आगरा में जैतपुर के गढ़ी रम्पुरा गांव के पास रविवार तड़के चंबल नहर कट गई। इससे करीब 400 बीघा रकबे की आलू और सरसों की फसलें डूब गईं। गांव के घरों तक पानी पहुंच गया। सूचना पर पहुंचे बाह के एसडीएम रतन वर्मा ने नहर मुख्यालय पिनाहट से पानी को बंद कराया। फसलें डूबने से किसानों में रोष भी दिखा। बुधवार को ही चंबल नहर को चालू किया गया था। पर, इटावा बार्डर तक पानी पहुंचने से पहले ही जैतपुर-नंदगवां मार्ग स्थित गढ़ी रम्पुरा गांव के पास रविवार की भोर नहर कट गई। नहर का पानी आस पास के खेतों को लबालब करते हुए गांव तक पहुंच गया। किसानों ने बताया कि करीब 400 बीघे की फसलें डूबी हैं। वहीं पानी भरने से अवनीश यादव का भैंसों का तबेला जलमग्न हो गया। वहां रखा सारा भूसा भी भीग गया।
सिद्धांतराज इंटर कॉलेज का मैदान जलमग्न हो गया। नहर कटान से गांव की गलियों से लेकर खेतों तक पानी भर जाने से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया। सूचना पर पहुुंचे बाह के एसडीएम रतन वर्मा ने चंबल पंप कैनाल मुख्यालय पिनाहट में फोन कर नहर में पानी का प्रवाह बंद कराया। वहीं किसानों ने नुकसान का आंकलन कराकर मुआवजा दिलाने की मांग की।
नहर कटने से फसलें डूबने पर गांव के किसान नहर का कटान रोकने में खुद ही जुट गए। बंटी वर्मा, किरण नरवरिया, दिलीप तिवारी, अवधेश तिवारी, ठुक्के सिंह, छोटे तिवारी, रामकरण नरवरिया आदि ने बाजरा की करब और बोरियों में मिट्टी भरकर कटान रोकने की कोशिश की।
करीब 8 घंटे बाद नहर का बहाव थमने पर ही कटान रोका जा सका। किसानों ने आरोप लगाया कि बगैर सफाई कराए नहर में पानी छोड़ दिए जाने से यह नुकसान हुआ है।
मानसून के बाद साल में दूसरी बार चंबल के किनारे बसे गांवों में पानी भरा है। किसानों और स्थानीय लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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