पंकज मिश्रा, हमीरपुर
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक छोटे से पहाड़ में बना हनुमान जी का मंदिर बुंदेलखंड और पड़ोसी राज्य में काफी प्रसिद्ध है। यह मंदिर हजारों साल के पुरा वैभव को संजोए है, जो काकुन के हनुमान जी का मंदिर के नाम से विख्यात है। मान्यता है कि मंदिर में विराजमान बजरंगबली की अलौकिक प्रतिमा में श्रद्धा भाव से मत्था टेकने से हर संकट से निजात मिलती है।
हमीरपुर जिले के मुस्करा से चरखारी मार्ग पर रिवई गांव से चार किमी की दूरी पर एक पहाड़ में काकुन के हनुमान जी का मंदिर बना है, जो आसपास के कई जिलों के अलावा पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के इलाकों में प्रसिद्ध है। यहां के साहित्यकार डॉ. भवानीदीन ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है। जिसमें दो प्रमाणिक मत उल्लेख है। पहले मत के अनुसार, बारहवीं शताब्दी में 19वें चंदेल शासक परमाल के पुत्र ब्रह्माजीत की शादी बेला से हुई थी। शादी के बाद इसी मंदिर के पास बेला के कंगन छूट गए थे। तभी से इस स्थान का नाम कंगनपुर हो गया था, लेकिन समय के साथ अब यह मंदिर काकुन के हनुमान जी के रूप में विख्यात हो गया।
बताया कि दूसरा प्रमाणिक उल्लेख चरखारी में मिले एक ताम्रपत्र से मिलता है। जिसमें शाही महाराज कालिंजराधिपति हम्मीर वर्मन ने संवत 1346 में वेदसाइधा विसाय के एक कांकड़ ग्राम को दो ब्रह्मणों को दान कर दिया था। कालांतर में ये स्थान कंगनपुर से जाना जाता था, जो अब काकुन के नाम से प्रसिद्ध है। यहां के लोकतंत्र सेनानी देवी प्रसाद गुप्ता, पूर्व प्रधान बाबूराम प्रकाश त्रिपाठी और श्रीप्रकाश शुक्ल ने बताया कि कांकुन के हनुमानजी का मंदिर बहुत ही पुराना है। इसमें स्थापित बजरंगबली की मूर्ति चमत्कारी है। मंगलवार और शनिवार को विशेष अनुष्ठान करने से श्रद्धालु हर संकट से दूर रहता है। सच्चे मन से लाल सिन्दूर, जनेऊ और बेसन के लड्डू अर्पित करने पर हनुमानजी प्रसन्न होते हैं।
पहाड़ी में बने पांच मंदिरों में स्थापित विष्णु और शिव की मूर्तियां
कांकुन के हनुमानजी के मंदिर के पास ही पहाड़ी पर पांच अन्य मंदिर बने हैं। जिनमें सूर्य, विष्णु और शिव की खंडित मूर्तियां स्थापित हैं। इन मूर्तियों के आधार पर यह स्थान चंदेल नरेश शाहिल देव के शासनकाल में पंचायततन जैसी शैली पर निर्मित दिखता है। सूर्य और विष्णु की कई फीट शिलापट पर निर्मित ऐसी ही प्रतिमाएं रहिलिया के ध्वस्त चंदेलकालीन सूर्य मंदिर में भी प्रतिष्ठित हैं। महावीर हनुमानजी के इस मंदिर का गर्भगृह और मंडप चंदेलकालीन प्रतीत होता है। मंदिर के पुजारी भगत गोपाल का कहना है कि इस मंदिर के बारे में एक ताम्रपत्र में उल्लेख है, जो यहीं पर गड़ गया है। ये स्थान बुंदेलखंड में विख्यात है।
UP: अवैध असलहा फैक्ट्री का भंडाफोड़, भारी मात्रा में असलहे और उपकरणों के साथ 2 गिरफ्तार
चरखारी नरेश ने मंदिर को दान की थी 100 एकड़ जमीन
कांकुन के हनुमानजी के मंदिर को लोग चार हजार साल पहले का बताते हैं। इसका जीर्णेद्धार 9वीं, 12वीं और 14वीं शताब्दी के आरम्भ में चंदेल शासनकाल में हुआ था। साहित्यकार डॉ. भवानीदीन के मुताबिक, मुगल सम्राट औरंगजेब भी इस मंदिर की प्रतिष्ठित मूर्ति से प्रभावित होकर सवा मन का हवन यज्ञ करवाया था। कालांतर में बुंदेलखंड शासक भी इस मंदिर पर श्रद्धा भाव रखते थे। बाद में चरखारी नरेश महाराजा मलखान सिंह ने इस हनुमानजी मंदिर को सौ एकड़ जमीन दान में दे दी थी। इसका रख-रखाव गिरि संप्रदाय के वंशज कर रहे हैं। पहाड़ी के नीचे एक तालाब है, जो इसके प्राकृतिक सौन्दर्य में चार चांद लगाता है।
More Stories
Lucknow की ‘लेडी डॉन’ ने आईएएस की पत्नी बनकर महिलाओं से ठगी की, 1.5 करोड़ रुपये हड़पे
Rishikesh में “अमृत कल्प” आयुर्वेद महोत्सव में 1500 चिकित्सकों ने मिलकर बनाया विश्व कीर्तिमान, जानें इस ऐतिहासिक आयोजन के बारे में
Jhansi पुलिस और एसओजी की जबरदस्त कार्रवाई: अपहृत नर्सिंग छात्रा नोएडा से सकुशल बरामद