमण की मारक क्षमता कम हो जाएगी और जटिलताएं नहीं उभर पाएंगी। विशेषज्ञों ने कहा कि जिस तरह विभिन्न बीमारियों को रोकने के लिए पेंटावेलेंट वैक्सीन है।
उसी तरह कोरोना, फ्लू, इंफ्लुइंजा आदि वायरल संक्रमण रोकने के लिए सुपर वैक्सीन बनाने का समय आ गया है। कोरोना, फ्लू आदि आरएनए वायरस हैं। इनके लक्षण भी एक जैसे हैं और ये सब सांस तंत्र पर हमला करते हैं। कोरोना के एल्फा, बीटा, डेल्टा के बाद अब ओमिक्रॉन वैरिएंट आ गया है। वैसे इसका संक्रमण अभी हल्का है लेकिन वायरस कभी म्यूटेशन से खतरनाक हो सकता है।
मीटिंग में शामिल हुए जीएसवीएम मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. विकास मिश्रा ने बताया कि सभी विशेषज्ञों ने सुपर वैक्सीन की जरूरत बताई। ऐसी वैक्सीन तैयार हो जाती है तो आसानी रहेगी। एक वैक्सीन से व्यक्ति सुरक्षित वायरल संक्रमण से सुरक्षित हो जाएगा।
एक के बाद दूसरे कोरोना वैरिएंट के हमले को देखते हुए माइक्रोबायोलॉजी के विशेषज्ञों का कहना है कि वायरस के वैरिएंट आते रहेंगे, इन्हें रोकने के लिए सुपर वैक्सीन की जरूरत है। सुपर वैक्सीन से सभी वायरसों के वैरिएंट को रोका जा सकेगा। इंडियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट की जूम मीटिंग में सुझाव दिया गया कि सारे लोग वैक्सीनेशन करा लें।
कोरोना को तभी रोका जा सकता है। वायरस के ज्यादातर वैरिएंट वहीं से निकलते हैं, जहां वैक्सीनेशन कम होता है। अगर सारे लोगों को वैक्सीनेशन हो जाएगा तो संक्रमण की मारक क्षमता कम हो जाएगी और जटिलताएं नहीं उभर पाएंगी। विशेषज्ञों ने कहा कि जिस तरह विभिन्न बीमारियों को रोकने के लिए पेंटावेलेंट वैक्सीन है।
उसी तरह कोरोना, फ्लू, इंफ्लुइंजा आदि वायरल संक्रमण रोकने के लिए सुपर वैक्सीन बनाने का समय आ गया है। कोरोना, फ्लू आदि आरएनए वायरस हैं। इनके लक्षण भी एक जैसे हैं और ये सब सांस तंत्र पर हमला करते हैं। कोरोना के एल्फा, बीटा, डेल्टा के बाद अब ओमिक्रॉन वैरिएंट आ गया है। वैसे इसका संक्रमण अभी हल्का है लेकिन वायरस कभी म्यूटेशन से खतरनाक हो सकता है।
मीटिंग में शामिल हुए जीएसवीएम मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. विकास मिश्रा ने बताया कि सभी विशेषज्ञों ने सुपर वैक्सीन की जरूरत बताई। ऐसी वैक्सीन तैयार हो जाती है तो आसानी रहेगी। एक वैक्सीन से व्यक्ति सुरक्षित वायरल संक्रमण से सुरक्षित हो जाएगा।
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