गाजियाबाद
दिल्ली से सटे गाजियाबाद में इस बार दिवाली पर पटाखों पर प्रतिबंध था। ना तो उसकी बिक्री कर सकते और न छोड़ सकते। इसके बावजूद शहर में दिवाली की देर रात तक खूब पटाखे लोगों ने छोड़े। इसका असर एक दिन बाद शुक्रवार को देखने को मिला।
आसमान में प्रदूषण की चादर बिछ गई। पूरे दिन इस प्रदूषण के चलते सूरज की पूरी रोशनी जमीन तक नहीं पहुंच सकी। इसका नतीजा हुआ कि वायु प्रदूषण का स्तर (एक्यूआई) गाजियाबाद में 470 के खतरनाक स्तर तक पहुंच गया। जो पिछले वर्ष दिवाली पर प्रदूषण के स्तर 448 से भी ज्यादा रहा।
2020 में लाइसेंस नहीं हुए जारी
जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश को आधार बनाकर पटाखा की बिक्री को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया। 2020 दिवाली पर कोरोना प्रोटोकॉल को देखते हुए प्रशासन ने पटाखा बिक्री करने के लाइसेंस जारी नहीं किए थे।
पूरी तरह पटाखों की बिक्री पर था बैन
वर्ष 2019 दिवाली पर प्रशासन ने ग्रीन पटाखों की बिक्री के लिए 172 लाइसेंस जारी किए थे। इस बार पूरी तरह से पटाखा की बिक्री प्रतिबंधित रही। इसके बाद भी दिवाली की रात खूब आतिशबाजी हुई।
प्रतिबंध के बावजूद शहर में पटाखा चला। यह गंभीर मामला है। बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित की गई थी, फिर कैसे इतना पटाखा चला इस मामले में पुलिस से रिपोर्ट मांगी गई है।
विपिन कुमार, एडीएम सिटी
प्रशासन के दावे हुए फेल
प्रशासन का दावा था कि शहर में किसी भी तरह के पटाखों की बिक्री चोरी-छिपे नहीं होने दी जाएगी। प्रशासन ने वैसे कई जगह छापे मारकर अवैध पटाखों को जब्त भी किया। दिल्ली और एनसीआर में पटाखों की बिक्री बैन थी। फिर कहां से पटाखे आए, इस सवाल के उठने के बाद प्रशासन के सारे दावे बेअसर दिखे।
पिछले तीन दिनों में सबसे अधिक प्रदूषण
इस बार छोटी दिवाली के दिन पटाखा नहीं छोड़ा गया था, इस कारण प्रदूषण का लेवल गाजियाबाद में उस दिन अधिक नहीं था। आसमान साफ होने के कारण लोगों को भी राहत मिली। बुधवार को एक्यूआई 254 दर्ज की गई थी। छोटी दिवाली के दिन ये बढ़कर 342 पर पहुंच गया। दिवाली की रात जो पटाखों को छोड़ने का दौर चला इससे एक्यूआई 470 तक पहुंच गया।
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