भारतीय मजदूर संघ ने 4515 एंबुलेंस वाहनों के लिए आठ घंटे की शिफ्ट के हिसाब से 27 हजार से अधिक चालकों और तकनीकी स्टाफ की सरकार से मांग की है। इसके लिए संघ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से जानकारी मांगी है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने भारतीय मजदूर संघ यूपी की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि 108 और 102 एंबुलेंस में पर्याप्त संख्या में चालक और कर्मचारी बनाए रखने के लिए क्या करवाई की गई है?
याचिका के अनुसार राज्य सरकार ने आपातकालीन चिकित्सा परिवहन सेवाएं प्रदान करने के लिए 4515 एंबुलेंस खरीदे थे। इनको सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार का सेवा प्रदाता कंपनियों के साथ एक समझौता किया गया था। जिसका उद्देश्य केंद्रीकृत कॉल सेंटर के माध्यम से एंबुलेंस चलाने के लिए और तकनीकी कर्मचारियों सहित मानव शक्ति भी प्रदान करना था।
याचिका में कहा गया था कि कोविड-19 का संक्रमण बढ़ने पर 24 घंटे एंबुलेंस स्टाफ की आवश्यकता हो सकती है। ऐसे में प्रतिदिन 102 और 108 एंबुलेंस चलाने के लिए आठ घंटे की शिफ्ट के हिसाब से लगभग 27,090 ड्राइवरों और तकनीकी कर्मचारियों की प्रदेश में आवश्यकता है। जबकि सर्विस प्रोवाइडर कंपनी केवल 6 हजार ड्राइवर और टेक्नीशियन को ही हायर करती है।
याची की ओर से कहा गया कि दूसरी लहर के दौरान कई एंबुलेंस चालक संक्रमित हो गए और उन्हें 14 दिनों के लिए क्वारैंटाइन होना पड़ा। यदि ऐसी स्थिति फिर आती है, तो राज्य सरकार और सेवा प्रदाताओं को प्रदेश में उचित एंबुलेंस सेवा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मचारी सुनिश्चित करना चाहिए। याचिका में मांग की गई कि प्रत्येक एंबुलेंस के लिए कम से कम तीन चालक और तीन तकनीकी कर्मचारी तथा उनकी आठ घंटे की नियमित शिफ्ट चाहिए।
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