हाइलाइट्सहवा में प्रदूषण का स्तर कम होने का नाम नहीं ले रहा है, शनिवार को लगातार दूसरे दिन नोएडा देश का सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरनोएडा का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 464 और ग्रेटर नोएडा 408 रहा, शुक्रवार को नोएडा का 488 और ग्रेनो का 478 थापिछले 10 दिनों में नोएडा चौथी बार देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा, मॉर्निंग वॉक बंद होने से डायबिटीज के मरीजों की परेशानी बढ़ीग्रेटर नोएडा
हवा में प्रदूषण का स्तर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार को लगातार दूसरे दिन यूपी का नोएडा देश का सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर रहा। नोएडा का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 464 और ग्रेटर नोएडा 408 रहा।
शुक्रवार को नोएडा का 488 और ग्रेनो का 478 था। पिछले 10 दिनों में नोएडा चौथी बार देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा। इस असर स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। मॉर्निंग वॉक बंद होने से डायबिटीज के मरीजों की परेशानी लगातार बढ़ रही है। इस सब के बीच हवा की बिगड़ी सेहत सुधारने के लिए जिले में 8 हॉटस्पॉट चिह्नित किए गए हैं।
सरकारी इंतजाम नाकाफी साबित हुए
प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए लागू किए गए सरकारी इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। सड़कों पर धुंआ उगलते वाहनों की संख्या कम नहीं हो रही है। कूड़े के ढेर में जगह-जगह आग लगाई जा रही है। विभाग निर्माण कार्यों पर निगरानी का दावा कर रहा है लेकिन कंस्ट्रक्शन मटीरियल अभी भी खुले में पड़े हुए हैं। हवा में पीएम 2.5 का स्तर बढ़ने से सड़कों पर धुंध छाई हुई है। हाईवे पर दृश्यता कम होने से वाहन चालकों को काफी परेशानी हो रही है। जिम्स अस्पताल की ओपीडी क्षमता 1000 है।
जिम्स के निदेशक डॉ राकेश कुमार गुप्ता के अनुसार ओपीडी में 30 प्रतिशत मरीज ऐसे आ रहे हैं, जिन्हें प्रदूषण की वजह से समस्या हो रही है। शारदा यूनिवर्सिटी के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. शुभेंदु मोहंती ने बताया लगातार बढ़ते प्रदूषण की वजह से हर्ट पेशंट की परेशानी बढ़ रही है। हृदय की बीमारी से पीड़ित मरीज प्रदूषण की स्थिति नियंत्रण होने तक नोएडा सहित एनसीआर से बाहर शुद्ध हवा वाले शहरों में रहे तो बेहतर रहेगा।
पिछले 9 दिनों में प्रदूषण के हालात एक भी दिन नहीं सुधरे हैं। नौ में से आठ दिन नोएडा का एक्यूआई स्तर 400 से ज्यादा गंभीर स्थिति में और एक दिन 300 से ज्यादा बेहद खराब स्थिति में दर्ज हुआ। वहीं ग्रेनो का बीते 9 दिन में 6 दिन गंभीर और 3 दिन बेहद खराब स्थिति में दर्ज हुआ।
हवा की सेहत बिगड़ने के बाद सुधारने की कवायद
इस बीच शहर की हवा की सेहत सुधारने की कवायद प्रशासनिक स्तर पर हालात बिगड़ने के बाद शुरू हुई हैं। जिला प्रशासन ने प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर जिले में हवा को प्रदूषित कर रहे 8 हॉट स्पॉट चिह्नित किए हैं। इन जगहों को हॉट-स्पॉट से बाहर लाने के लिए कार्ययोजना तैयार करवाई है।
