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Meerut News: देश का 47वां और यूपी का 10वां रामसर स्थल बना हैदरपुर वेटलैंड, जानिए क्या होता है वेटलैंड

मेरठ
वेस्ट यूपी की हैदरपुर वेटलैंड रामसर साइट घोषित की गई हैं। यह देश का 47वां और उत्तर प्रदेश का 10वां स्थल होगा। रामसर साइट का दर्जा मिलने के बाद अब संरक्षण के तौर तरीके बदल जाएंगे। केंद्र और प्रदेश सरकार यहां विकास के काम कराएंगी। यहां पर पक्षियों, जलीय जीवों, वन्य जीवों की कई-कई प्रजातियां मौजूद हैं। वैसे वेटलैंड हस्तिनापुर अभ्यारण्य में पहले से हैं। जो संरक्षण की श्रेणी में आता है यहां पर शिकार प्रतिबंध है।

क्या होते हैं वेटलैंड
जैव विविधता वाले क्षेत्र में भरपूर नमी पाई जाती है। जहां वर्ष भर आंशिक रूप से या पूर्णत: पानी भरा रहता है। ऐसी नमी या दलदली भूमि वाले क्षेत्र को आर्द्रभूमि या वेटलैंड कहा जाता है।

उत्तर प्रदेश में ऊपरी गंगा नदी, ब्रजघाट से नरौरा खिंचाव साण्डी पक्षी अभयारण्य, समसपुर पक्षी अभयारण्य हरदोई, नवाबगंज पक्षी अभयारण्य रायबरेली, समन पक्षी अभयारण्य उन्नाव, पार्वती अरगा पक्षी अभयारण्य मैनपुरी, सरसई नावर झील गोंडा, सुर सरोवर (कीठम) इटावा, आगरा और हैदरपुर वेटलैंड रामसर स्थल घोषित हैं। दरअसल, बिजनौर गंगा बैराज के 6908 हेक्टेयर क्षेत्र में हैदरपुर वेटलैंड एक झील है।

1984 में बनाई गई थी झील
1984 में मध्य गंगा बैराज के निर्माण के दौरान यह झील बनाई गई थी। इसका मकसद बाढ़ आने पर ज्यादा से ज्यादा पानी को स्टोर कर लेना था। हैदरपुर वेटलैंड में हिरण सहित कई जानवरों, 30 से अधिक प्रजातियों के पेड़-पौधे, पक्षियों की 300 से अधिक प्रजातियां, 102 जलपक्षी, 40 से ज्यादा प्रजाति की मछलियां और दस से अधिक स्तनपायी प्रजातियां मिलती हैं। विश्व स्तर पर संकटग्रस्त घोषित 15 से अधिक प्रजातियां भी यहां मौजूद हैं। इनमें घड़ियाल (गेवियलिस गैंगेटिकस) और लुप्तप्राय हॉग हिरण (एक्सिस पोर्सिनस), ब्लैक-बेलिड टर्न (स्टर्ना एक्यूटिकौडा), स्टेपी ईगल (एक्विला निपलेंसिस), भारतीय स्किमर (रिनचोप्स एल्बीकोलिस) और गोल्ड महासीर (टोर पुति टोरा) शामलि हैं।

सबसे पहले मेरठ में तैनात रहे तत्कालीन चीफ मुख्य वन संरक्षक मुकेश कुमार ने 2016 में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के साथ मिलकर पूरी हस्तिनापुर सेंचुरी में वेटलैंड का सर्वे कराया था। तब सर्वे में 41 प्रजातियों के पक्षी मिले थे। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के कोऑर्डिनेटर संजीव यादव के मुताबिक डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के वेटलैंड एंड पॉलिसी डायरेक्टर सुरेश बाबू स्वयं इसके लिए हैदरपुर वेटलैंड आए थे। सेवानिवृत्त वन संरक्षक वीके जैन, तत्कालीन कमिश्नर सहारनपुर संजय कुमार ने इसे विकसित करने में खास भूमिका निभाई है।