प्रदेश में गन्ने की खेती एक नगदी फसल के रूप में प्रचलित है और राज्य के लगभग 45 लाख गन्ना कृषकों एवं उनके परिवारीजनों तथा इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से रोजगार में लगे कामगारों की आजीविका का प्रमुख संसाधन है। गन्ना फसल एवं चीनी मिलें प्रदेश की अर्थव्यवस्था और विकास में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। उक्त के दृष्टिगत राज्य सरकार चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग, उत्तर प्रदेश के माध्यम से गन्ना कृषकों की आय दोगुनी करने एवं गन्ना विकास तथा गन्ना आपूर्ति को सुगम बनाने की दिशा में लगातार प्रयासरत है।
प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास, श्री संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि विगत चार वर्षों में प्रदेश सरकार द्वारा गन्ना किसानों के हित में चीनी मिलों के साथ-साथ गन्ना आपूर्ति हेतु अन्य वैकल्पिक साधनों को विकसित किये जाने एवं ग्रामीण क्षेत्र में लघु एवं कुटीर उद्योगों के विकास तथा स्थानीय रोजगार सृजन के दृष्टिगत खाण्डसारी इकाइयों की स्थापना से जुड़े नियमों को सरलीकृत किया गया, जिसके फलस्वरूप खाण्डसारी इकाईयों के 275 नवीन लाइसेंस निर्गत किये गये। इन परियोजनाओं पर कुल 1,161.20 करोड़ रूपये का निवेश होने का अनुमान है।
श्री भूसरेड्डी ने बताया कि पूर्वांचल क्षेत्र में किसानों को पुनः गन्ना खेती हेतु प्रेरित कर आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए तथा उ.प्र. राज्य चीनी निगम के अधीन बंद चीनी मिलों के संचालन का निर्णय लेते हुए मुण्डेरवा एवं पिपराईच में 5,000 टी.सी.डी. क्षमता की नई चीनी मिलें एवं सल्फरलेस शुगर उत्पादन का संयंत्र स्थापित कर संचालित की गई इसके साथ ही 27 मेगावाट का नया कोजन प्लाण्ट भी लगाया गया। इन परियोजनाओं पर कुल 873.30 करोड़ रूपये का निवेश किया गया। निगम क्षेत्र की मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल की पेराई क्षमता 2,500 से बढ़ाकर 3,500 टी.सी.डी. की गई तथा 15 मेगावाट का कोजन लगाया गया, जिस पर 165 करोड़ रूपये का निवेश किया गया। सहकारी क्षेत्र की चीनी मिल रमाला की पेराई क्षमता को बढ़ाते हुए 5,000 टी.सी.डी. का नया प्लाण्ट स्थापित किया गया तथा 06 चीनी मिलों यथा सरसांवा, अनूपशहर, सम्पूर्णानगर, बेलरायां, पुवांया एवं नानपारामें तकनीकी अपग्रेडेषन एवं 06 आसवनियों यथा ननौता, सम्पूर्णानगर, अनूपशहर, कायमगंज, नानपारा एवं घोसी में जेड.एल.डी. प्लाण्ट की स्थापना कर आसवनियों को दोबारा संचालित किया गया। 02 चीनी मिलों नजीबाबाद एवं सठियांव में नये आसवनी प्लाण्ट स्थापित किये गये। इन परियोजनाओं पर कुल 647.25 करोड़ रूपये का निवेश किया गया। पिपराईच एवं मुण्डेरवा नई चीनी मिलों की स्थापना, पूर्वांचल क्षेत्र का विकास सुनिश्चित होगा, वहीं मोहिउद्दीनपुर एवं रमाला चीनी मिलों के क्षमता विस्तार से पश्चिमी उ.प्र. के गन्ना कृषकों को अपने गन्ने की आपूर्ति करने में सुगमता होगी जो क्षेत्र की उन्नति में सहायक होगा। इसके अतिरिक्त 11 निजी चीनी मिलों में गन्ने की उपलब्धता को देखते हुए गन्ना आपूर्ति को सुगम बनाने हेतु इन चीनी मिलों की 20,600 टी.सी.डी. पेराई क्षमता बढ़ायी गई है तथा इन पर लगभग 515 करोड़ रूपये का निवेश हुआ है। निगम, सहकारी एवं निजी क्षेत्र में उपरोक्तानुसार किये गये पूंजी निवेश से प्रदेश के गन्ना किसानों की समृद्धि, स्थानीय स्तर पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन एवं चीनी मिलों की कार्य दक्षता बढ़ेगी तथाग्रामीण क्षेत्र का सर्वांगीण विकास होने के फलस्वरूप प्रदेश के आर्थिक विकास को गति प्राप्त होगी।
