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नये कुलपति के लिए तैयार BHU, अनुशासन के साथ अनियमितता पर रोक लगाना होगी बड़ी चुनौती

अभिषेक कुमार झा, वाराणसी
7 महीनों से खाली चल रहे काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति के पद पर आईआईटी गांधीनगर के डायरेक्टर पद्मश्री प्रो. सुधीर कुमार जैन की नियुक्ति कर दी गई है ।13 नवंबर को प्रो. जैन को बीएचयू के कुलपति 3 वर्षों के लिए नियुक्त किया गया।

28 मार्च 2021 को प्रो. राकेश भटनागर का कार्यकाल खत्म हुआ था। उसके बाद से ही डॉक्टर वीके शुक्ला विश्वविद्यालय के रेक्टर ( कार्यकारी कुलपति ) का पद सम्भाल रहे थे। कोरोना के दूसरी लहर के दौरान विश्वविद्यालय के प्रशासनिक और शैक्षणिक सत्र को सुचारु रूप से चलाने में अब स्थायी कुलपति के नियुक्ति से आसानी होने की संभावना है, लेकिन नए कुलपति के सामने कई चुनौतियां भी हैं।

यूजीसी के मानकों के हिसाब से विश्विद्यालय में गतिविधियां संचालित करना सबसे बड़ी चुनौती
बीते वर्षों में विश्वविद्यालय परिसर में जबरदस्त तरीके से निर्माण कार्य हुए हैं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के परिसर के अंदर यूजीसी और विश्वविद्यालय के गाइडलाइन्स के हिसाब से निर्माण कार्यों को लेकर कई सवाल उठते रहे हैं। विश्विद्यालय परिसर में यूनिवर्सिटी वर्क्स डिपार्टमेंट के माध्यम से ही तमाम निर्माण होते रहे हैं, लेकिन बीते कई वर्षों से सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (सीपीडब्ल्यूडी) के माध्यम से लगातार निर्माण कराया जा रहा है। नियमों के मुताबिक, परिसर में ग्राउंड फ्लोर के साथ 4 मंजिल और ग्रीन एरिया रखने का प्रावधान है, लेकिन बीते वर्षों में लगातार बहुमंजिला इमारतें परिसर के अंदर बनाई गई गई हैं। इस मामले को लेकर एक याचिका भी कोर्ट में दायर की गई है। जिस पर विश्वविद्यालय का क्या पक्ष रखना होगा, कोर्ट में मामला क्या दिशा लेगा, ये एक बड़ी चुनौती नए कुलपति के सामने होगी।

राजनीतिक गतिविधियां और परिसर में छात्रों का अनुशासन बनाए रखना बड़ी चुनौती
2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से लगातार राजनीतिक विचारधारा की लड़ाई परिसर में तेज हुई है। वामपंथी संगठनों द्वारा लगातार कई मुद्दों को लेकर आंदोलन किया जाता रहा है। बीजेपी की ओर से कई तरह के राजनीतिक कार्यक्रम भी परिसर में लगातार होते रहे हैं। जिसको लेकर विपक्ष के राजनीतिक दलों के साथ वामपंथी छात्र संगठन भी आंदोलन करते रहे हैं। अभी हाल ही में उर्दू विभाग के एक वेबिनार के निमंत्रण पत्र पर महामना मदन मोहन मालवीय की जगह अल्लामा इकबाल की तस्वीर ने भी राजनीतिक रंग ले लिया और लगातार छात्र इस मामले को लेकर बंटे हुए हैं। तस्वीर मामले में तो विभाग को लिखित रूप से माफी भी मांगनी पड़ी। इसके अलावा परिसर के अंदर छात्र गुटों के बीच के आपसी झगड़े हिंसक रूप ले लेते हैं और विश्वविद्यालय प्रशासन को पुलिस बल की मदद लेनी पड़ती है। नए कुलपति के लिए अनुशासन बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है।

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कोरोना काल मे हुई नियुक्तियां भी रहेंगी निशाने पर
कोरोना काल में प्रोटोकॉल के तहत ऑफलाइन क्लासेस बंद कर दी गई थीं। छात्रावासों को खाली करा दिया गया था। कोरोना के मामले कम होने के बाद पचास फीसदी उपस्थिति के साथ छात्रों को ऑनलाइन क्लासेस के लिए इज़ाज़त दी गई। साथ ही छात्रावासों में भी आधे छात्रों को ही छात्रावास अलॉट किए गए, लेकिन इस कोरोना काल में सुरक्षा के नाम पर प्रोक्टोरियल बोर्ड में दो सौ से ज्यादा सुरक्षा गार्ड की बहाली की गई। जिस पर छात्रों ने सवाल उठाए। इतना ही नहीं कनिष्ठ लिपिक के पद पर बहाली भी इस दौरान सवालों के घेरे में रही है। छात्रों के ऑफलाइन क्लासेस को नार्मल करना और नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना नए कुलपति के लिए सिरदर्द साबित हो सकते हैं। इसके अलावा एकेडमिक कॉउंसिल और एक्जक्यूटिव कॉउंसिल द्वारा पारित किए गए नए कोर्स और सिलेबस की स्क्रूटनी करना भी नए कुलपति के एजेंडे में होगा।