हाइलाइट्सलखीमपुर में हिंसा से ठीक पहले बचकर निकले बीजेपी नेता ने सुनाई आपबीतीबीजेपी नेता पवन गुप्ता की गाड़ी पर हुआ था हमला, शीशे और झंड़े तोड़े गए थेपवन ने कहा, अगर कुछ किसान मेरे परिचित न निकलते तो बचना असंभव थालखीमपुर में हुई हिंसा में 4 किसान, 3 बीजेपी नेता और एक पत्रकार की हुई मौतलखीमपुर-खीरी
लखीमपुर के तिकुनिया में रविवार को किसानों पर गाड़ी चढ़ने और बीजेपी कार्यकर्ताओं की मौत के मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है। विपक्ष के नेताओं को लखीमपुर (Lakhimpur Kheri news) आने की इजाजत मिलने के बाद बुधवार को ही राहुल गांधी और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) कांग्रेस नेताओं के साथ मृतक किसानों और पत्रकार के परिवार से आकर मिले। गुरुवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और बीएसपी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने भी लखीमपुर आकर किसानों के परिवार से मुलाकात की। इस बीच बीते तीन दिनों से केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा (Ashish Mishra news) की गिरफ्तारी के कयास लग रहे हैं, मगर अभी पुलिस ने उन्हें पूछताछ के लिए सिर्फ समन भेजा है।
हालांकि जो सवाल अब भी लोगों के जेहन में उठ रहा है, वह यह कि आखिर उस दिन वहां ऐसे हालात बने कैसे? केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र के गांव बनबीरपुर के पास इतनी भारी तादाद में प्रदर्शनकारी इकट्ठा क्यों हुए थे? ऐसे क्या हालात बने कि बीजेपी नेताओं की गाड़ी प्रदर्शनकारियों के ऊपर चढ़ गई जिसमें 4 किसान मारे गए और जवाब में उन्होंने तीन बीजेपी कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतार दिया?
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पवन गुप्ता की गाड़ी पर हुआ हमला, शीशे-झंडे तोड़े
जैसे-जैसे घटना से जुड़े वीडियो (Lakhimpur video) और चश्मदीद सामने आ रहे हैं, इन सवालों से भी पर्दा हटता जा रहा है। उस दिन घटनास्थल से बचकर निकले बीजेपी नेता और ब्लॉक प्रमुख पवन गुप्ता ने अहम खुलासे किए हैं। एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में पवन गुप्ता ने कहा, ‘मैं करीब 12 बजे वहां पहुंचा था, दंगल के कार्यक्रम में मुझे जाना था। वहां हजारों की भीड़ थी, जो काले झंडे पकड़े थे और काले कपड़े पहने थे। भाजपा मुर्दाबाद के नारे लग रहे थे। मेरी गाड़ी पर भी हमला हुआ था। उन्होंने मेरी गाड़ी का शीशा तोड़ दिया और गाड़ी पर लगे पार्टी के झंडे को भी तोड़ दिया।’
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उग्र भीड़ में मिले परिचित, तब बची जान
पवन गुप्ता की लखीमपुर की राजापुर मंडी में आढ़त भी है। उन्होंने आगे बताया, ‘तब तक वहां कुछ किसान मेरे परिचित निकल आए। उन्होंने पूछा कि भइया आप यहां कैसे आए हैं? मैंने उन्हें बताया कि दंगल के कार्यक्रम में जाना था, तो उन्होंने रास्ता बनाते हुए मुझे वहां से निकाल दिया। इसी तरह जो नेता उनके परिचित होते उन्हें निकलने दे रहे थे, बाकी वहां मौजूद भीड़ बहुत उग्र थी।’
‘अगर मेरे परिचित किसान न मिलते, तो बचना असंभव था’
उन्होंने आगे कहा, ‘अगर वहां मेरे परिचित न होते, तो मेरा बचकर निकला असंभव था। मुझसे पहले निकली अन्य गाड़ियों पर भी इसी तरह हमला किया गया था और उनके शीशे तोड़े गए थे। प्रदर्शनकारी काफी गुस्से में थे और उनका मुख्य उद्देश्य वहां भाजपा का विरोध करना था।’
‘बाहरी लग रहे थे प्रदर्शनकारी, भागता तो मुझे भी मार देते’
पवन गुप्ता ने बताया कि पहनावे से उनमें से ज्यादातर लोग लखीमपुर के नहीं लग रहे थे। जो लखीमपुर के एक-दो किसान मिले भी वे मुझे पहचानते थे और उन्हीं की वजह से मेरी जान बची। अगर मैं गाड़ी से उतरता या वहां से भागने की कोशिश करता तो भीड़ मुझे मार देती। मैं नहीं बचता।
(लखीमपुर-खीरी से संवाददाता गोपाल गिरि के इनपुट्स के साथ)
बीजेपी नेता पवन गुप्ता
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