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UP Election: यूपी में पहले डीजीपी कॉन्‍फ्रेंस फिर मुख्यमंत्रियों की बैठक, तीन महीने में पीएम मोदी के 9 दौरे, BJP को किस बात का डर सता रहा?

लखनऊ
उत्‍तर प्रदेश चुनाव (UP Assembly Election) होने में अब बहुत वक्‍त नहीं है। तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है। प्रदेश चुनावी रंग में तो काफी पहले से रंग चुका है। इसका इस बात से भी अंदाजा लगाया जा सकता है क‍ि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पिछले तीन महीने में लगभग नौ बार यूपी दौरे पर आ चुके हैं। मंगलवार को वे दो दिन की यात्रा पर वाराणसी पहुंचे। जहां उन्‍होंने काशी विश्‍वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor) का उद्घाटन किया। इसके दूसरे दिन उन्‍होंने भाजपा शासित प्रदेश के मुख्‍यमंत्रियों के साथ बैठक की। इससे पहले वे नवंबर में लखनऊ में आयोजित डीजीपी सम्‍मेलन में भी शामिल होने आए थे। पहले डीजीपी सम्‍मेलन, फिर भाजपा शासित प्रदेश के मुख्‍यमंत्रियों के साथ बैठक, उनकी अयोध्‍या यात्रा, चुनावी समर में क्‍या इनके सियासी मायने भी हैं? इसके पीछे बीजेपी की सियासी रणनीति क्‍या?

बीजेपी का संदेश- मोदी के चेहरे पर ही होगा चुनाव?
वर्ष 2017 यानी जब पिछला विधानसभा चुनाव हुआ था, तब जब सीएम का नाम भी तय नहीं था, तब पीएम मोदी इतने सक्रि‍य नहीं थे, इस बार जबकि योगी को ही बतौर सीएम पेश किया जा रहा, तो इतनी सक्रियता क्‍यों? इस तरह की बैठकें प्रदेश में क्‍यों?

इस बारे में वरिष्‍ठ पत्रकार और राजनीत‍िक मामलों के जानकार शरत प्रधान कहते हैं क‍ि इस तरह की बैठकों से बीजेपी ये भी दिखाना चाहती है क‍ि इस बार का भी चुनाव नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा।

वे कहते हैं, ‘बनारस में हुई मुख्‍यमंत्रियों की बैठक से पार्टी और खुद पीएम ने यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ को अपनी ताकत का एहसास कराया। उन्‍होंने यह बता दिया कि अभी भी चुनाव उनके ही चेहरे पर लड़ा जाएगा।’

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शरत कहते हैं क‍ि पिछले कुछ समय से योगी को ह‍िंदुत्‍व का बड़ा चेहरा बताया जा रहा था, पीएम मोदी ने वाराणसी में जो किया, उससे यह संदेश भी दिया क‍ि इस मामले में भी बीजेपी किसी और को फिलहाल तो स्‍थापित नहीं होने देगी।

वे आगे कहते हैं, ‘काशी विश्‍वनाथ मंदिर हिंदुओं की आस्‍था का केंद्र है। वहां पूजा आरती की बात हो या पूजारियों के साथ बातचीत, फ्रंट पर योगी की मौजूदगी ऐसी जगहों पर न के बराबर रही। पार्टी ने संदेश दे दिया है क‍ि उनके चुनाव में हिंदुत्‍व का मुद्दा केंद्र में होगा इसकी बागडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद संभालेंगे।’

क्‍या योगी की छवि से हुआ नुकसान?
पश्‍च‍िम बंगाल चुनाव के बाद 29 विधानसभा और तीन लोकसभा सीटों पर हुए उप चुनाव में भाजपा के प्रदशर्न भले ही बहुत बुरा ना कहा जा रहा हो, लेकिन कई जगह उसे नुकसान तो उठाना ही पड़ा है। ऐसे में देश के सबसे बड़े सूबे में होने वाले चुनाव को भाजपा हर हाल में जीतना चाहती है। कई पत्र-प‍त्रिकाओं में राजनीतिक संपादक रहे वरिष्‍ठ पत्रकार अंबरीश भी इसी ओर इशारा करते हैं।

वे योगी की छवि को लेकर अपनी बात शुरू करते हैं, ‘ये सवाल ब‍िल्‍कुल जायज हैं क‍ि प्रदेश में दूसरे प्रदेश के सीएम को बुलाकार क्‍यों घुमाया जा रहा या फिर उनके साथ बैठक क्‍यों हो रही है। इसे ऐसे समझना होगा क‍ि कहीं न कहीं बीजेपी आलाकमान योगी की छवि को लेकर आशंकित है।’

