नोएडा
कोरोना के बाद डेंगू के बढ़ते मामले ने एक बार फिर से टेंशन बढ़ा दी है। सरकारी आंकड़े के मुताबिक, 24 घंटे में 27 नए मरीज मिलने से नोएडा-ग्रेटर नोएडा में डेंगू पीड़ितों की संख्या 250 पर पहुंच गई है। बताया जा रहा है कि यह दस साल में सबसे ज्यादा है। अस्पतालों में बेड फुल हैं और प्लेटलेट्स की मांग बढ़ती जा रही है। मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग ने 137 स्थित लॉजिक्स ब्लॉसम सोसायटी के बेसमेंट में जलजमाव होने पर बिल्डर पर 50 हजार का जुर्माना लगाया है। स्वास्थ्य विभाग अबतक 35 लोगों को नोटिस जारी कर चुका है।
रिपोर्ट के मुताबिक, नोएडा में अबतक 250 डेंगू मरीज मिल चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक डेंगू मरीजों का आंकड़ा 10 साल में सबसे अधिक है। स्वास्थ्य विभाग पांच साल से पहले के आंकड़े दिखाने में असफल है। सोमवार को जारी हुई रिपोर्ट में 13 डेंगू मरीज बढ़ने के बाद 223 डेंगू मरीज हो गए थे। इसके बाद पिछले 24 घंटे में 27 नए मरीज मिलने से संख्या 250 पहुंच गई है।
स्क्रब टाइफस का एक मरीज
वहीं स्क्रब टाइफस का भी 1 मिला है। डेंगू के 34 मरीज एक्टिव अवस्था में हैं। जानकारी के मुताबिक, अधिक डेंगू मरीज मिलने का कोई निश्चित एरिया नहीं है लेकिन कुछ ऐसे एरिया हैं जहां मरीजों की संख्या अन्य जगहों से अधिक है। इनमें बरौला, छलेरा, मामूरा, छिजारसी, चौरा गांव आदि मुख्य हैं। इन जगहों पर डेंगू के मरीज अधिक पाए जा रहे हैं। इन इलाकों में जनसंख्या घनत्व ज्यादा है। जगह जगह जलभराव भी है।
बच्चे ज्यादा हो रहे प्रभावित
250 डेंगू मरीजों में 166 बच्चे डेंगू के शिकार हो चुके हैं। बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होती है। ऐसे में उन्हें कोई भी बीमारी आसानी से पकड़ लेती है। डेंगू में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। ऐसे में बच्चों को मच्छरों से बचाना जरूरी है।
पिछले दो दिन की बारिश से बढ़ सकता डेंगू
बीते रविवार और सोमवार को बारिश से जगह जगह जलभराव हो गया है। इनमें डेंगू का लार्वा पनप सकता है। ऐसे में डेंगू के मरीज बढ़ने के आसार बने हुए हैं। जिला मलेरिया अधिकारी के मुताबिक डेंगू मिलने वाली जगहों पर फॉगिंग करवाई जा रही है। लोगों से अपील है कि घरों में जलभराव न होने दें। बुखार की समस्या होने पर डॉक्टर को दिखाएं। बुखार न ठीक हो तो डेंगू की जांच करवाएं।
दवाओं से भी प्लेटलेट्स पूरे न होने पर होता है हेमोरेजिक और शॉक सिंड्रोम
अस्पतालों के बेड डेंगू मरीजों से भरे हुए हैं। खून और प्लेटलेट्स की मांग बढ़ती जा रही है। डॉक्टरों के मुताबिक डेंगू मरीजों में शॉक और हेमोरेजिक सिंड्रोम देखने को मिल रहा है। प्लेटलेट्स तेजी से कम होने और दवाओं से भी प्लेटलेट्स पूरे न होने पर डेंगू मरीज में हेमोरेजिक और शॉक सिंड्रोम होता है।
आईएमए के प्रेसिडेंट डॉ. सुनील अवाना ने बताया कि डेंगू का बुखार तीन तरह का साधारण, शॉक और हेमोरेजिक होता है। इसमें शॉक और हेमोरेजिक बुखार सबसे खतरनाक होता है। इसमें मरीज की मौत भी हो सकती है। अस्पतालों में इस तरह के मरीज आ रहे हैं। हालांकि इनकी संख्या 1 या 2% ही है। डेंगू की शुरुआत साधारण बुखार से होती है। यह बुखार 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है। अगर बुखार कम नहीं होता है तो सेकंड स्टेज हेमोरेजिक है। इसमें एंटीबायोटिक दवा देने के साथ प्लेटलेट्स की स्थिति जांचनी पड़ती है। इसमें प्लेटलेट्स बहुत तेजी से कम होती हैं।
शॉक सिंड्रोम में मौत का खतरा
डॉक्टरों के मुताबिक डेंगू बुखार होने के बाद एक सप्ताह बहुत महत्वपूर्ण होता है। इन दिनों मरीज का पूरा ध्यान रखने की जरूरत होती है। दवा देने के बाद भी अगर प्लेटलेट्स नहीं बढ़ते तो मरीज शॉक सिंड्रोम में चला जाता है। इसमें मल्टीपल ऑर्गन पर असर होने लगता है। ऐसे में मरीज की मौत भी हो सकती है।
शॉक वाले मरीजों को जरूरत होती है आईसीयू की
डॉ. सुनील अवाना ने बताया कि निजी अस्पतालों में 30 से 40% बेड बुखार और डेंगू के मरीजों से भरे हुए हैं। इनमें करीब 15% मरीज डेंगू के और बाकी मरीज बुखार के रहते हैं। इन 15% मरीजों में साधारण बुखार के मरीज अधिक और हेमोरेजिक और शॉक सिंड्रोम के मरीज 1 या 2% आ रहे हैं। हेमोरेजिक वाले मरीज को तुरंत प्लेटलेट्स की और शॉक वाले मरीज को तुरंत आईसीयू में रखने की जरूरत होती है।
डेंगू हेमोरेजिक के लक्षण
– नाक व मसूढ़ों से खून निकलना
– शौच या उल्टी में खून का आना
– शरीर पर छोटे या बड़े निशान होना
– डेंगू शॉक सिंड्रोम के लक्षण
– मरीज को बेचैनी महसूस होना
– तेज बुखार के बावजूद शरीर ठंडा होना
– मरीज का बीच-बीच में बेहोश होना
More Stories
Rishikesh में “अमृत कल्प” आयुर्वेद महोत्सव में 1500 चिकित्सकों ने मिलकर बनाया विश्व कीर्तिमान, जानें इस ऐतिहासिक आयोजन के बारे में
Jhansi पुलिस और एसओजी की जबरदस्त कार्रवाई: अपहृत नर्सिंग छात्रा नोएडा से सकुशल बरामद
Mainpuri में युवती की हत्या: करहल उपचुनाव के कारण सियासी घमासान, सपा और भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप