दो दशक पहले सन 2000 में आगरा के पृथ्वी सिंह चौहान के एयर फोर्स में अधिकारी बनने सरन नगर में खुशियां उमड़ आईं थीं। बधाई देने के लिए लोगों का मजमा लगा था। दो दशक बाद बृहस्पतिवार को भी चौहान भवन में भीड़ थी। इस बार लोग गम में है। सन्नाटे को बीच-बीच में चीरता रुदन घर के बाहर खड़े बच्चों, महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों की आंखें नम कर रहा था।
एयरफोर्स के जांबाज अफसर विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान के पिता सुरेंद्र सिंह चौहान के यहां लोग संवेदना प्रकट करने पहुंचते रहे। संवेदना मिलने पर पल भर के लिए मां, बहन, पिता की सिसकियां धीरे-धीरे शांत हो जातीं। सरन नगर की गली के बाहर 20 साल से ठेल लगा रहे विष्णु कुमार घर के बाहर खड़े होकर यह कहते हुए फफक पड़े कि 20 साल से मुझे मालूम ही नहीं चला कि हिंदुस्तान का जांबाज पायलट आसमान की ऊंचाइयों में देश की आन, बान और शान लिए हवा से खेलने वाला यहां रहता था। घर के बाहर ही काफी लोग नि:शब्द थे, स्तब्ध थे।
शास्त्रीपुरम में रेडीमेड गारमेंट्स की दुकान के संचालक संजय डोगरा कपड़े खरीदने दयालबाग जा रहे थे। सरन नगर के बाहर भीड़ देख रुक गए। सब्जी वाले से पूछा भाई क्या हुआ। डोगरा को जब पता चला कि देश का जांबाज दुनिया का आखिरी समाली दे गया, तो उनके कदम गली की ओर बढ़ गए। घर की देहरी पर माथा टेक लौट लिए। बातचीत में उन्होंने कहा कि कल अपनी बेटियों को भी शौर्य की मिसाल बन चुके देशभक्ति के इस मंदिर को दिखाने लाएंगे।
विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान अनुभवी और भरोसेमंद पायलट थे। एमआई 17वी5 हेलीकॉप्टर की उड़ान पर उनकी पकड़ थी। वर्षों के अनुभव को ध्यान में रखते हुए ही वायु सेना ने उन्हें 109 हेलीकॉप्टर इकाई के कमांडिंग अफसर का जिम्मा सौंपा था। इस हेलीकॉप्टर के जरिए एस-8 रॉकेट, गन, ऑटो कैनन, एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल और प्रीसिशन गाइडेड हथियारों का इस्तेमाल हो सकता है। इसमें अधिकतम 20 पैसेंजरों के अलावा दो पायलट और एक इंजीनियर क्रू का सदस्य रहता है।
कुन्नूर हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हुए आगरा के विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान के परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल है। जब से पृथ्वी के निधन की खबर मिली है, तब से उनकी मां और बहनों के आंसू नहीं थम रहे हैं। विंग कमांडर चार बहनों के इकलौते भाई थे। उनकी दो बहनें आगरा में ही रहती हैं। भाई को याद कर बहनें फफक पड़ती हैं। कहती हैं कि अब वह किसे राखी बांधेंगी।
हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान 31 दिसंबर को आगरा स्थित अपने घर आने वाले थे। उन्हें पिता को जन्मदिन पर सरप्राइज देना था। उन्होंने परिजनों से यह बात साझा भी की थी लेकिन पिता को बताने से मना किया था। बृहस्पतिवार सुबह इसकी जानकारी पिता को हुई। वे बार-बार यही कह रहे थे कि ऐसा सरप्राइज क्यों दे गया मेरा बेटा?
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