प्रदेश सरकार द्वारा चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास के क्षेत्र में किसानों के हित में किये गये निवेषों के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास, श्री संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि गन्ना आपूर्ति की व्यवस्था सुचारू रखने, लघु ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देने एवं गन्ना आपूर्ति हेतु एक अतिरिक्त विकल्प के रूप में वर्ष 2018-19 में विभाग द्वारा नई खाण्डसारी नीति लागू करते हुए ऑनलाइन लाइसेन्सिंग की व्यवस्था की गई। इस व्यवस्था के तहत अब तक 275 नवीन लाइसेन्स (पेराई क्षमता 69,450 टी.सी.डी.) निर्गत किये जा चुके है, जिनकी स्थापना से 1,161.20 करोड़ रूपये का निवेश ग्रामीण क्षेत्रों में संभावित है। उक्त के सापेक्ष अब तक 176 इकाईयों (पेराई क्षमता 43,802 टी.सी.डी.) का संचालन शुरू हो चुका है, जिनके अधीन 388 करोड़ रूपये का निवेश हो चुका है।
उन्होंने बताया कि किसानों की गन्ना आपूर्ति समस्या के दृष्टिगत सहकारी क्षेत्र की चीनी मिल रमाला-बागपत की पेराई क्षमता 2,750 टी.सी.डी. से बढ़ाकर 5,000 टी.सी.डी. की गई तथा 27 मेगावाट का नया कोजन प्लाण्ट स्थापित किया गया, जिस पर कुल 309.46 करोड़ रूपये का निवेश किया गया। ऊर्जा उत्पादन से प्रदेश की ऊर्जा समस्या का हल होगा। चीनी मिल की आर्थिक स्थिति में होगा सुधार, जिससे गन्ना मूल्य भुगतान में सहूलियत मिलेगी।
उन्होंने यह भी बताया कि सहकारी क्षेत्र की स्नेहरोड-बिजनौर चीनी मिल में 40 के.एल.पी.डी. क्षमता की नई आसवनी स्थापित की गई जिस पर कुल 51.37 करोड़ रूपये का निवेश किया गया है। सहकारी क्षेत्र की सठियांव-आजमगढ़ चीनी मिल में 30 के.एल.पी.डी. क्षमता की नई आसवनी स्थापित की गई जिस पर कुल 56.41 करोड़ रूपये का निवेश किया गया है। इससे दोनों चीनी मिलों की आर्थिक स्थिति में होगा सुधार तथा गन्ना मूल्य भुगतान में सुगमता होगी और अतिरिक्त रोजगार का सृजन भी होगा। एथनॉल उत्पादन में वृद्धि से पेट्रोलियम ईधन की समस्या का समाधान होगा एवं पर्यावरण प्रदूषण में भी कमी आयेगी।
सहकारी क्षेत्र की सरसांवा, अनूपशहर, सम्पूर्णानगर, बेलरायां, पुवांया एवं नानपारा की कार्यक्षमता में सुधार हेतु तकनीकी अपग्रेडेशन किये गये, जिस पर कुल 68.71 करोड़ रूपये का निवेश किया गया है। आधुनिकीकरण के उपरान्त इन चीनी मिलों में स्टीम की खपत कम होगी तथा ऊर्जा एवं बगास की बचत होगी। मिलों के संचालन के दौरान ब्रेकडाउन कम होंगे तथा चीनी की गुणवत्ता में सुधार होगा। सहकारी क्षेत्र की ननौता, सम्पूर्णानगर, अनूपशहर, कायमगंज, नानपारा एवं घोसी में पर्यावरण संरक्षण हेतु बायो-कम्पोस्ट आधारित जेड.एल.डी. संयंत्र स्थापित किये गये, जिस पर कुल 161.30 करोड़ रूपये का निवेश किया गया है।
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि सहकारी एवं निगम क्षेत्र के अतिरिक्त निजी क्षेत्र की 11 चीनी मिलों द्वारा यथा-शामली-1,500 टी.सी.डी., ऊन-2,000 टी.सी.डी., बिलारी-2,000 टी.सी.डी., हरियांवा-5,000 टी.सी.डी., निगोही-1,500 टी.सी.डी., अगवानपुर-2,000 टी.सी.डी., टिकौला-1,200 टी.सी.डी., वीनस-500 टी.सी.डी., बिसवां-1,000 टी.सी.डी., करीमगंज-2,000 टी.सी.डी. एवं मोतीनगर-1,500 टी.सी.डी. कुल-20,600 टी.सी.डी. पेराई क्षमता बढ़ाई गई। इसके अतिरिक्त पेराई क्षमता के सृजन पर प्रति टी.सी.डी. 2.50 लाख रूपये निवेश के आधार पर लगभग 515 करोड़ रूपये का अतिरिक्त निवेश किये जाने का अनुमान है। जिससे इन मिल क्षेत्रों के गन्ना किसान लाभन्वित होंगे।
इस प्रकार चीनी उद्योग एवं खाण्डसारी से जुड़ी उपर्युक्त परियोजनाओं पर विगत 04 वर्षों में लगभग कुल 3,333 करोड़ रूपये का निवेश किया गया है। जिनसे प्रदेश के गन्ना उत्पादक कृषकों को अपनी गन्ना फसल के विक्रय में सुगमता आयेगी।
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