आगरा
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले योगी आदित्यनाथ सरकार को बड़ा झटका लगा है। तेलंगाना ने यूपी से आलू की सप्लाई पर रोक लगा दी है। इसे लेकर उत्तर प्रदेश के आगरा के आलू उत्पादक किसान भी बेहद नाराज हैं। उन्होंने बताया कि पिछली बार फसल बेहद अच्छी होने के कारण उनके भंडार में काफी आलू बचा हुआ है। ऐसे में अगर तेलंगाना आलू आयात पर रोक नहीं हटाता है, तो इसे सड़क पर फेंकना होगा।
वहीं तेलंगाना सरकार का कहना है कि उनके राज्य में ताजे आलू का उत्पादन पर्याप्त मात्रा में होने लगा है। ऐसे में वह आगरा के कोल्ड स्टोरेज में रखे पुराने आलू की खरीद क्यों करेंगे? इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट में आगरा आलू उत्पादक किसान समिति के महासचिव आलमगीर ने बताया कि 50-50 किलो के आलू के तकरीबन 500 बोरे 100 ट्रकों पर लदकर यूपी से रोजाना तेलंगाना जाते हैं। इनमें से अकेले आगरा से ही 50 से 60 ट्रक जाता है।
उन्होंने बताया कि यूपी से देश के कई राज्यों में आलू के 700 से 800 ट्रक हर रोज जाते हैं। इनमें तकरीबन तीन चौथाई सिर्फ महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में जाता है।
सड़क पर फेंकना पड़ेगा आलू
एक कोल्ड स्टोर के मालिक डूंगर सिंह ने बताया कि आगरा में पिछले साल आलू की बंपर फसल हुई थी। इसकी वजह से 4 से 5 फीसदी यानी कि 50 से 60 लाख किलो के आलू के बोरे पिछली फसल के बच गए हैं, जो कोल्ड स्टोरेज में संरक्षित किए गए हैं। अगर तेलंगाना इनकी खरीद से इनकार कर देता है तो हमे इसे सड़क पर फेंकना पड़ेगा क्योंकि हमें फरवरी में आने वाली ताजी फसलों को भंडार में रखने के लिए जगह चाहिए।
कृषि मंत्री ने किया फैसले का बचाव
वहीं, इसे लेकर तेलंगाना के कृषि मंत्री एस निरंजन रेड्डी ने अपनी सरकार के फैसले का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि जो आलू उत्तर प्रदेश से आ रहे हैं, वो पिछले साल की फसल के हैं। उन्हें कोल्ड स्टोर्स में रखा गया था। उन्होंने सवाल किया कि हमें पिछले साल के ‘बासी’ आलू क्यों खाना चाहिए जबकि तेलंगाना में उत्पादित फसल के नए आलू रायथू बाजार में आ गए हैं। उन्होंने कहा कि तेलंगाना आलू उत्पादन के लिए सबसे उपयुक्त जगह है। खासतौर पर जबसे हमने सिंचाई की व्यवस्था ठीक की है, उसके बाद से। उन्होंने कहा कि हम ताजे आलू के उत्पादन और व्यापार का उद्देश्य लेकर चल रहे हैं।
यूपी में आलू की फसल
बता दें कि उत्तर प्रदेश में आमतौर पर अक्टूबर मध्य या फिर नवंबर की शुरुआत में आलू बोया जाता है। इसे फरवरी के अंत या मार्च के पहले हफ्ते में काट लिया जाता है। यूपी के किसान फसल का पांचवा हिस्सा बेचते हैं। बाकी को कोल्ड स्टोर में रखते हैं ताकि उसे नवंबर की अगली फसल लगाने तक बेचा जा सके। इस दौरान हिमाचल, पंजाब, कर्नाटक, महाराष्ट्र और यूपी के भी कुछ हिस्सों में ताजे आलू की खेप मार्केट में आ जाती है।
तेलंगाना में होगी आलू की खेती
तेलंगाना में यूपी से काफी मात्रा में आलू का आयात किया जाता था लेकिन अब वहां की सरकार ने इस पर रोक लगा दी है। तेलंगाना में खासतौर पर संगारेड्डी जिले के जहीराबाद इलाके में में फिलहाल 3500 से 4 हजार एकड़ में आलू की खेती की जा रही है। प्रदेश में फसल वैविध्य को ध्यान में रखते हुए तेलंगाना सरकार आलू के उत्पादन पर जोर देने लगी है। कृषि मंत्री ने बताया कि तेलंगाना में एक लाख एकड़ या इससे ज्यादा की भूमि पर आलू की खेती किए जाने का स्कोप है। उन्होंने कहा कि इसमें थोड़ा समय लगेगा लेकिन हम इस मकसद पर काम कर रहे हैं।
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