इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकारी सेवकों के खिलाफ प्राप्त शिकायतों की जांच व उसके निस्तारण के लिए प्रदेश सरकार द्वारा जारी शासनादेशों का कड़ाई से पालन किया जाए। कोर्ट ने कहा कि प्राप्त शिकायतों पर कार्रवाई करने से पूर्व शिकायतकर्ता से यह पुष्टि की जाए कि शिकायत पर उसी के हस्ताक्षर हैं और उससे समुचित साक्ष्य लेने के बाद ही कार्रवाई शुरू की जाए।
हाईकोर्ट ने इसी के साथ आय से अधिक संपत्ति को लेकर जारी जांच के मामले में इटावा में तैनात हेड कांसटेबिल महेश कुमार पाठक की याचिका को निस्तारित करते हुए एडीजी (लोक शिकायत) पुलिस मुख्यालय, महानिदेशक लखनऊ को दो माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने दिया है।
कोर्ट ने कहा कि शिकायतों की जांच के लिए सरकार द्वारा जारी शासनादेश 9 मई 1997, 1 अगस्त 1997, 19 अप्रैल 2012 व 6 अगस्त 2016 पर विचार कर जांच को निरस्त करने के संबंध में निर्णय लिया जाए। आय से अधिक संपत्ति को लेकर याची के खिलाफ जांच डिप्टी एसपी आगरा, भ्रष्टाचार निवारण संगठन, अपराध अनुसंधान विभाग, आगरा द्वारा की जा रही है। इस जांच को याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई थी। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का तर्क था कि हाईकोर्ट के कुमदेश कुमार शर्मा केस में दिए निर्णय के आधार पर राज्य सरकार ने शासनादेश जारी कर समूह क, ख, ग, घ के सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध प्राप्त शिकायतों के निस्तारण के लिए शासनादेशों के अनुसार ही कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
अधिवक्ता का कहना था कि शासनादेशों में दी गई प्रक्रिया का पालन किए बगैर याची के खिलाफ जांच जारी है, जो गलत व गैरकानूनी है। सरकार ने शासनादेश 9 मई 1997 व 1 अगस्त 1997 जारी कर निर्देश दिया है कि शिकायतों के संबंध में कार्रवाई करने से पूर्व शिकायतकर्ता को पत्र भेज कर यह पुष्टि की जाए कि शिकायत पर उसी के हस्ताक्षर हैं और शिकायत पर संतोष हो गया है कि शिकायत तथ्यों पर आधारित है। यही नहीं, शासनादेश के मुताबिक शिकायतकर्ता से शपथ पत्र मुहैया कराने व शिकायत की पुष्टि हेतु साक्ष्य उपलब्ध कराए जाने के बाद जांच की कार्रवाई आगे बढ़ाई जाए।
याची का कहना था कि वह 1989 में नियुक्त हुआ। उसने दर्जनों एनकाउंटर किए और उसे अधिकारियों ने दर्जनों प्रशस्ति-पत्र भी दिए हैं। कहा गया था कि याची को बगैर शिकायत की कॉपी दिए उसके खिलाफ जांच की कार्रवाई शासनादेशों में विहित प्रक्रिया को दरकिनार कर की जा रही है। कोर्ट ने याची के मामले में नियमानुसार निर्णय लेने का अधिकारी को निर्देश दिया है।
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