प्रदेश में विधि व्यवसाय के जरिए चार लाख अधिवक्ता समाज के लोगों को न्याय दिलाने के लिए काम कर रहे हैं लेकिन करोना आपदाकाल में उन्हें अपेक्षित सहयोग नहीं मिल सका है। ऐसे में सरकार का दायित्व बढ़ गया है कि अधिवक्ताओं को आर्थिक सहायता के साथ अन्य सुविधाएं मुहैया कराना सुनिश्चित करें। यह बातें रविवार को उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के चेयरमैन शिरीष कुमार मेहरोत्रा ने कही।
चेयरमैन ने कुल सात बिंदुओं पर अपनी बातें रखी। उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं को दुर्घटनाग्रस्त होने या फिर गंभीर बीमारी की होने की दशा में 10 लाख रुपये कैशलेस चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई जाए। इसके साथ ही कोरोना की चपेट में आने से मृत अधिवक्ता के परिजनों को 10 लाख की एकमुश्त आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए।
उन्होंने अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत होने वाले नए अधिवक्ताओं को तीन वर्ष तक 10 हजार रुपये प्रति माह की दर से प्रोत्साहन भत्ता दिए जाने, इसके साथ ही 40 वर्ष तक अधिवक्ता के रूप में न्याय व्यवस्था में निरंतर अपना सहयोग देने वाले को न्यूनतम 25 हजार मासिक जीवन निर्वाह भत्ता दिए जाने की भी मांग की। कहा कि न्यायिक अधिकारियों की तरह अनुभवी अधिवक्ताओं को विभिन्न अधिकरण, आयोग व मध्ययस्थता के मामलों में अधिवक्ताओं को नियोजित किया जाए।
साथ ही प्रदेश में तहसील मुख्यालयों में नो प्रॉफिट नो लॉस के आधार पर अधिवक्ताओं को आवास विकास व विकास प्राधिकरण के माध्यम से भूखंड/ आवास मुहैया कगया जाए। साथ ही अधिवक्ता सुरक्षा कानून भी लागू किया जाए। प्रेसवार्ता में बार काउंसिल के पूर्व चेयरमैन हरिशंकर सिंह, जय नारायण पांडे, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह सहित कई पदाधिकारी मौजूद रहे।
प्रदेश में विधि व्यवसाय के जरिए चार लाख अधिवक्ता समाज के लोगों को न्याय दिलाने के लिए काम कर रहे हैं लेकिन करोना आपदाकाल में उन्हें अपेक्षित सहयोग नहीं मिल सका है। ऐसे में सरकार का दायित्व बढ़ गया है कि अधिवक्ताओं को आर्थिक सहायता के साथ अन्य सुविधाएं मुहैया कराना सुनिश्चित करें। यह बातें रविवार को उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के चेयरमैन शिरीष कुमार मेहरोत्रा ने कही।
चेयरमैन ने कुल सात बिंदुओं पर अपनी बातें रखी। उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं को दुर्घटनाग्रस्त होने या फिर गंभीर बीमारी की होने की दशा में 10 लाख रुपये कैशलेस चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई जाए। इसके साथ ही कोरोना की चपेट में आने से मृत अधिवक्ता के परिजनों को 10 लाख की एकमुश्त आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए।
उन्होंने अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत होने वाले नए अधिवक्ताओं को तीन वर्ष तक 10 हजार रुपये प्रति माह की दर से प्रोत्साहन भत्ता दिए जाने, इसके साथ ही 40 वर्ष तक अधिवक्ता के रूप में न्याय व्यवस्था में निरंतर अपना सहयोग देने वाले को न्यूनतम 25 हजार मासिक जीवन निर्वाह भत्ता दिए जाने की भी मांग की। कहा कि न्यायिक अधिकारियों की तरह अनुभवी अधिवक्ताओं को विभिन्न अधिकरण, आयोग व मध्ययस्थता के मामलों में अधिवक्ताओं को नियोजित किया जाए।
साथ ही प्रदेश में तहसील मुख्यालयों में नो प्रॉफिट नो लॉस के आधार पर अधिवक्ताओं को आवास विकास व विकास प्राधिकरण के माध्यम से भूखंड/ आवास मुहैया कगया जाए। साथ ही अधिवक्ता सुरक्षा कानून भी लागू किया जाए। प्रेसवार्ता में बार काउंसिल के पूर्व चेयरमैन हरिशंकर सिंह, जय नारायण पांडे, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह सहित कई पदाधिकारी मौजूद रहे।
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