इसके बाद नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी सहित सभी विभागों को डीएम ने पत्र भेजा है। इसमें सभी विभागों को प्रदूषण कम करने और रोकने में सहभागिता तय करने को कहा गया है। विभागों को क्या-क्या करना है यह भी डीएम के भेजे इस पत्र में बताया गया है।
प्रशासन की तरफ से तय किए गए हॉट-स्पॉट में नोएडा के 7 एक्स सेक्टर सबसे ऊपर हैं। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक इन सेक्टर में सड़कों पर उड़ रही धूल और निर्माण व ध्वस्तीकरण मलबा हवा को प्रदूषित करने के अहम कारण हैं। सेक्टर-150 में भी सड़कों पर धूल उड़ रही है और निर्माण व ध्वस्तीकरण मलबा हवा को प्रदूषित कर रहा है।
इसी तरह नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेसवे पर ग्रेटर नोएडा की तरफ एंट्री पॉइंट और नोएडा में महामाया से नोएडा गेट के बीच प्रदूषण का हॉट-स्पॉट तय हुआ है। इसका कारण यहां पर वाहनों का दबाव व उड़ रही धूल है। चौथा हॉट-स्पॉट यमुना पुश्ता एरिया का है। 5 वां हॉट स्पॉट नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेस-वे पर बन रहे अंडरपास व आसपास हो रही इमारतों के निर्माण को प्रदूषण बोर्ड ने माना है। इसके बाद दादरी रोड, ग्रेटर नोएडा वेस्ट, यूपीएसआईडीसी के इंडस्ट्रियल एरिया को इन हॉट-स्पॉट की सूची में डाला गया है।
8 जगहों पर लगाया 7 लाख रुपये का जुर्माना
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की टीम जिला प्रशासन के साथ मिलकर प्रदूषण फैलाने वालों पर कार्रवाई कर रही है। शनिवार को टीम ने शहर में अलग-अलग जगहों पर खुले में निर्माण सामग्री रखने वालों व निर्माण करने वालों पर जुर्माना किया। इसमें 5 लाख रुपये का जुर्माना सेक्टर-143 बी में सिक्का कर्णम ग्रींस पर हुआ। इसके अलावा सेक्टर-6 के तीन प्लॉट, सेक्टर-19 के दो प्लॉट सहित सेक्टर-8 व एक में भी 50-50 हजार रुपये का जुर्माना किया। यहां पर या तो निर्माण सामग्री खुले में पड़ी हुई थी। या फिर निर्माण खुले में किया जा रहा था।
मॉर्निंग वॉक बंद होने से बढ़ी डायबिटीज के मरीज की समस्या
प्रदूषण के चलते लोग सुबह घर से बाहर टहलने नहीं जा पा रहे हैं। व्यायाम भी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में डायबिटीज के मरीजों की परेशानी बढ़ रही है। सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल के पूर्व सीएमएस डॉ. वीबी ढाका कहते हैं कि हवा में प्रदूषण बढ़ने से शरीर को पूरी तरह से ऑक्सिजन नहीं मिल पाती है। ऑक्सिजन सप्लाई प्रभावित होने पर शरीर में रेस्पेरेटरी समस्याएं जैसे सांस फूलना, फेफड़ों की समस्या, अस्थमा भी बढ़ रही है।
शरीर में ये सब समस्याएं बढ़ने पर डायबिटीज भी अनकंट्रोल्ड हो सकती है। ऐसे में व्यक्ति की काम करने क्षमता भी प्रभावित होती है। जिला अस्पताल के फिजिशन डॉ. प्रदीप कुमार शैलत ने बताया कि प्रदूषण के चलते कुछ मरीज रोजाना टहलने नहीं जा पा रहे, जिससे डायबिटीज का लेवल सामान्य नहीं हो रहा। मुश्किल स्थिति में अस्पताल दवा लेने आ रहे हैं।
तारीख—नोएडा और ग्रेनो (एक्यूआई)
13 नवंबर—464—408
12—नवंबर—488—478
11 नवंबर—434—417
10 नवंबर—374—378
9 नवंबर—426—412
8 नवंबर—412—328
7 नवंबर—446—365
6 नवंबर—461—414
5 नवंबर—475—464
प्रदूषण
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