उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों ने जोर-आजमाइश शुरू कर दी है। चुनाव प्रचार-प्रसार से लेकर टिकट बंटवारे तक का फॉर्मूला फाइनल हो रहा है। खास बात ये है कि इस बार लगभग सभी पार्टियों ने नए मॉडल पर उम्मीदवारों के नाम तय करने का फैसला लिया है। इनमें भाजपा, कांग्रेस, सपा, रालोद, प्रसपा, अपना दल समेत सभी दल शामिल हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने फिलहाल जो फॉर्मूला तय किया है, अगर उसके अनुसार टिकट बांटे गए तो 150 से ज्यादा उम्मीदवार बदल जाएंगे। इनमें वह नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने 2017 के चुनाव में जीत हासिल की थी। इसके अलावा 2017 में हारने वाले भी उम्मीदवार शामिल हैं। पार्टी और सरकार की तरफ से अलग-अलग तीन सर्वे कराए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, प्रत्याशी चयन के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने-अपने स्तर से सर्वे करवाया है। अब सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही प्रत्याशियों का एलान किया जाएगा।
साढ़े चार साल तक संगठन और सरकार की गतिविधियों में निष्क्रिय रहने वाले विधायकों का टिकट कटेगा।
समय-समय पर अनर्गल बयानबाजी कर संगठन और सरकार को कठघरे में खड़े करने वाले विधायकों पर भी गाज गिरेगी।
70 साल की उम्र पार कर चुके या गंभीर बीमारी से जूझ रहे विधायकों का टिकट भी कटेगा।
जिन विधायकों पर समय-समय पर अलग-अलग तरह के आरोप लगते रहे हैं, उन्हें भी टिकट देने से पार्टी परहेज करेगी।
2017 में ज्यादा अंतर से हारे उम्मीदवारों को भी फिर से मैदान में उतारने का जोखिम मोल लेने से पार्टी बचेगी।
किस तरह के उम्मीदवारों को मिलेगा फायदा?
लंबे समय से संगठन के लिए काम करने वालों को पार्टी तोहफा दे सकती है।
दूसरे दलों से आने वाले लोगों को वरीयता मिलेगी।
संघ की गुड लिस्ट में शामिल नेताओं को फायदा होगा।
शिक्षित युवाओं और महिलाओं को टिकट बंटवारे में फायदा मिल सकता है।
जिलों से मांगी जाएगी तीन-तीन नामों की लिस्ट
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, प्रत्याशी चयन के लिए हर जिला संगठन से उनके क्षेत्राधिकार की सीटों के लिए तीन-तीन नामों की लिस्ट मांगी जाएगी। इसी तरह क्षेत्रीय टीमों से भी तीन-तीन नामों की सूची मांगी गई है। क्षेत्र और जिलों से आए नामों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान, भाजपा के प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा और महामंत्री संगठन सुनील बंसल की कमेटी मंथन करेगी। इनमें से हर विधानसभा क्षेत्र के लिए दो-दो नामों की लिस्ट फाइनल करके कमेटी की ओर से पार्टी के संसदीय बोर्ड को भेजा जाएगा।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के प्रत्याशी चयन में आरएसएस की राय भी अहम रहेगी। संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और सह सरकार्यवाह कृष्णगोपाल लगातार प्रदेश में प्रवास कर भाजपा के लिए चुनावी जमीन मजबूत कर रहे हैं।
यूपी चुनाव के लिए कांग्रेस ने भी इस बार नई रणनीति तैयार की है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पहले ही कह चुकी हैं कि इस बार टिकट बंटवारे में 40% महिलाओं की हिस्सेदारी होगी। सूत्रों के मुताबिक, यह तय हुआ है कि जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर ही न सिर्फ टिकट तय होंगे, बल्कि संगठन के कामकाज और बूथ प्रबंधन की जिम्मेदारी का बंटवारा भी होगा।
क्षेत्र में जाति, समुदाय की संख्या के आधार पर टिकट दिए जाएंगे।
पार्टी के लिए लंबे समय से मेहनत कर रहे युवाओं को तरजीह दी जाएगी।
सपा, बसपा या भाजपा छोड़कर आने वाले बड़े चेहरों को टिकट बंटवारे में वरीयता मिलेगी।
अच्छे वक्ताओं, रिटायर्ड अफसरों, शिक्षकों, फिल्मी हस्तियों को भी टिकट देकर पार्टी से जोड़ा जाएगा।
समाजवादी पार्टी इस बार वकीलों के साथ डॉक्टर, इंजीनियर, पत्रकार, सेवानिवृत्त अधिकारी और शिक्षकों को चुनाव मैदान में उतारने की प्लानिंग कर रही है। विभिन्न विधानसभा क्षेत्र से टिकट के लिए आवेदन करने वालों की सूची तैयार की जा रही है। इसके आधार पर संबंधित क्षेत्र के उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग की जाएगी। फिर उनकी सियासी हैसियत का आकलन किया जाएगा। वहीं, जातीय समीकरण में संबंधित क्षेत्र के अन्य उम्मीदवारों से अगर वे ज्यादा सशक्त मिले तो पार्टी उनके नाम पर विचार करेगी।
अभी सपा के 49 विधायक हैं। इन सीटों को छोड़कर अन्य सीटों पर आवेदन मांगे गए हैं। कुछ जगह विधायक होने के बावजूद पार्टी नेताओं ने आवेदन किया है। इसी तरह पार्टी में शामिल होने वाले कई नेताओं ने अगस्त और सितंबर में अध्यक्ष अखिलेश यादव से अनुमति लेकर आवेदन किया है। ऐसे में हर सीट पर आवेदकों की लंबी फेहरिस्त है। करीब 83 सीटों पर 50 से अधिक आवेदक हैं। इसमें ज्यादातर पूर्वांचल की सीटें हैं। आवेदन करने वालों में डॉक्टर, इंजीनियर, पत्रकार सहित विभिन्न विधाओं से जुड़े लोग शामिल हैं। ये सभी चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।
सपा अध्यक्ष ने हरदोई में एलान किया था कि पत्रकारों सहित हर क्षेत्र के विशेषज्ञों को पार्टी चुनाव लड़ने का मौका देगी। भदोही की जनसभा में भी उन्होंने खासतौर से शिक्षकों को मौका देने की बात कही थी। बशर्ते पार्टी की स्क्रीनिंग में वे जिताऊं साबित हों। ऐसे में पार्टी के रणनीतिकारों ने इनकी अलग से सूची तैयार करना शुरू कर दिया है। शिवपाल सिंह यादव की प्रसपा, जयंत चौधरी के रालोद व अन्य छोटे दलों से गठबंधन की सीटें फाइनल होने के बाद सपा अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करेगी।
बसपा ने भी इस बार नए मॉडल पर टिकट बंटवारे का काम शुरू किया है। अभी तक करीब 20% उम्मीदवारों की घोषणा हुई है। इसमें जातिगत समीकरण और आयु वर्ग का खास ख्याल रखा गया है। बसपा मुखिया मायावती ने खुद का वोटबैंक सुरक्षित रखते हुए ब्राह्मणों पर सबसे ज्यादा फोकस किया है। कानपुर, प्रयागराज समेत कई जिलों में दो तिहाई उम्मीदवार ब्राह्मण फाइनल किए गए हैं। इसके अलावा गैर-यादव ओबीसी उम्मीदवारों को तरजीह दी जाएगी।
आजाद पार्टी के चंद्रशेखर ने दलित युवाओं के बीच अपनी अच्छी पैठ बना ली है। बसपा को डर है कि आने वाले चुनाव में पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इसलिए बसपा अब दलित युवाओं को चुनावी मैदान में उतारकर खुद से जोड़े रखने की कोशिश कर रही है। इसी तरह महिलाओं को भी टिकट बंटवारे में तरजीह दी जाएगी। पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, इस बार 50% टिकट युवाओं और महिलाओं को ही दिया जाएगा।
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों ने जोर-आजमाइश शुरू कर दी है। चुनाव प्रचार-प्रसार से लेकर टिकट बंटवारे तक का फॉर्मूला फाइनल हो रहा है। खास बात ये है कि इस बार लगभग सभी पार्टियों ने नए मॉडल पर उम्मीदवारों के नाम तय करने का फैसला लिया है। इनमें भाजपा, कांग्रेस, सपा, रालोद, प्रसपा, अपना दल समेत सभी दल शामिल हैं।
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