गोरखपुर, अनुराग
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में कई सालों से बंद चल रहा खाद कारखाना एक बार फिर से अत्याधुनिक होकर खुलने जा रहा है। हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) की तरफ से बनाए गए खाद कारखाने की वजह से गोरखपुर के नाम एक और बड़ी उपलब्धि भी दर्ज हो गई है। दुनिया भर में जितने भी यूरिया खाद के कारखाने बने हैं, उनमें गोरखपुर खाद कारखाने का प्रिलिंग टावर सबसे ऊंचा है। इसके निर्माण से पहले 125 मीटर ऊंचाई के साथ पाकिस्तान के दहरकी शहर में एग्रो फर्टिलाइजर्स लिमिटेड की ओर से बनाए गए खाद कारखाने का प्रिलिंग टावर विश्व में सबसे ऊंचा था। गोरखपुर में जापानी कंपनी की ओर से तैयार टावर की ऊंचाई 149.5 मीटर है। इसका व्यास 28 से 29 मीटर है।
आठ हजार करोड़ से अधिक लागत वाला यह कारखाना प्राकृतिक गैस से संचालित होगा। इससे वातावरण के प्रदूषित होने का खतरा नहीं है। मंगलवार सात दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खाद कारखाने का लोकार्पण करेंगे। इससे पहले कारखाने का सफल ट्रायल हो चुका है। इसमें 500 मीट्रिक टन यूरिया भी तैयार की गई। कारखाने से रोजाना 3850 मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन होगा।
क्या होता है प्रिलिंग टावर
गोरखपुर खाद कारखाना के 149.5 मीटर ऊंचे प्रिलिंग टावर में यूरिया निर्माण से संबंधित तरल पदार्थों को दूसरे यूनिट से पाइपलाइन के माध्यम से लाकर ऊंचाई से गिराया जाएगा। इसके बाद वह धीरे-धीरे नीचे आते हुए टावर के अंदर के तापमान की वजह से छोटे-छोटे दानों में बदल जाएगा।
टावर की ऊंचाई का फायदा
यूरिया के दानों के लिए देश में जो मानक तय हैं उसके मुताबिक, यूरिया के दाने 0.3 एमएम से अधिक नहीं होने चाहिए। गोरखपुर खाद कारखाने का प्रिलिंग टावर ऊंचा होने की वजह से इसमें 0.2 एमएम के दाने बनेंगे। दानों का आकार छोटा होने से वे मिट्टी में जल्दी घुलेंगे और उसका असर जल्द होगा।
वाराणसी से गोरखपुर तक प्राकृतिक बिछी गैस पाइपलाइन
खाद कारखाने के संचालन के लिए वाराणसी से गोरखपुर तक प्राकृतिक गैस की पाइपलाइन गेल ने बिछाई है। एचयूआरएल के वरिष्ठ प्रबंधक सुबोध दीक्षित ने बताया कि प्राकृतिक गैस और नाइट्रोजन के रिएक्शन से अमोनिया का लिक्विड तैयार किया जाता है। अमोनिया के लिक्विड को प्रिलिंग टावर की 117 मीटर ऊंचाई से गिराया जाता है, जिसके लिए ऑटोमेटिक सिस्टम है। अमोनिया लिक्विड और हवा में मौजूद नाइट्रोजन के रिएक्शन से यूरिया के छोटे-छोटे दाने प्रिलिंग टावर के बेसमेंट में बने छिद्रों से बाहर आते हैं। इसके बाद यूरिया के दानों पर नीम का लेप चढ़ाया जाता है। नीम कोटिंग होने के बाद उसे पैक किया जाता है।
कुतुब मीनार से दो गुना ऊंचा है प्रिलिंग टावर
गोरखपुर खाद कारखाने के प्रिलिंग टावर की ऊंचाई कुतुब मीनार से दोगुने से भी अधिक है। कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर (237.86 फीट) है, जबकि प्रिलिंग टावर की ऊंचाई 149.5 मीटर (490.48 फीट) है। अब तक दुनिया के भीतर दूसरे नंबर का सबसे ऊंचा प्रिलिंग टावर एग्रो फर्टिलाइजर्स लिमिटेड ने पाकिस्तान के दहरकी में बनाया है। उसकी ऊंचाई 125 मीटर है, जबकि गोरखपुर खाद कारखाने की ऊंचाई इससे करीब 25 मीटर अधिक है। यूरिया प्लांट में टावर की ऊंचाई हवा की औसत रफ्तार के आधार पर तय की जाती है। इसके लिए एचयूआरएल की टीम ने करीब महीने भर हवा की रफ्तार के बारे में सर्वे किया था।
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