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बॉक्सिंग रिंग में धुरंधरों को धूल चटाई, अब टायर में पंक्चर लगाने को मजबूर… ‘रुला’ देगी होनहार खिलाड़ी की कहानी

वरुण शर्मा, बुलंदशहर
हाल ही में बीते टोक्यो ओलंपिक में देश की बेटियों के प्रदर्शन पर हर कोई गर्वित था, लेकिन उसी देश में एक बेटी ऐसी भी है, जिसके अंदर खेल प्रतिभा होने के बावजूद रोजगार के लिए उसे टायल में पंक्चर लगाना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की रहने वाली नैशनल लेवल की बॉक्सर प्रियंका ने बीते 11 अक्टूबर को गोवा में जूनियर बालिका 50 किग्रा भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीता था लेकिन मां-बाप और 6 भाई-बहनों वाले परिवार को चलाने के लिए उन्हें मजबूरन टायर पंक्चल लगाने और रुई धुनने का काम करना पड़ रहा है।

बॉक्सिंग रिंग में प्रतिद्वंदियों की जमकर धुनाई करने वाली प्रियंका अपने घर के बाहर ही टायर में पंक्चर लगाने की दुकान चलाती हैं। इसके अलावा वह रुई धुनने का भी काम करती हैं।

गोल्ड मेडल जीत मनवाया था लोहा
बीते 11 अक्टूबर को गोवा में सब जूनियर बालिका (50 किग्रा भारवर्ग) बॉक्सिंग कॉम्पिटिशन हुआ था। प्रियंका ने न सिर्फ इसमें हिस्सा लिया था बल्कि उन्होंने इस टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल भी जीता था। इसके अलावा वह मंडल और स्टेट स्तर पर भी गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं।

प्रतिभाशाली होते हुए भी प्रियंका अपने खेल को ज्यादा वक्त नहीं दे पा रही हैं। कारण है उनका परिवार, जिसके पालन-पोषण के लिए उन्हें मजदूरी करनी पड़ रही है। प्रियंका के घर में 6 भाई-बहन, मां और पिता हैं। वह अपने माता-पिता की मझली बेटी हैं। परिवार के भरण-पोषण के लिए वह टायर में पंक्चर लगाने और रुई भरने का काम करती हैं। इन सब कामों के बाद मुश्किल से ही उन्हें प्रैक्टिस के लिए वक्त मिलता है।

अब सरकार से मदद की आस
सरकार की ओर से भी प्रियंका को कोई मदद नहीं मिल रही है। प्रियंका ने बताया कि अगर सरकार उनकी मदद करे तो वह भी देश का नाम रोशन करना चाहती हैं।

मोटर साइकिल में पंक्चर लगाती बॉक्सर