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Raju Srivastava: बिकरू कांड बना पॉलिटिकल मुद्दा, राजू बोले विकास दुबे का मरना जरूरी था,गाड़ी पलटी हो या पलटाई गई हो

सुमित शर्मा, कानपुर
कुख्यात अपराधी विकास दुबे (Vikas Dubey) के एनकाउंटर ने यूपी में ब्राह्मण वोट बैंक का गणित बिगाड़ने का काम किया था। विकास दुबे एनकाउंटर के बाद ये माना जा रहा है कि यूपी का ब्राह्मण प्रदेश सरकार से नाराज है। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Vidhansabha Chunav 2022) में एक बार फिर से ब्राह्मण वोट बैंक की राजनीति शुरू हो गई है। हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव (Raju Srivastav) ने विकास दुबे के एनकाउंटर को सही ठहराया है। उन्होंने कहा कि विकास दुबे का मरना जरूरी था, चाहे गाड़ी पलटी हो या फिर पलटाई गई हो।

दुर्दांत अपराधी विकास दुबे ने बीते 02 जुलाई 2020 की रात अपने गुर्गों के साथ मिलकर आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी। बिकरू कांड (Bikaru Kand) के बाद एसटीएफ ने विकास दुबे समेत 6 बदमाशों को एनकांउटर में मार गिराया था। जिसमें विकास दुबे, अतुल दुबे, प्रेमप्रकाश पांडेय, प्रभात मिश्रा, बउन दुबे, अमर दुबे शामिल थे। इसके बाद पुलिस ने खुशी दुबे को जेल भेजा था। ये मामला प्रदेश सरकार के लिए गले की फांस बन गया है। विपक्षी पार्टियां खुशी दुबे मामले में आज भी सरकार को घेर रही हैं।

‘विकास का मरना जरूरी था’
हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव ने वायरल वीडियो में कहा कि कानपुर वाले विकास दुबे ने सबसे ज्यादा ब्राह्मणों को मारा था। उसका मरना बहुत जरूरी था, चाहे गाड़ी पलटी हो या पलटाई गई हो। सभी ब्राह्मण संतुष्ट हैं। बहुत सारे ब्राह्मण परिवारों को मैं जानता हूं, जो आज भी बिलख रहे हैं। विकास दुबे के जुल्म की कहानी आज भी बयां करते हैं। इसलिए 2022 में ब्राह्मण किसी गलतफहमी में नहीं हैं। ब्राह्मण बीजेपी एकता जिंदाबाद।

ब्राह्मण महासभा प्रदेश सरकार से नाराज
अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा प्रदेश सरकार से बेहद नाराज है। विकास दुबे के खास राजदार अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को भी बिकरू कांड में आरोपी बनाया गया था। खुशी तीन दिन पहले ही विदा होकर गांव आई थी। ब्राह्मण सभा का कहना था कि जिस लड़की की तीन दिन पहले शादी हुई हो, वो इतनी बड़ी घटना की साजिश में कैसे शामिल हो सकती है। खुशी दुबे की कानूनी लड़ाई का खर्च ब्राह्मण सभा उठा रही है।

सभी राजनीतिक पार्टियां ब्राह्मण वोटरों को साधने में जुटी
उत्तर प्रदेश में 18 फीसदी ब्राह्मण हैं, जो किसी भी राजनीतिक पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने का दम रखते हैं। बीएसपी सुप्रीमों ने मायावती को 2007 में ब्राह्मण वोट बैंक ने सत्ता तक पहुंचाया था। यूपी विधानसभा चुनाव के लिए बहुत ही कम समय बचा है। एसपी, बीएसपी और कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियां इस बात को जानती हैं कि ब्राह्मण वोट बैंक एक बड़ा हिस्सा प्रदेश सरकार से नाराज है। इसका फायदा उठाते हुए सभी राजनीतिक दल ब्राह्मण वोटरों को साधने में जुटे हैं।