बुंदेलखंड के अहम जिलों में शामिल बांदा का इतिहास काफी समृद्ध रहा है। इस जिले का नाम ऋषि बामदेव के नाम पर पड़ा था, जिसे बाद में बांदा कहा जाने लगा। आज भी यहां बामदेव मंदिर है। आजादी के आंदोलन में भी यहां के क्रांतिकारियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। बांदा का भूरागढ़ किला, नवाब टैंक और कलिंजर का किला काफी मशहूर है। यहां का माहेश्वरी मंदिर भी आस्था का बड़ा केंद्र है।
जिले में चार विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें बांदा सीट से प्रकाश द्विवेदी, नरैनी से राज करण, बबेरू से चंद्रपाल कुशवाहा और तिंदवारी से ब्रजेश प्रजापति विधायक हैं। 2017 में इन सभी ने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था।
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर यहां का सियासी माहौल गर्म होने लगा है। सवाल उठने लगे हैं कि योगी सरकार के कार्यकाल में यहां कितना विकास हुआ? क्या आम लोग सरकार के कामकाज से खुश हैं? युवा, महिलाएं और आम जनता मौजूदा सरकार के बारे में क्या सोचती है? राजनीतिक दलों के नेताओं का क्या मानना है? वह किन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे? इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ गुरुवार को बांदा में होगा।
आप भी इस मंच से जुड़ सकते हैं। इसके जरिए आप अपने क्षेत्र, शहर, राज्य और देश के हर मुद्दे को उठा पाएंगे। आप बता पाएंगे कि आने वाले चुनाव में नेताओं और राजनीतिक दलों से आपको क्या उम्मीदें हैं? किन मसलों को लेकर आप मतदान करेंगे और नेताओं से आप क्या चाहते हैं?
अब तक पश्चिमी यूपी, ब्रज, अवध और पूर्वांचल के 38 जिलों में ‘सत्ता का संग्राम’ आयोजित हो चुका है। 11 नवंबर को गाजियाबाद से चला रथ मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा, बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, मैनपुरी, एटा, फिरोजाबाद, आगरा, मथुरा, हाथरस, अलीगढ़ होते हुए एक दिसंबर को बुलंदशहर पहुंचा था। इसके बाद हमारा चुनावी रथ अवध और फिर पूर्वांचल में दाखिल हुआ। लखनऊ, अयोध्या, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, गाजीपुर, जौनपुर, मिर्जापुर, वाराणसी, प्रयागराज, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, अमेठी, रायबरेली होते हुए फतेहपुर पहुंचा। चित्रकूट के रास्ते ये चुनावी रथ बुंदेलखंड में दाखिल हुआ है। अब अगला पड़ाव बांदा है।
चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ के तहत हर वर्ग के मतदाताओं तक पहुंचेगा। चाय पर चर्चा के साथ-साथ महिलाओं और युवाओं से संवाद होगा। राजनीतिक हस्तियों से सीधे सवाल पूछे जाएंगे। आपको एक मंच दे रहा है, जहां आप अपनी बातों को रख सकेंगे, ताकि जब राजनीतिक हस्तियां चुनावी रैलियां करने आएं तो उन्हें आपसे जुड़े जमीनी मुद्दे भी याद रहें।
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