Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

Saryu Canal project: 12 पीएम और 15 सीएम का कार्यकाल में अटकी रही थी सरयू नहर परियोजना, पिछले 4 साल में मिली रफ्तार, जानिए क्या है इसके राजनीतिक लाभ?

बलरामपुर
पूर्वांचल के किसानों की तकदीर बदलने वाली सरयू नहर योजना का उद्घाटन हो गया है। करीब 44 वर्षों से अटकी इस परियोजना का लाभ 9 जिलों को मिलना शुरू हो जाएगा। इस योजना की शुरुआत 1978 में हुई थी लेकिन बजट के अभाव में इस पर काम पूरा न हो सका। 44 साल के अंतराल में इस परियोजना ने 12 प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के 15 मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल देखा। योगी सरकार का दावा है कि पिछले चार साल में इस प्रोजेक्ट में तेजी आई और आज इसका लोकार्पण हो रहा है।

सरयू नहर परियोजना से 5 नदियों घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिन नदी को जोड़ा गया है। 318 किलोमीटर लम्बी मुख्य नहर और इससे जुड़ी 6,600 किलोमीटर लिंक नहरों वाली उक्त नहर से पूर्वांचल के नौ जिलों बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, बस्ती, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, संत कबीर नगर और गोरखपुर के 29 लाख किसानों को लाभ मिलेगा।

12 पीएम और 15 सीएम के कार्यकाल के गवाह बना प्रोजेक्ट
इस परियोजना की परिकल्पना 1971 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने की थी लेकिन पूरा होने में पांच दशक बीत गए। सरयू नहर परियोजना देश के 12 प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के 15 मुख्यमंत्री के कार्यकाल की गवाह बन गई। पिछले चार साल में इस परियोजना के काम में तेजी लाई गई।

1978 में इस पर बहराइच से शुरू काम
साल 1978 में बहराइच और गोंडा जिले के किसानों को सिंचाई का फायदा पहुंचाने के लिए घाघरा कैनाल (लेफ्ट बैंक) के नाम से यह परियोजना शुरू हुई थी। साल 1982-83 में परियोजना का विस्तार पूर्वांचल के ट्रांस घाघरा-राप्ती-रोहिणी क्षेत्र में किया गया। कुल 9 जिलों को इसमें शामिल किया गया। उस दौरान भारत सरकार ने इसका नाम बदलकर सरयू नहर परियोजना रख दिया। यह तय किया गया कि इसमें घाघरा के साथ राप्ती, रोहिन को भी नहर प्रणाली से जोड़ा जाएगा।

2012 में राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर दिया
परियोजना की महत्ता और उपयोगिता के मद्देनजर केंद्र ने 2012 में इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर दिया। इसके तहत पूर्वांचल के नौ जिलों में 14.04 लाख हेक्टेयर रकबे में सिंचाई क्षमता का विस्तार कर वहां के लाखों किसानों को लाभान्वित किया जाना है। इससे सरयू मुख्य नहर, राप्ती मुख्य नहर और गोला पंप कैनाल, डुमरियागंज पंप कैनाल अयोध्या पंप कैनाल और उतरौला पंप कैनाल के कुल 6,590 किमी लंबाई में नहर प्रणाली का विस्तार किया गया है।

2017 के बाद योजना को लगे पंख
सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना को भारत सरकार की नदी घाटी जोड़ो परियोजना से जोड़ा गया। 2017 में आई योगी सरकार ने सरय नहर परियोजना को पूर्ण किए जाने के संकल्प के साथ परियोजना पर पर्याप्त बजट उपलब्ध कराया। सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना के निर्माण की कुल लागत 9800 करोड़ रुपये से अधिक है, जिसमें से 4600 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान पिछले चार वर्षों में किया गया।

सरयू परियोजना से किसानों को क्या लाभ?
सरयू नहर परियोजना से जुड़े इन जिलों में हर साल आने वाली बाढ़ की समस्या भी काफी हद तक स्थाई हल हो जाएगी। सरयू नहर परियोजना के निर्माण से कई लाभ होंगे। एक तरफ जहां किसानों को खेतों में सिंचाई के लिए मुफ्त पानी की सुविधा मिलेगी, वहीं दूसरी तरफ बाढ़ की त्रासदी भी कम होगी। नदियों के पानी का डायवर्जन नहरों में होने से बाढ़ का असर कम होगा। पशु-पक्षी भी अपनी प्यास बुझा सकेंगे।

सरयू परियोजना के राजनीतिक मायने?
राजनीतिक लिहाज से बात करें तो यूपी चुनाव के दौरान बीजेपी इसे अपनी सरकार की उपलब्धि बताकर भुनाएगी। इससे पहले पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और कुशीनगर एयरपोर्ट भी सरकार आम जनता को सौंप चुकी है। इन सभी प्रोजेक्ट के जरिए बीजेपी पूर्वांचल की 164 विधानसभा सीटों पर अपना सिक्का जमाने की कोशिश करेगी।

पूर्वांचल में यूपी की 33 फीसदी विधानसभा सीटें आती हैं। 2017 में 27 साल बाद बीजेप को यहां बहुमत मिला था। इससे पहले राममंदिर लहर में 1991 में जब बीजेपी पहली बार यूपी की सत्ता पर काबिज हुई तो 221 सीट लेकर आई थी। चूंकि उस समय परिसीमन नहीं हुआ था तो पूर्वांचल की 28 जिलों में कुल 152 में से 82 सीटें बीजेपी के खाते में आई थीं।