हाइलाइट्सबहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा का ऐलानमायावती, सतीश चंद्र, कपिल मिश्र और आकाश आनंद नहीं लड़ेंगे चुनावमायावती और सतीस चंद्र मिश्र चुनाव में करेंगे मैनेजमेंटलखनऊ
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा प्रमुख मायावती और बीएसपी महासचिव सतीश चंद्र मिश्र चुनाव नहीं लड़ेंगे। मायावती ने बहुत पहले ही साफ कर दिया था कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगी। वहीं सतीश चंद्र ने भी चुनाव न लड़ने का फैसला लिया है। हालांकि सतीश चंद्र मिश्र आज तक कभी भी चुनाव नहीं लड़े हैं। पार्टी नेताओं ने कहा कि सतीश चंद्र पार्टी के मैनेजमेंट के लिए जाने जाते हैं इसलिए वह चुनाव नहीं लड़ेंगे।
सतीश चंद्र मिश्र ने कहा, ‘मैं राज्यसभा का सदस्य हूं, कई प्रदेशों में चुनाव हो रहे हैं और बहन मायावती जी को चुनाव लड़वाना है। हम लोग चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।’
चुनाव में न उतरने के सवाल पर सतीश चंद्र मिश्र ने कहा कि चुनाव के दौरान मायावती की रैलियां होती थीं। हर जिले में मायावती की रैलियां होतीं लेकिन कोविड के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके बेटे कपिल मिश्र, मायावती के भतीजे आकाश आनंद भी चुनाव नहीं लड़ेंगे।
बड़ी जीत का दावा
बसपा सुप्रीमो मायावती ने ऐलान किया है कि पार्टी सभी 403 सीटों पर यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने वाली है। उन्होंने किसी भी अन्य पार्टी से गठबंधन से इनकार कर दिया और कहा कि साल 2007 की तरह ही इस बार भी अगर उन्हें सत्ता मिलती है तो वे सभी वर्गों का ध्यान रखेंगी। मायावती ने रविवार को अतिपिछड़ा वर्ग, मुस्लिम समाज और जाट समुदाय के पार्टी के नेताओं के साथ एक बड़ी बैठक लखनऊ में बुलाई थी।
323 नाम फाइनल
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीएसपी के 323 टिकट फाइनल हो गए हैं। अभी 80 सीटों प्रत्याशी तय होना बाकी हैं। बीएसपी प्रमुख मायावती के साथ वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक में तय किया गया कि तीन दिन के भीतर सभी टिकट फाइनल कर लिए जाएंगे। प्रत्याशियों की पहली लिस्ट 15 जनवरी के बाद घोषित की जाएगी।
बड़े नेता हो चुके हैं पार्टी से बाहर
बसपा संस्थापक कांशीराम के दौर में पार्टी से जुड़े ज्यादातर प्रमुख नेता अब पार्टी से बाहर हो चुके हैं। उस दौरान बसपा में पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, राज बहादुर, आरके चौधरी, दीनानाथ भास्कर, मसूद अहमद, बरखूराम वर्मा, दद्दू प्रसाद, जंगबहादुर पटेल और सोनेलाल पटेल जैसे नेता हुआ करते थे। इनके अलावा स्वामी प्रसाद मौर्य, जुगुल किशोर, सतीश चंद्र मिश्र, रामवीर उपाध्याय, सुखदेव राजभर, जयवीर सिंह, ब्रजेश पाठक, रामअचल राजभर, इंद्रजीत सरोज, मुनकाद अली और लालजी वर्मा ने भी अहम रोल निभाया है।
लेकिन पार्टी में जैसे-जैसे मायावती का प्रभाव बढ़ता गया, एक-एक करके नेता बाहर होते गए। किसी ने अपनी पार्टी या संगठन बना अलग राह चुनी तो कई लोगों ने दूसरे दलों का दामन थाम लिया।
फिलहाल सोशल इंजीनियरिंग की माहिर कही जाने वालीं मायावती ने इस विधानसभा चुनाव को लेकर अपने क्या दांवपेच सोच रखे हैं यह तो वक्त बताएगा। लेकिन पार्टी के जिन नेताओं ने बसपा का साथ छोड़ा है, उनकी भरपाई मायावती कैसे कर पाएंगी और क्या नए चेहरे मायावती को ताकत दे पाएंगे। इन सवालों के जवाब तो विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ही तय हो सकेगा।
मायावती और सतीश चंद्र मिश्र
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