स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई से लेकर आजादी तक का गवाह रहा झांसी रेलवे स्टेशन अब वीरांगना लक्ष्मीबाई के नाम से जाना जाएगा। एक जनवरी को यह रेलवे स्टेशन 133 पूरे करेगा। इसका उद्घाटन एक जनवरी वर्ष 1889 को हुआ था। ग्रेट इंडियन पेनिनसुलर रेलवे ने इसको स्थापित किया था। बुधवार को गृह मंत्रालय के प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए राज्य सरकार ने स्टेशन का नाम बदलने की अधिसूचना जारी कर दी है। अब रेल मंत्रालय से आदेश मिलते ही मंडल रेल प्रशासन नाम बदलने की विभागीय प्रक्रिया शुरू करेगा।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब किसी स्टेशन या शहर का नाम बदला गया हो। समय-समय पर सरकारें ऐसा करती रही हैं। योगी सरकार से पहले सपा और बसपा की सरकार में भी नाम बदलने की प्रथा चलन में रही है। भाजपा नाम बदलने के पीछे विदेशी आक्रांताओं द्वारा जबरन नाम बदलने का कारण बताती है। अब आपको योगी सरकार में शहरों, बाजारों और स्टेशनों के बदले नामों से रूबरू कराते हैं। इसके साथ ही पूर्व की सरकारों में बदले गए स्थानों के नामों के बारे में बताते हैं।
योगी सरकार में बदले गए स्थानों के नाम
गोरखपुर का उर्दू बाजार अब हिंदू बाजार के नाम से जाना जाता है। वहीं मियां बाजार को लोग अब माया बाजार बुलाते हैं।
मुगलसराय स्टेशन का नाम दीनयदयाल उपाध्याय के नाम किया गया।
फैजाबाद अब अयोध्या के नाम से जाना जाता है।
कानपुर का पनकी स्टेशन अब पनकी धाम के नाम से जाना जाता है।
दिल्ली स्थित यूपी सदन का नाम उत्तर प्रदेश सदन त्रिवेणी रखा गया है।
यूपी भवन का नाम उत्तर प्रदेश भवन संगम किया गया है।
इलाहाबाद शहर का नाम प्रयागराज किया गया। इसके साथ ही प्रयागराज के चार रेलवे स्टेशनों के नाम बदले गए। इलाहाबाद जंक्शन प्रयागराज जंक्शन। रामबाग प्रयागराज जंक्शन बना। इलाहाबाद छिवकी स्टेशन का नाम भी बदला गया। प्रयागराज घाट अब प्रयागराज संगम के नाम से जाना जाता है।
योगी सरकार पर नाम बदलने को लेकर सपा और बसपा हमलवार रही है। लेकिन बसपा और सपा के कार्यकाल में भी नाम बदलने की प्रथा का चलन रहा है। मायावती ने सत्ता में आने पर कासगंज का नाम कांशीराम नगर किया। अमेठी को छत्रपतिशाहूजी नगर नाम दिया। इसी तरह कानपुर देहात को रमाबाई नगर, अमरोहा को ज्योतिबा फुले नगर, हापुड़ को पंचशील नगर, शामली को प्रबुद्धनगर, हाथरस को महामाया नगर, संभल को भीमनगर, नोएडा को गौतमबुद्धनगर और फैजाबाद जिले के एक हिस्से को अंबेडकरनगर का नाम दिया।
वहीं, अखिलेश यादव ने कांशीराम नगर को कासगंज, रमाबाई नगर को कानपुर देहात, अमेठी को गौरीगंज, ज्योतिबा फूले नगर को अमरोहा, महामाया नगर को हाथरस, प्रबुद्ध नगर को शामली और भीमनगर को फिर से बहजोई कर दिया। अखिलेश के इस फैसले का मायावती ने जमकर विरोध किया था।
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