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‘लखनऊ में डीजपी की बैठक कराने के पीछे का मकसद यह था क‍ि भाजपा यह बताना चाहती थी क‍ि प्रदेश की कानून व्‍यवस्‍था ठीक है। सहारनपुर और लखीमपुर में जो हुआ, उससे प्रदेश की छवि खराब हुई। अब पीएम मोदी डैमेज कंट्रोल की कोश‍िश कर रहे हैं। कोरोना काल में उत्‍तर प्रदेश की स्‍वास्‍थ्य सुविधाओं पर बहुत सवाल उठे। इन सबको देखते हुए बीजेपी अकेले योगी के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ सकती।’ अंबरीश जोर देते हुए कहते हैं।

इनके सियासी मायने क्‍या हैं?
पहले डीजीपी सम्‍मेलन, फिर भाजपा शासित प्रदेश के मुख्‍यमंत्रियों के साथ बैठक, उनकी अयोध्‍या यात्रा, चुनावी समर में क्‍या इनके सियासी मायने भी हैं?

इसे काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण के बाद पीएम मोदी के भाषण से भी समझा जा सकता है। दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर सुधीर कुमार कहते हैं, ‘पीएम मोदी ने पहले मुगल आक्रमणकारी औरंगजेब पर बात की और फिर छत्रपति शिवाजी महाराज का जिक्र किया। इससे उन्‍होंने हिंदुओं को एकजुट होने का स्पष्ट संदेश दिया। सालार मसूद की जिक्र कर अपने दांव को और मजबूत किया।’

‘सुहेलदेव पर बात कर उन्‍होंने पूर्वांचल में अपनी पैठ मजबूत करने की कोशिश की। सुहेलदेव का जिक्र करके पूर्वांचल में प्रधानमंत्री मोदी ने राजभर वोटों को साधने की कोशिश की। उन्‍होंने अपने सियासी दांव में यह बता दिया क‍ि वे चुनाव हिंदुत्‍व के चेहरे पर ही लड़ेंगे।’

सुधीर कुमार आगे कहते हैं क‍ि ओमप्रकाश राजभर इस बार भाजपा से अलग होकर सपा के साथ जा रहे हैं। पीएम मोदी को इससे होने वाले नुकसान का अंदाजा है। यही वजह उन्‍होंने बनारस में राजा सुहेलदेव का जिक्र कई बार किया। पूर्वांचल में ओम प्रकाश की अच्‍छी पकड़ है।

क्‍या 2024 के लिए अभी से बन रही रणनीति?
वाराणसी दौरे के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान, अरुणाचल प्रदेश के पेमा खांडू, हिमाचल के जयराम ठाकुर, उत्तराखंड के पुष्कर सिंह धामी, असम के हिमंत बिस्व सरमा, गोवा के प्रमोद सावंत, गुजरात के भूपेंद्र पटेल, हरियाणा के मनोहर लाल खट्टर, कर्नाटक के बसवराज बोम्मई, मणिपुर के एन बीरेन सिंह और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लव देव के साथ बैठक की।

ये बिल्‍कुल संभव है क‍ि बैठक में मुख्‍य चर्चा का विषय पांच राज्‍यों में होने वाले चुनाव रहे हों, लकिन राजनीतिक मामलें के जानकार इसे दूरगामी रणनीत‍ि बता रहे हैं।

इस पर अंबरीश कहते हैं, ‘दूसरे राज्‍य के मुख्‍यमंत्रियों को उत्‍तर प्रदेश में बुलाकर उनके साथ बैठक करने या अयोध्‍या भेजने से यूपी चुनाव में इसका बहुत ज्‍यादा फायदा तो नहीं होगा, लेकिन इसके पीछे भाजपा की दूरगामी सोच जरूर है।’

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‘भाजपा कहीं न कहीं अपने उत्‍तर प्रदेश के अपने विकास मॉडल को दूसरे राज्‍यों के लोगों तक पहुंचाना चाहती है। वाराणसी में विश्‍वनाथ कॉरिडोर हो या राम मंदिर निर्माण, बीजेपी इसे विकास की तरह प्रदर्शित कर रही है। दूसरे राज्‍य के सीएम इसका प्रचार अपने राज्‍यों में करेंगे। सरकार 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीत‍ि बनाने में जुट गयी है।’ अंबरीश आगे कहते हैं।

‘बहुत से लोग हैरान हो रहे हैं मुख्‍यमंत्रियों की बैठक मंदिर में क्‍यों हुई। भाजपा ने संदेश दे दिया है क‍ि दूसरे राज्‍यों या आने 2024 के लोकसभा चुनाव में उसका मुद्दा क्‍या होगा।’ शरत प्रधान कहते हैं।

चुनाव के समय इस तरह की बैठक एक बड़ा संदेश देती है। सुधीर कुमार कहते हैं क‍ि ऐसा नहीं है क‍ि भाजपा विकास के एजेंडे पर चुनाव नहीं लड़ेगी। भाजपा उत्‍तर प्रदेश में हुए विकासकार्यों का दूसरे राज्‍य में बतौर उदाहरण पेश करना चाहती है।