हाइलाइट्सगाजियाबाद में पीएचसी के वॉलनटिअर्स ने कोरोना वैक्सीन की चोरीवैक्सीन चोरी कर साइट पर मजदूरों को 250 रुपये में लगाते थे टीकाकोरोना वैक्सीन की 19 वॉयल और 155 सिरिंज हुईं बरामद, मचा हड़कंपगाजियाबाद
कोरोना (Corona Latest News) से बचाव के लिए रोज दर्जनों सेंटर पर टीका लगाया जाता है। महाअभियान चलाया जा रहा है। वहीं, दूसरी ओर सेंटरों पर होने वाली भीड़ और लोगों मजबूरी का कुछ लोग फायदा उठा रहे हैं। इकोटेक-3 पुलिस ने बिसरख सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारियों के सहयोग से पैसे लेकर अवैध रूप से वैक्सीन लगाने वाले गाजियाबाद पीएचसी के एक कर्मचारी व 1 वॉलनटिअर को गिरफ्तार किया है।
कार्रवाई के दौरान एक महिला एएनएम मौके से फरार हो गई। गिरफ्तार आरोपियों के पास से वैक्सीन की 19 वॉयल व 155 सिरिंज बरामद हुई हैं। आरोपी गाजियाबाद की एक पीएचसी से बची हुई वैक्सीन चोरी कर ग्रेटर नोएडा के एरिया में लगाते थे। पुलिस जांच कर रही है कि अब तक ये लोग कितने लोगों को वैक्सीन लगा चुके हैं।
मजदूरों को पैसे लेकर लगाते थे वैक्सीन
कोतवाली प्रभारी ने बताया कि बिसरख सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारियों ने सूचना दी थी कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित खेड़ा चौहान पुर गांव में अवैध रूप से 250 रुपये लेकर गाजियाबाद बुध विहार पीएचसी सेंटर की एक महिला एएनएम व 2 कर्मचारी बिल्डर साइटों पर मजदूरी करने वाले लोगों को वैक्सीन लगा रहे हैं। इसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर गाजियाबाद बुध विहार पीएचसी सेंटर के कर्मचारी सुशील निवासी ग्रेटर नोएडा और एक वॉलिंटिअर रवि कुमार निवासी बुलंदशहर को गिरफ्तार किया। मौके से गाजियाबाद पीएचसी सेंटर की एक महिला एएनएम फरार हो गई।
कोविशील्ड और कोवैक्सीन बरामद
आरोपियों के पास से कोविशील्ड और कोवैक्सीन की 19 वॉयल और 155 सिरिंज बरामद हुई हैं। पुलिस ने आरोपियों को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया है। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे गाजियाबाद पीएचसी में जो वैक्सिन बच जाती थी उसे रख लेते थे। रविवार को वालंटिअर रवि कुमार की बताई हुई जगह पर जाकर लोगों को 250 रुपये में वैक्सीन लगाते थे। लोगों को तैयार करने का काम रवि करता था। वह मजदूरों की साइटों पर जाकर उन्हें वैक्सीन लगवाने के लिए करता था। ग्रेटर नोएडा के खेड़ा चौगानपुर गांव में 14 लोगों को वैक्सीन की डोज दे चुके हैं।
वैक्सीन लगाने के बाद नहीं देते थे सर्टिफिकेट
आरोपी वैक्सीन लगाने के बाद लोगों को सर्टिफिकेट नहीं देते थे। उन्हें आश्वासन दिया जाता था कि सेकंड डोज भी यहीं आकर लगाई जाएगी। मजदूरों को निशाना इसलिए बनाया जाता था क्योंकि वह जागरूक नहीं है। साथ ही, पुलिस भी उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लेगी। इस अवैध धंधे की वजह से वैक्सीन लगवाने के बाद भी इन लोगों का डेटा अपडेट नहीं हो रहा था।
कोरोना वैक्सीन की चोरी का मामला आया सामने
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