यूपी बार कौंसिल ने शाहजहांपुर कोर्ट परिसर की घटना को गंभीरता से लिया है। बार कौंसिल ने राज्य सरकार से दिवंगत अधिवक्ता के परिवार लिए मुआवजे की मांग की है। साथ ही पूरे अधिवक्ता वर्ग को अदालत के अंदर व बाहर भी ऐसी सुरक्षा प्रदान करने की मांग की है, जिसका ऑफिसर ऑफ कोर्ट होने के नाते वह अधिकारी है। बार कौंसिल ने घटना के आरोपी अधिवक्ता के खिलाफ कार्रवाई भी शुरू कर दी है।
यह जानकारी यूपी बार कौंसिल के अध्यक्ष श्रीश कुमार मेहरोत्रा ने शनिवार को संवाददाताओं से बातचीत में दी। बार कौंसिल अध्यक्ष ने कहा कि घटना का दूसरा पहलू यह भी है कि मारने वाला भी अधिवक्ता था। इसे भी कौंसिल ने बड़ी गंभीरता से लिया है। हमारे पास डिसिप्लनरी पावर है कि कोई व्यावसायिक कदाचार का दोषी अधिवक्ता होता है तो हम उसका लाइसेंस निरस्त कर सकते हैं। वह प्रक्रिया हमने चालू कर दी है। एक समिति का गठन कर दिया गया है। यह समिति जांच करेगी और दोषी पाए जाने पर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि हम एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग लगातार कर रहे हैं और इस घटना के बाद इसे जल्द से जल्द लागू करने की मांग भी की है। उन्होंने कहा कि हम इस बात को मानते हैं कि हर चीज का इलाज हड़ताल नहीं होती है। इसके लिए हम वृहद स्तर पर समाज में और खासतौर से न्यायिक जगत में एक चेतना लाना चाहते हैं, जिसके लिए हम शीघ्र ही एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट पर सेमिनार बुलाना चाह रहे हैं। प्रदेश अधिवक्ता कल्याण की स्कीम में मिलने वाली डेढ़ लाख की राशि बढ़ाकर पांच लाख करने की घोषणा कर दी गई है। उम्मीद है कि जल्द ही यह घोषणा लागू करा दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि जब से बार कौंसिल बनी है, तब से लेकर अब तक लगभग सवा चार लाख अधिवक्ता बार कौंसिल से रजिस्टर्ड हुए हैं। उनमें से एक लाख 96 हजार वकीलों का वेरिफिकेशन कर उन्हें तो सीओपी सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया है। इस कार्य को हमने अजय कुमार सांगवान केस में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन करते हुए पारदर्शिता और सख्ती से किया है। इनमें से लगभग एक लाख 30 हजार प्रमाणपत्र प्रदेश के वर्तमान महाधिवक्ता की राय से जारी किए गए हैं।
पूर्व उपाध्यक्ष नगरहा की डिग्रियां वैध
यूपी बार कौंसिल के अध्यक्ष ने बताया कि पूर्व उपाध्यक्ष रह चुके देवेंद्र मिश्र नगरहा की डिग्रियां फर्जी होने की शिकायत की गई हैं और इस संबंध में हाईकोर्ट में केस भी किया गया है। शिकायत के बाद जांच कराई गई तो पता चला कि शिकायत करने वाले ने बार कौंसिल के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से नगरहा के कागजात की फ़ाइल ही गायब करा दी। इस पर देवेंद्र मिश्र नगरहा से सभी मूल प्रमाणपत्र पेश करने को कहा गया।
उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों को पारदर्शिता से और सख्ती चेक किया गया। पत्रकार वार्ता में उपस्थित जांच कमेटी में शामिल पूर्व अध्यक्ष जानकी शरण पांडेय ने बताया कि श्री नगरहा की सभी डिग्रियां वैध हैं। श्रीश मेहरोत्रा ने कहा कि जो व्यक्ति शिकायत कर रहा है, उसका वकालत का लाइसेंस निलंबित किया गया है। उसने एक सदस्य पर उंगली उठाई तो हमने सभी सदस्यों की फ़ाइल की जांच करा ली। उन्होंने कहा कि हम मर्यादा में रहते हैं, लेकिन हमारी मर्यादाओं को इस तरीके से तार-तार न किया जाए। यह मामला कोर्ट में है, वहां नगरहा तो अपना जवाब दाखिल करेंगे ही, हम भी अपना पक्ष प्रस्तुत करेंगे।
यूपी बार कौंसिल ने शाहजहांपुर कोर्ट परिसर की घटना को गंभीरता से लिया है। बार कौंसिल ने राज्य सरकार से दिवंगत अधिवक्ता के परिवार लिए मुआवजे की मांग की है। साथ ही पूरे अधिवक्ता वर्ग को अदालत के अंदर व बाहर भी ऐसी सुरक्षा प्रदान करने की मांग की है, जिसका ऑफिसर ऑफ कोर्ट होने के नाते वह अधिकारी है। बार कौंसिल ने घटना के आरोपी अधिवक्ता के खिलाफ कार्रवाई भी शुरू कर दी है।
यह जानकारी यूपी बार कौंसिल के अध्यक्ष श्रीश कुमार मेहरोत्रा ने शनिवार को संवाददाताओं से बातचीत में दी। बार कौंसिल अध्यक्ष ने कहा कि घटना का दूसरा पहलू यह भी है कि मारने वाला भी अधिवक्ता था। इसे भी कौंसिल ने बड़ी गंभीरता से लिया है। हमारे पास डिसिप्लनरी पावर है कि कोई व्यावसायिक कदाचार का दोषी अधिवक्ता होता है तो हम उसका लाइसेंस निरस्त कर सकते हैं। वह प्रक्रिया हमने चालू कर दी है। एक समिति का गठन कर दिया गया है। यह समिति जांच करेगी और दोषी पाए जाने पर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि हम एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग लगातार कर रहे हैं और इस घटना के बाद इसे जल्द से जल्द लागू करने की मांग भी की है। उन्होंने कहा कि हम इस बात को मानते हैं कि हर चीज का इलाज हड़ताल नहीं होती है। इसके लिए हम वृहद स्तर पर समाज में और खासतौर से न्यायिक जगत में एक चेतना लाना चाहते हैं, जिसके लिए हम शीघ्र ही एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट पर सेमिनार बुलाना चाह रहे हैं। प्रदेश अधिवक्ता कल्याण की स्कीम में मिलने वाली डेढ़ लाख की राशि बढ़ाकर पांच लाख करने की घोषणा कर दी गई है। उम्मीद है कि जल्द ही यह घोषणा लागू करा दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि जब से बार कौंसिल बनी है, तब से लेकर अब तक लगभग सवा चार लाख अधिवक्ता बार कौंसिल से रजिस्टर्ड हुए हैं। उनमें से एक लाख 96 हजार वकीलों का वेरिफिकेशन कर उन्हें तो सीओपी सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया है। इस कार्य को हमने अजय कुमार सांगवान केस में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन करते हुए पारदर्शिता और सख्ती से किया है। इनमें से लगभग एक लाख 30 हजार प्रमाणपत्र प्रदेश के वर्तमान महाधिवक्ता की राय से जारी किए गए हैं।
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