आगरा के मारुति एन्क्लेव में योगेश मिश्रा के घर के बाहर शुक्रवार सुबह लोगों की भीड़ थी। महिलाएं गेट के पास फर्श पर बैठकर रोये जा रही थीं। पुलिस मासूम काव्या के शव को ले जाने की तैयारी में थी। घर के अंदर के कमरे से एक ही आवाज आ रही थी कि एक बार मुझे बेटे से मिला दो। अब कौन मां कहेगा। मेरी काव्या कहां है, बहू कहां चली गई, मां सरोज बार-बार यही कह रही थीं। वह दिल की मरीज हैं। इस कारण परिवार की महिलाएं उन्हें संभाल रही थीं। योगेश मिश्रा के भाई शैलेष मिश्रा ने बताया कि उनके बड़े भाई विकास मिश्रा नोएडा की एक कंपनी में डायरेक्टर हैं। वह खुद एटा के आर विद्यालय में लेक्चरर हैं। बहन सीमा मिश्रा शादीशुदा है। वह भी नोएडा में रहती हैं। एक कंपनी में कार्यरत हैं। पिता सुनहरी लाल शिक्षक थे। पिता की अप्रैल 1994 में मौत हो गई थी। वह खेत पर काम करा रहे थे, तभी ट्रैक्टर की ट्रॉली से सिर में चोट लगने से हादसे का शिकार हो गए थे।
मां बड़े भाई योगेश के साथ ही रहती थीं। उन्हें सुबह मां ने फोन करके भाई के साथ हुई घटना के बारे में बताया। इस पर वो घर से चल दिए। दोपहर में आ गए। भाई ने कभी किसी तरह की परेशानी के बारे में नहीं बताया। उनका कारोबार भी अच्छा चलता था। जिस कोठी में ऑफिस था, वह भी उनकी है। ऐसे में किसी तरह की परेशान होती तो वो उन्हें भी बताते। किसी से तो कहते, लेकिन ऐसा कुछ नहीं बताया। वह सुसाइड नहीं कर सकते थे। इसके पीछे कोेई बड़ी वजह है। मां पांच दिन पहले गांव में आई थीं। उन्हें पेंशन सत्यापन का कार्य कराना था। वह उसी दिन लौटकर चली गई थीं। उन्हें भाई और बच्चों से काफी प्यार था। वह दोनों नातिन के पास ही सोया करती थीं।
पड़ोसियों के अनुसार योगेश और प्रतीची हंसमुख स्वभाव के थे। योगेश अक्सर बच्चों और पत्नी को ऑफिस पर लेकर जाते थे। वह कॉलोनी में ही नहीं, ऑफिस में काम करने वालों को हंसाते रहते थे। उन्हें हमेशा आगे बढ़ते रहने की सलाह देते थे। उनकी मदद किया करते थे। उन्होंने कम उम्र में ही अपना बड़ा व्यापार खड़ा कर लिया था। मारुति एन्क्लेव में आसपास घर बने हुए हैं। सुबह योगेश मिश्रा के घर से रोने की आवाज आने पर लोग दौड़ पड़े। बच्ची का शव घर में पड़ा हुआ था। वहीं योगेश और प्रतीची की मौत के बारे में भी पता चला। इस पर आसपास की दुकानें बंद हो गईं। जब पुलिस ने लोगों को यह बताया कि योगेश और प्रतीची ने आत्महत्या की, इस पर हर कोई सन्न रह गया।
धार्मिक प्रवृत्ति के थे दंपती। उनके परिवार को 20 साल से जानता हूं। योगेश कारोबार को अच्छे तरीके से संभालते थे। फिर उन्होंने ऐसा क्यों किया, यह समझ नहीं आ रहा है। – पवन कुमार, पूर्व कर्मचारी
योगेश काफी शांति स्वभाव के थे। वह हमेशा हर किसी को सीख देते थे। वो फिर सुसाइड क्यों करेंगे। यह समझ नहीं आ रहा है। उन्हें किसी तरह की परेशानी भी नहीं थी। – राजेंद्र सक्सेना, परिचित
मैं वर्षों से परिवार को जानता हूं। योगेश और अन्य भाई काफी संपन्न है। उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं थी। फिर यह कदम क्यों उठाया। कई सवाल मन में हैं। – आरबी द्विवेदी, रिश्तेदार
मुझे जैसे ही पता चला कि योगेश के परिवार के साथ कोई घटना हो गई है, मैं सीधा चला आया। यहां देखकर और सुना, वह सन्न करने वाला है। योगेश, प्रतीची और काव्या की मौत से बड़ा दुख पहुंचा है। – वीरेश कुमार तिवारी, रिश्तेदार
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