Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

वृंदावन: दिवाली बाद बदलेगा श्रीबांकेबिहारी मंदिर के दर्शन का समय, भाईदूज से शीतकालीन सेवा, जानिए कब खुलेंगे पट

दिवाली के बाद भाई दूज से ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर में शीतकालीन सेवा शुरू हो जाएगी। इसी दिन से मंदिर में दर्शन और आरती के समय में बदलाव हो जाएगा। दिवाली और उसके अगले दिन पड़वा तक ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में ग्रीष्मकालीन सेवा के अनुसार ठाकुरजी के दर्शन और सेवा का क्रम रहता है। इसके बाद दूज से मंदिर में ग्रीष्मकालीन सेवा शुरू हो जाती है। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के प्रबंधक मुनीष शर्मा ने बताया कि 6 नवंबर भाई दूज से मंदिर में दर्शन के समय में परिवर्तन हो जाएगा। उन्होंने बताया कि 6 नवंबर से प्रात:कला दर्शन खुलने का समय प्रात: 8:45 से दोपहर एक बजे तक रहेगा। शृंगार आरती प्रात: 8:55 बजे और राजभोग आरती 12:55 बजे होगी। सायंकाल दर्शन खुलने का समय 4:30 से 8:30 बजे तक होगा। शयन आरती 8:25 पर होगी। सुबह 12 से 12:30 के बीच ठाकुरजी को भोग निवेदित किया जाएगा, जबकि शाम 7:30 बजे भोग आएगा।

बांकेबिहारी मंदिर पहुंचे भक्त
शरद पूर्णिमा के साथ ही ठाकुर बांकेबिहारी महाराज के खानपान और रहन सहन में भी बदलाव आ गया। शरद पूर्णिमा से सर्दी का आगमन भी हो जाता है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए ठाकुरजी की सेवा में भी बदलाव हो गया। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत आचार्य प्रह्लाद बल्लभ गोस्वामी ने बताया कि ठाकुरजी को अब हल्की रेशमी पोशाकों के स्थान पर वेलवेट, सनील, ऊनी कपड़े की पोशाकें धारण कराई गईं हैं। ठाकुरजी को सर्दी न लगे, इसके लिए रजत जड़ित शयन शैया पर पशमीने की चादर, शेमल की रुई वाली रजाई, तकिये बिछाए जाते हैं और चांदी की सिगड़ी में अग्नि सुलगाकर गर्भगृह को गर्म रखा जाता है।

बांकेबिहारी मंदिर
ये लग रहा भोग

प्रात:काल गरमा-गरम मेवायुक्त मोहनभोग (हलुआ), पकौड़ी और केसर युक्त दूध का भोग रखा जाता है। दोपहर के राजभोग में तप्त कढ़ी, रसीली और सूखी दाल, गीली व सूखी सब्जी, नमकीन, मीठा रायता, नमकीन, मीठे, सादा चावल, मुठिया का लड्डू, पंचमेवायुक्त केसरिया विशेष दूधभात, खीर, मिस्सी, सादा फुलकियां, बेसनी पराठा, पापड़, अचार, चटनी, मुरब्बा आदि अर्पित किए जाते हैं।

बांकेबिहारी मंदिर
चार बार होती है इत्र से मालिश

सर्दियों में चार बार सुबह, दोपहर, शाम और रात को हिना, केसर, कस्तूरी के इत्र से ठाकुरजी की मालिश की जाती है। प्रतिवर्ष भाई दूज से दर्शन और आरती के समय में भी शीतकालीन परिवर्तन हो जाता है।

बांकेबिहारी मंदिर में भक्तों की भीड़
शीतकाल में सुबह 9 बजे से 1 बजे तक और संध्याकाल में 4:30 से 8:30 बजे तक ठाकुर बांकेबिहारी महाराज के दर्शन सुलभ होते हैं।  श्रीबिहारीजी की सेवा के लिए कश्मीरी केसर, कन्नौजिया इत्र, कर्नाटकी चंदन और काबुली मेवाएं प्रयोग में लाई जाती हैं।