बेरोजगारों को आसानी से अपने झांसे में लेकर रेलवे में नौकरी लगवाने के नाम पर ठगने वाले पुलिस के हत्थे चढ़े हैं। मंगलवार को लोनी में इस गैंग के 2 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। दोनों पिछले चार साल से ठगी के इस कारोबार में लगे हैं।
पुलिस का दावा है कि आरोपितों ने स्वीकार किया है कि अब तक वह 100 से अधिक लोगों को ठग चुके हैं। उनके पास से पुलिस ने फर्जी नियुक्ति पत्र, एडमिट कार्ड, रेलवे की फर्जी मुहर के अलावा कई अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं।
गैंग के लीडर की तलाश
एसपी देहात डॉ. इरज राजा ने बताया कि पकड़े गए आरोपित अनुज कुमार मूलरूप से बलाकापुरवा कुंडा प्रतापगढ़ (यूपी) का रहने वाला है और फिलहाल दिल्ली के शक्करपुर में रह रहा था। वहीं इसका दूसरा साथी संजय कुमार मूलरूप से नवाबगंज प्रयागराज (यूपी) का रहने वाला है और वर्तमान में दिल्ली के लक्ष्मी नगर की ललिता पार्क कॉलोनी में रह रहा था।
इस गैंग का लीडर प्रिंस उर्फ शिवेंद्र है। इसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस उसके कई संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है। वहीं उनके गैंग में और कितने लोग हैं इसका भी पुलिस पता लगा रही है।
ऐसे खुला ठगी का नेटवर्क
थाना प्रभारी अजय चौधरी ने बताया कि चार-पांच दिन पूर्व लोनी की खन्ना नगर कॉलोनी में रहने वाले एक युवक ने पुलिस को लिखित शिकायत दी कि कुछ लोगों ने उसे रेलवे में नौकरी दिलवाने का झांसा देकर 4 लाख रुपये ठग लिए हैं। इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर टीम बनाकर जांच शुरू की।
ठगी के शिकार युवक से ठगों का संपर्क करवाया और फर्जी ग्राहक बनाकर आरोपित अनुज से संपर्क किया। पुलिसकर्मी ने उसे बताया कि वह बेरोजगार और सरकारी नौकरी चाहता है। इस पर ठग ने उसे आश्वस्त किया कि वह उसे रेलवे में टीटीई की नौकरी दिलवा देगा, लेकिन इसके लिए 5 लाख रुपये लगेंगे। इस पर बेरोजगार बने युवक ने रुपये देने के लिए लोनी में ही उसको बुला लिया।
जैसे ही अनुज अपने साथी संजय के साथ पांच लाख रुपये लेकर पहुंचा वैसे ही पुलिस ने दोनों को दबोच लिया। उनसे सख्ती से पूछताछ करने पर उन्होंने पुलिस के सामने सारी सच्चाई उगल दी। उन्होंने लोनी के खन्ना नगर के युवक से चार लाख रुपये ठगी करने की की बात को भी स्वीकार कर लिया।
ऐसे चला रहे थे पूरा कारोबार
एसपी देहात ने बताया कि आरोपित अनुज ने बताया कि वह उनका गैंग लीडर प्रिंस और वह एक ही गांव के रहने वाले हैं और रिश्तेदार भी हैं। प्रिंस के कहने पर ही अनुज और संजय पढ़े-लिखे बेरोजगार युवकों को तलाशते और सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर वसूली करते थे।
वे रेलवे सी ग्रेड की अन्य पदों की नौकरी अलावा टीटीई व अन्य पदों के लिए 3 से 8 लाख रुपये तक की डिमांड करते थे। इसमें तय रकम का 50 फीसदी एडवांस और शेष जॉइनिंग लेटर मिलने के बाद देना तय कर लेते थे। कुछ दिनों के बाद फर्जी नियुक्ति पत्र बनाने से लेकर और फर्जी कागजी कार्रवाई अनुज करता था।
फर्जी नियुक्ति पत्र देकर कुछ दिन बाद दिल्ली जॉइनिंग के लिए भेजने का आश्वासन देते थे। पूरा पैसा मिलने के बाद वह अपना फोन और अन्य संपर्क बदल देते थे। इधर, जब ठगी का शिकार युवक पत्र लेकर रेलवे ऑफिस जाते तो उन्हें ठगी का पता चलता था।
रेलवे की वेबसाइट से छेड़छाड़ कर पास होने का रिजल्ट भी देते थे
एसपी देहात ने बताया कि ठग इतने शातिर हैं कि वह नियुक्ति पत्र देने से पहले ठगी के शिकार युवाओं को बकायदा फर्जी परीक्षा भी दिलवाते थे और उन्हें पास रिजल्ट भी देते थे। इसके लिए ठगों ने रेलवे की वेबसाइट के एक पेज को कॉपी कर उसमें एडिटिंग कर प्रिंट निकाल कर देते थे। जिससे लोगों को भरोसा हो जाता था कि उसकी नौकरी पक्की हो गई है। इसके बाद ठगों को पूरी पेमेंट कर देते थे। पुलिस पूछताछ में आरोपित अनुज ने बताया कि करीब चार साल से उन्होंने 100 से अधिक लोगों को फर्जी नियुक्ति पत्र देकर लाखों रुपये लिए हैं।
पुलिस ने बैंक खाते को कराया सीज
एडिशनल एसपी अतुल कुमार सोनकर ने बताया कि पकडे गए अनुज के बैंक खाते में लाखों रुपये मिले हैं। पुलिस ने खाते को सीज कराया है। वहीं दर्जनों लोगों के फर्जी नियुक्ति पत्र जो बरामद हुए हैं उनसे भी संपर्क किया जा रहा है।
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