उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 268 किलोमीटर दूर आजमगढ़ का अतीत अत्यंत गौरवशाली रहा है। तमसा नदी के पावन तट पर स्थित इस जनपद का ऐतिहासिक दृष्टि से अपना एक अलग स्थान है। इस जनपद को नवाब आजमशाह ने बसाया था, जिसके चलते इसका नाम आजमगढ़ पड़ा। आजमगढ़ आदि काल से ही मनीषियों, ऋषियों, विद्वानों और स्वतंत्रता सेनानियों की जन्म स्थली रही है। इतिहास के पन्नों में इस जनपद का अतीत महिमामंडित रहा है। चीनी की मिलें और वस्त्र बुनाई यहां के प्रमुख उद्योग हैं। गंगा और घाघरा नदी के बीच बसा यह शहर पुरातात्विक, सांस्कृतिक और भौगोलिक दृष्टि से भी खास है।
आजमगढ़ में 10 विधानसभा सीटें हैं। इनमें पांच सीटों पर समाजवादी पार्टी (सपा), चार पर बसपा और एक पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर यहां का सियासी माहौल गर्म होने लगा है। सवाल उठने लगे हैं कि योगी सरकार के साढ़े चार साल के कार्यकाल में यहां कितना विकास हुआ? क्या आम लोग सरकार के कामकाज से खुश हैं? युवा महिलाएं और आम जनता मौजूदा सरकार के बारे में क्या सोचती है? राजनीतिक दलों के नेताओं का क्या मानना है? वह किन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे? इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ शनिवार को आजमगढ़ में होगा।
आप भी इस मंच से जुड़ सकते हैं। इसके जरिए आप अपने क्षेत्र, शहर, राज्य और देश के हर मुद्दों को उठा पाएंगे। आप बता पाएंगे कि आने वाले चुनाव में नेताओं और राजनीतिक दलों से आपको क्या उम्मीदें हैं? किन मसलों को लेकर आप मतदान करेंगे और नेताओं से आप क्या चाहते हैं?
अब तक 25 से अधिक जिलों में हो चुका है कार्यक्रम
अब तक पश्चिमी यूपी, ब्रज, अवध और पूर्वांचल के 25 से अधिक जिलों में ‘सत्ता का संग्राम’ आयोजित हो चुका है। 11 नवंबर को गाजियाबाद से चला रथ मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा, बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, मैनपुरी, एटा, फिरोजाबाद, आगरा, मथुरा, हाथरस, अलीगढ़ होते हुए एक दिसंबर को बुलंदशहर पहुंचा था।
इसके बाद हमारा चुनावी रथ पूर्वांचल में दाखिल हुआ। यह रथ लखनऊ, अयोध्या, गोरखपुर और देवरिया से होते हुए शनिवार को आजमगढ़ पहुंचा। इन जिलों में महिलाओं, युवाओं, कामगारों, नेताओं, व्यापारियों समेत हर वर्ग के लोगों को अपने मन की बात बोलने का मौका दिया गया। लोगों ने खुलकर अपनी समस्याओं और उम्मीदों के बारे में बताया। दूसरे चरण का आगाज सात दिसंबर को यूपी की राजधानी लखनऊ से हुआ। इसके बाद ये चुनावी रथ अयोध्या और गोरखपुर पहुंचा। अब अगला पड़ाव देवरिया है।
‘सत्ता का संग्राम’ में क्या होगा खास?
चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ के तहत हर वर्ग के मतदाताओं तक पहुंचेगा। चाय पर चर्चा के साथ-साथ महिलाओं और युवाओं से संवाद होगा। राजनीतिक हस्तियों से सीधे सवाल पूछे जाएंगे। आपको एक मंच दे रहा है, जहां आप बातों को रख सकेंगे, ताकि जब राजनीतिक हस्तियां चुनावी रैलियां करने आएं तो उन्हें आपसे जुड़े जमीनी मुद्दे भी याद रहें।
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