हाइलाइट्ससंपत्ति विवाद में मौत की सजा पाने वाले मोमिन खान की हुई रिहाईआठ साल पहले छह लोगों की निर्मम हत्या के आरोप में हुए थे गिरफ्तारनिचली अदालत ने छह साल पहले दे दी थी मौत की सजाहाईकोर्ट ने मौत की सजा पर लगाई थी मुहर, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रिहाईअलीगढ़
अगर आपको किसी ऐसे आरोप में सजा मिल जाए, जिसके आप हकदार नहीं हो, तो यह स्थिति आपको अंदर तक तोड़ देती है। कुछ ऐसा ही हुआ बुलंदशहर के रहने वाले मोमिन खान के साथ। आठ वर्षों तक उन्हें जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ा, हर दिन मौत की आहट के साथ। अलीगढ़ में अपने संबंधी के यहां आए मोमिन से सुप्रीम कोर्ट के आए आदेश के बारे में पूछा गया तो उनकी आंखों से बहते आंसू ने पूरे हालात की गवाही दे दी।
मोमिन कहते हैं कि मैंने नरक झेला है। जेल में मैंने सारी उम्मीदें खो दी थी। मुझे यह उम्मीद नहीं थी कि मैं कभी भी जेल से बाहर जिंदा आ पाउंगा। अपने संबंधी के बरामदे पर चारपाई पर बैठे मोमिन को अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि वे जेल से बाहर आ चुके हैं। अपने परिवार के साथ हैं। करीब एक सप्ताह पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत उनकी रिहाई संभव हो सकी।
फांसी के दिन गिन रहे थे मोमिन
मोमिन फांसी के लिए जेल में दिन गिन रहे थे। वे खुद इस बात को स्वीकार करते हैं कि मुझे लगता था, फांसी के दिन आने वाले हैं। मुझे दिल से लग रहा था कि मैं मरने वाला हूं। कोर्ट में चल रही कार्रवाई मुझे औपचारिकता लगती थी। करीब आठ साल बाद 18 दिसंबर वे आगरा सेंट्रल जेल से रिहा किए गए। करीब छह साल पहले उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। इतने साल उन्होंने फांसी की सजा को मानकर अपना दिन बिताया।
सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत
सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर को संपत्ति विवाद में अपने माता-पिता, भाई और अन्य रिश्तेदारों की हत्या के आरोपी समेत तीन की मौत की सजा को कम कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि अभियोजन पक्ष संदेह से परे मामले को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि निचली अदालत के साथ-साथ हाई कोर्ट के इस मामले को निपटाने का तरीका देखकर दुख होता है।
जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि हम पाते हैं कि अभियोजन पक्ष मामले को उचित संदेह से परे साबित करने में पूरी तरह से विफल रहा है। आरोपी को दोषसिद्धि और मौत की सजा कानून में पूरी तरह से अस्थिर है।
आठ साल पुराना है मामला
हत्या का यह मामला आठ साल पुराना है। 23 जनवरी 2014 को छह लोगों की बेरहमी से की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में मोमिन खान के पिता मौसम खान, मां असगरी, भाई शौकिन खान, भाभी शन्नो, भतीजे समद और भतीजी मुस्कान और मोमिन पर संपत्ति विवाद के बाद उनकी हत्या का आरोप लगाया गया था। इस मामले में निचली अदालत ने चार लोगों को मौत की सजा सुनाई थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मौत की सजा पाने वाली महिला आरोपी की सजा कम कर दी थी।
नए सिरे से शुरू करेंगे जीवन
मोमिन कहते हैं कि हम अब नए सिरे से अपना जीवन शुरू करेंगे। उनके जेल में रहने के दौरान बेटे की मौत हो गई थी। उनकी पत्नी का गर्भपात हो गया। हालांकि, मोमिन का कहना है कि एक नया जीवन मिला है। उसे नए सिरे से शुरू करने का प्रयास करेंगे। हमारे बेशकीमती आठ साल बर्बाद हो गए। उनकी पत्नी नाजरा कहती हैं कि इस केस ने हमारा सबकुछ छीन लिया। इसके बाद भी हम एक नई शुरुआत करने की सोच रहे हैं।
मर्डर केस में मौत की सजा पाने वाले मोमिन खान की सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई रिहाई
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