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आगरा में दिखने लगे प्रदूषण के दुष्प्रभाव, अस्पताल में बढ़ी सांस के मरीजों की भीड़, दो दर्जन से ज्यादा भर्ती

सुनील कुमार, आगरा
उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में पिछले 4 दिनों से धुंध की मैली चादर पर्यावरण को प्रदूषित कर रही है। हवा में घुलते जहर से लोगों की सांसों पर संकट बना हुआ है। आलम ये है कि सांस रोगियों की संख्या में वृद्धि हो रही है। पिछले तीन दिनों के रेकॉर्ड पर गौर करें तो एसएन मेडिकल कॉलेज में 300 के करीब मरीज मिल चुके हैं, जिनमें से दो दर्जन से अधिक अस्पताल में भर्ती किए गए हैं। इधर एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 469 खतरनाक स्तर पर है। साथ ही आगरा के पांच जोन बेहद गंभीर स्तर पर हैं।

एनसीआर में बढ़ता प्रदूषण सीधे आगरा को प्रभावित कर रहा है। आगरा में दमघोंटू हवा बह रही है। दीवाली पर चले पटाखों के बाद शहर की वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है। इधर मेट्रो स्टेशन, गंगाजल प्रॉजेक्ट, अमृत योजना और स्मार्ट सिटी के कार्यों के चलते शहर में जगह खोदाई का काम चल रहा है, जिसके चलते धूल के गुबार और प्रदूषकों के कण आसमान में तैर रहे हैं। हालात ये हैं कि राहगीरों को सांस लेने में दिक्कतें और आंखों में जलन आदि की समस्याएं हो रही हैं।

सोमवार 8 नवंबर सुबह 11.05 मिनट के अपडेट से पता चलता है कि आगरा में एक्यूआई 469 है और पीएम 2.5 का स्तर 520 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर पहुंच गया जो कि अब तक के सबसे खतरनाक स्तर पर रेकॉर्ड किया गया है।

पांच जोन गंभीर स्तर पर
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार आगरा के पांच जोन का एक्यूआई बेहद गंभीर स्तर पर हैं। सबसे ज्यादा खराब हालात आवास विकास के सेक्टर तीन बी के हैं यहां का एक्यूआई लेवल 474 है। इसके अलावा संजय प्लेस 471, शास्त्रीपुरम 469, मनोहरपुर 467 और ताजमहल के नजदीक शाहजहां गार्डन 466 तक पहुंंच गया है।

एसएन मेडिकल कॉलेज में बढ़ रहे मरीज
चेस्ट एंड टीबी डिमार्टमेंट के अध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार का कहना है कि बीते दिन दिनों में करीब 300 मरीज सांस और दमे की शिकायत लेकर आ चुके हैं। इनमें से 23 मरीजों की हालत गंभीर थी जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका है। इन्हें ऑक्सीजन भी देनी पड़ी है। धूल और धूएं के कारण मरीज बढ़ रहे हैं।