उत्तर प्रदेश के कानपुर में जीका वायरस का मरीज मिलने के बाद मेरठ में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। मंडलीय सर्विलांस अधिकारी डॉ. अशोक तालियान के नेतृत्व में एक टीम आज कानपुर पहुंचकर पड़ताल करेगी। जीका वायरस का फिलहाल कोई इलाज नहीं है। ऐसे में मच्छरों से बचकर रहना ही प्रमुख उपाय है।
मंडलीय सर्विलांस अधिकारी डॉ. अशोक तालियान का कहना है कि जीका वायरस का संक्रमण भी मच्छरों के जरिए फैलता है। डेंगू, चिकनगुनिया के संवाहक एडीज प्रजाति के मच्छर हैं, जिनके काटने से इन बीमारियों के वायरस शरीर में प्रवेश करके संक्रमण फैलाते हैं।
इनमें एडीज एब्लोपिक्टस, एडीज एजेप्टी नामक मच्छर अधिक घातक होते हैं। यह मच्छर जीका वायरस से संक्रमित व्यक्ति को काटता है, तो मच्छर भी संक्रमित हो जाता है, उसके बाद जिस भी व्यक्ति को काटता है वह संक्रमित हो जाता है।
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तीन से 14 दिन में दिखते हैं लक्षण
शरीर में जीका वायरस के प्रवेश करने के तीन से 14 दिन के भीतर लक्षण दिखने लगते हैं। दवाएं खाने से बुखार न उतरे, साथ ही डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया व टायफाइड की जांच में पुष्टि न हो। व्यक्ति विदेश यात्रा अथवा जीका प्रभावित क्षेत्र से लौटा हो, तो जांच कराए।
दिन के समय काटता है यह मच्छर
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. सत्यप्रकाश ने बताया कि जीका वायरस का संवाहक एडीज एजेप्टी नामक मच्छर होता है। इसका मच्छर भी दिन के समय ही काटता है। यह वायरस गर्भवती एवं सामान्य महिलाओं के लिए अधिक घातक और खतरनाक होता है। संक्रमण होने पर वायरस गर्भ में पल रहे बच्चे के ब्रेन पर सीधे अटैक करता है।
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