लखनऊ से LIVE
उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में चुनावी रणभेरी बज चुकी है। शनिवार की सुबह में जब न्यूज फ्लैश हुआ कि दोपहर साढ़े 3 बजे से चुनाव आयोग प्रेस कॉन्फ्रेस करेगा, तब से ही फिजाओं में राजनीति का रंग घुलने लगा। देश की राजनीति के सबसे बड़े अखाड़े यूपी की राजधानी लखनऊ का हाल जानने एनबीटी ऑनलाइन की चुनावी यात्रा की टीम ने सड़कों का रुख किया। बीजेपी, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस के दफ्तरों में हाल जाना। प्रदेश की राजनीति में सक्रिय बड़े नामों से लेकर चौराहों पर चाय की दुकानों पर मिले लोगों तक से बात की। आइए जानते हैं कैसा रहा माहौल…
विधानसभा के सामने सामने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश कार्यालय है। हजरतगंज चौराहे से बर्लिंगटन की तरफ बढ़ने पर बीजेपी दफ्तर से सटी दीवार से लगी ऊंगलियों पर गिनने लायक कुछ गाड़ियां खड़ी नजर आती हैं। दफ्तर के मेन गेट के बाहर चाय और नाश्ते की कुछ दुकानों पर खादी कुर्ता और सदरी पहने नजर आते लोगों की चहल-पहल है। अंदर जाने पर बाईं तरफ बने एक मंदिर में कुछ लोग बैठकर पंजाब में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ हुई घटना को लेकर उनकी लंबी उम्र की कामना करते दिखते हैं। सामान्य चहल पहल के अलावा लोग सीमित संख्या में ही दिखाई देते हैं।
आगे बढ़ने पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनलों के रिपोर्टर कैमरे के सामने माइक थामे दिखते हैं। बिल्डिंग के अंदर बाहर लोगों के आने-जाने का सिलसिला जारी है। बीजेपी में एक विशेष जिम्मेदारी संभाल रहे प्रभारी के साथ हमारी बातचीत के बीच में ही भदोही जिले से अधेड़ उम्र के एक शख्स प्रवक्ता बनाने के लिए निवेदन करते हैं। एक अन्य कमरे में प्रदेश प्रभारी किसी पैनल डिबेट में बैठे नजर आते हैं। पार्टी दफ्तर में मिले एक नेताजी बताते हैं कि बीते 3-4 दिनों से कोविड के मामलों में आए उछाल के बाद से यहां आवाजाही कम हो गई है। नाम नहीं जाहिर होने देने की शर्त पर वो नेताजी कहते हैं कि भाई साहब! कोई बड़ा नेता आज नहीं है.. नहीं तो यहां तिल रखने की भी जगह नहीं होती।
चुनाव आयोग की तरफ से तारीखों के ऐलान से ठीक पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पार्टी ऑफिस में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं। इस दौरान हम भी विक्रमादित्य मार्ग पर स्थित पार्टी मुख्यालय के लिए निकलते हैं। रेड लाइट से आगे बढ़ते ही चार पहिया गाड़ियों का हुजूम नजर आता है, जिनकी संख्या आगे बढ़ने के साथ ही बढ़ती जाती है। इतनी बड़ी संख्या में गाड़ियां की गिनना मुश्किल। यहां प्रदेश भर से समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता और टिकट की उम्मीद पाले लोग इकट्ठा हैं।
सपा दफ्तर के बाहर हुजूम
सपा दफ्तर के गेट को बंद कर दिया गया है। गेट के अंदर और बाहर केवल और केवल लाल टोपियां ही नजर आती हैं। अंदर जाने पर नेता और कार्यकर्ता रोड के किनारे खड़े होकर अखिलेश यादव के समर्थन में नारेबाजी करते हैं। अखिलेश जब निकलने को होते हैं, तब गेट को बंद कर दिया जाता है। इस बीच सुरक्षा कर्मियों के साथ अंदर आने की इच्छा लिए लोगों की बहस होती रहती है।
कानपुर के एक विधायक, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक पूर्व छात्र नेता, गोंडा के एक ब्लॉक प्रमुख, मऊ जिले के एक नेता, आगरा के एक चेयरमैन… ये सपा पार्टी दफ्तर के बाहर खड़ी गाड़ियों के शीशों पर चिपके नेताओं के पोस्टर का महज नमूना भर है। 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले के मुद्दे उठाए कुछ लोग भी हैं। सामने सड़क पर झंडा, बैनर, स्टिकर, बिल्ला, टोपी, फोटो बेचने वाले कुछ दुकानदार हैं। एक इंटरप्राइजेज पर खड़े सज्जन बोलते हैं- कुछ दिनों से लोगों की संख्या बढ़ती हा जा रही है।
नेताओं की गाड़ियों से पटी सड़क
चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद हम लखनऊ स्थित कांग्रेस पार्टी के ऑफिस भी पहुंचते हैं। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के पोस्टर लगे हैं। तमाम जगहों से दावेदार पोस्टरों के साथ ही दफ्तर के इर्द-गिर्द भी मौजूद नजर आते हैं। हमारे यहां पहुंचने पर शाम हल्की सी ढल चुकी होती है। कोरोना की वजह से प्रियंका गांधी ने दोपहर में ही वर्चुअल रैली की। लड़की हूं-लड़ सकती हूं के मुद्दे पर उन्होंने संवाद किया।
बीजेपी ऑफिस कैम्पस के सामने विधानसभा
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