केंद्र सरकार के एक्सपर्ट पैनल ने 2 से 18 साल तक के बच्चों के लिए कोरोना की वैक्सीन ‘कोवाक्सिन’ को मंजूरी देने के लिए ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया (DCGI) से सिफारिश की है। कोवाक्सिन को तैयार करने वाली भारत बायोटेक ने डीसीजीआई को ट्रायल की रिपोर्ट्स भी सौंप दी है। अगर सबकुछ सही रहा तो जल्द ही इमरजेंसी यूज के लिए मंजूरी कोवाक्सिन को मंजूरी मिल सकती है।
ऐसे में आपके मन में भी बहुत सारे सवाल होंगे। मसलन बच्चों को लगने वाली वैक्सीन कितनी असरदार होगी? टीका लगवाने के बाद बच्चों को किस तरह की दिक्कतें आ सकती हैं? टीका कैसे लगाया जाएगा और ट्रायल में इसके क्या नतीजे रहे? आपके इन सारे सवालों का जवाब मशहूर बाल रोड विशेषज्ञ और कोवाक्सिन का ट्रायल करने वाले डॉक्टर प्रो. वीएन त्रिपाठी ने दिया है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
ट्रायल के दौरान बच्चों को उम्र के हिसाब से तीन वर्ग में बांटा गया था। पहला ग्रुप 12-18 साल तक के बच्चों का था। दूसरा 6 से 12 साल और तीसरा 2 से 6 साल तक के बच्चों का था। सबसे पहले 12 से 18 साल तक के बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल किया गया। ट्रायल में शामिल बच्चों की मॉनिटरिंग एक हफ्ते तक हुई। ठीक नतीजा मिला तो 6 से 12 साल और फिर 2 से 6 साल के बच्चों पर भी ट्रायल हुआ। देशभर में ऐसे हर ग्रुप के 175-175 बच्चों पर ट्रायल हुआ। बड़ों की तरह सभी को .5 एमएल की वैक्सीन लगाई गई और 28 दिन बाद दूसरी डोज दी गई। ट्रायल में शामिल होने वाले ज्यादातर बच्चे डॉक्टर्स के थे।
नहीं, ट्रायल के दौरान बच्चों पर किसी तरह का कोई नकारात्मक प्रभाव देखने को नहीं मिला। ट्रायल से पहले बच्चों की हर तरह की टेस्टिंग की गई थी और ट्रायल के बाद भी टेस्टिंग हुई।
वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के बाद विशेषज्ञ की टीम ने लगातार बच्चों की सेहत पर नजर बनाए रखी। दूसरी डोज लगाने से पहले बच्चों का ब्लड सैंपल लिया गया। फिर दूसरे डोज के 56 दिन, फिर 112 दिन और आखिरी में 208 दिन बाद ब्लड सैंपल लिया गया। इस दौरान ये जानने की कोशिश हुई कि कोरोनावायरस से लड़ने में वैक्सीन कितनी असरदार है? इसके नतीजे काफी अच्छे देखने को मिले। बड़ों के मुकाबले बच्चों में ज्यादा तेजी और अधिक मात्रा में एंटीबॉडी डेवलप हुई।
18 साल से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन लगवाने के बाद बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द, कमजोरी जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। बड़ों में इस तरह की समस्याएं 70% से अधिक देखी गई, लेकिन बच्चों में इस तरह की दिक्कतें कम ही देखने को मिली। 100 में 5 बच्चों को ही वैक्सीनेशन के बाद बुखार, बदन दर्द या सिर दर्द की शिकायत हुई। ज्यादातर बच्चों ने केवल इंजेक्शन वाली जगह सूजन और हल्के दर्द की शिकायत की थी।
मैं इस ट्रायल प्रक्रिया में शामिल रहा। पूरी जिम्मेदारी के साथ कह सकता हूं कि वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है। सभी लोगों को चाहिए कि जब वैक्सीनेशन की प्रक्रिया शुरू हो तो अपने बच्चों को टीका जरूरत लगवाएं। ये गेम चेंजर साबित होगा। इसकी मदद से कोरोना की तीसरी लहर को आने से आसानी से रोका जा सकेगा।
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