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प्रदेश सरकार की सूचना, शिक्षा एवं संचार, सामुदायिक सहभागिता का परिणाम है कि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश अक्टूबर, 2018 में ही ओडीएफ राज्य घोषित

प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) की यात्रा में खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) का स्तर प्राप्त करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस पुनीत कार्य के पूरा करने के लिए, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रदेश को लक्षित अवधि से पहले लक्ष्य प्राप्ति का संकल्प लिया। हालांकि यह एक कठिन कार्य था, लेकिन राज्य सरकार द्वारा सामुदायिक सहभागिता को मुख्य अस्त्र के रूप में सम्मिलित करते हुये, सोशल मोबलाइजेशन हेतु स्वच्छाग्रहियों की तैनाती, सामुदायिक व्यवहार परिवर्तन के लिए नियमित सूचना, शिक्षा एवं संचार की गतिविधियां और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर प्रदेश के सभी वर्गों को सम्मिलित करते हुये जनान्दोलन तैयार किया गया। प्रदेश के सभी समुदायों ने पूर्ण समर्पण व ईमानदारी से प्रयास किए जिसके परिणामस्वरूप निर्धारित अवधि से एक वर्ष पूर्व अर्थात 02 अक्टूबर 2018 को बेसलाइन सर्वेक्षण के अनुसार लक्षित परिवारों को शौचालय से आच्छादित करते हुये उत्तर प्रदेश को ओडीएफ राज्य की घोषणा की गई।
प्रदेश में बेसलाइन के उपरान्त अब तक कुल 2,18,64,876 इज्जत घरों/शौचालयों का निर्माण कराया गया। सभी 75 जिलों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है। ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन हेतु ग्राम पंचायतवार कार्ययोजना का निर्माण किया जा रहा है। अब तक कुल 1000 से अधिक ग्राम पंचायतों की डी0पी0आर0 तैयार की गई है, जिसके सापेक्ष 909 डी0पी0आर0 को अनुमोदन प्रदान किया जा चुका है। इन 909 ग्राम पंचायतों में 813 गंगा किनारे की ग्राम पंचायतों की डी0पी0आर0 सम्मिलित है। कार्यक्रम में महिलाओं की भागीदारी और भागीदारी को बढ़ाने के लिए, लगभग 15,000 महिलाएं स्वच्छग्रही, निगरानी समिति में 5 लाख महिला, 100 से अधिक महिला राजमिस्त्री (रानी मिस्त्री), 100 एसआरजी सदस्यों को कार्यक्रम में सम्मिलित किया गया। राज्य के लगभग 70000 से अधिक स्वच्छाग्रहियों को प्रशिक्षित किया गया। प्रदेश में 02 लाख से अधिक निगरानी समितियों का गठन किया गया जिसमें बच्चों, वयस्कों एवं महिलाओं की अलग-अलग टोलियां बनायी गई, इनका कार्य खुले में शौच को रोकना एवं शौचालय के निर्माण व प्रयोग हेतु प्रोत्साहित करना था।
एसबीएम (जी) के विभिन्न हितधारकों जैसे-ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव, स्वच्छाग्रहियों, सफाई कर्मियों, राज्य संसाधन समूह के सदस्यों और अन्य पदाधिकारियों के क्षमता निर्माण के लिए, प्रशिक्षण मॉडयूल विकसित किए गए व उसके अनुरूप प्रशिक्षित भी किये गये। राज्य स्तर पर सुजल और स्वच्छ गाँव (एसएसजी) पर प्रशिक्षण आयोजित किए गए। मार्च 2020 तक, कुल 6647 मिशन से जुड़े कर्मियों और 6937 शिक्षकों को सुरक्षित पेयजल, एसएलडब्ल्यूएम, जल संरक्षण, शौचालय निर्माण और इसके उपयोग पर ध्यान देने के लिए प्रशिक्षित किया गया। लो कास्ट सैनेटरी नैपकीन उत्पादन गतिविधि अन्तर्गत लगभग एक करोड़ सामान्य सैनेटरी पैड एवं 50 लाख मैटेरनिटी नैपकीन का उत्पादन किया गया हैं जिसका विपणन मांग के आधार पर विभिन्न विभागों यथा, स्वास्थ्य, शिक्षा, आई0सी0डी0एस0, कारागार एवं कुछ जनपदों द्वारा प्राइवेट मार्केट में किया जा चुका है। संचालित उत्पादन इकाई में लगभग 1000 महिलायें कार्यरत हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक व्यक्ति को शौचालय की सुलभता के उद्देश्य से समस्त ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया गया। निर्मित सामुदायिक शौचालयों के रख-रखाव एवं रोजगार सृजन के दृष्टिगत अब तक 48565, स्वयं सहायता समूह (एनआरएलएम अन्तर्गत गठित) को हस्तान्तरित किया गया। इस हेतु शासनादेश द्वारा निर्धारित व्यवस्था के अनुसार रु0 9000 प्रतिमाह की दर से कुल रु0 136 करोड़ से अधिक उनके खाते में हस्तान्तरित किये जा चुके हैं। सामुदायिक शौचालयों के निर्माण में अब तक लगभग 2300 करोड़ का व्यय किया गया है एवं कुल 1.21 करोड़ से अधिक मानव दिवस का सृजन ग्रामीण क्षेत्रों के राजगीरों एवं श्रमिकों को रोजगार दिया गया है। प्रदेश के नव निर्वाचित समस्त प्रधानों का उन्मुखीकरण कराया जा चुका है। कोविड-19 के दृष्टिगत राज्य के लगभग 15,000 स्वच्छाग्रहियों को ग्राम में जन जागरूकता हेतु आनलाइन प्रशिक्षण दिया गया। ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबन्धन के दृष्टिगत ग्राम पंचायतों का चयन एवं साथ ही साथ प्रबन्धन की गतिविधियां संचालित की गई है। प्रदेश में सिंगल यूज प्लास्टिक से ग्रामों को मुक्त बनाने के लिए एक अभियान भी शुरू किया गया है।