अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की मौत से लोग स्तब्ध हैं। उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि और देश भर के संत प्रयागराज में जुट रहे हैं। इसको देखते हुए बाघंबरी मठ के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इस बीच महंत की मौत के मामले में पुलिस ने संदिग्धों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। उनके शिष्य आनंद गिरि को हिरासत में लेने के बाद आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज हुआ है। बताया जा रहा है कि मौत से एक दिन पहले महंत ने रस्सी मंगाई थी। ऐसे कई राज हैं जिनसे अभी पर्दा उठना बाकी है।
कपड़े सुखाने के लिए मंगाई थी रस्सी?
प्रयागराज पुलिस के मुताबिक महंत का शव रस्सी से लटका हुआ था। सूत्रों के मुताबिक तफ्तीश में यह भी पता चला है कि महंत ने एक दिन पहले ही वह रस्सी मंगाई थी, जिसके फंदे पर उनका शव लटका हुआ था। बताया जा रहा है कि उन्होंने कपड़ा सुखाने की बात कहते हुए इसे सेवकों से लाने को कहा था। फरेंसिक टीम इस रस्सी की भी जांच कर रही है। महंत के शिष्यों ने पुलिस की पूछताछ के दौरान बताया है कि उन्होंने कहा कि कपड़े सुखाने के लिए रस्सी की जरूरत है। यह भी पता चला है कि पड़ोस की एक दुकान से इस रस्सी को खरीदा गया है। इस पर मौजूद उंगलियों के निशान के सैंपल भी इकट्ठा किए गए हैं। पुलिस महंत के कमरे के बाहर लगे सीसीटीवी को भी खंगाल रही है।
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महंत नरेंद्र गिरि और शिष्य आनंद गिरि के बीच चल रहा विवाद खत्म
फरेंसिक टीम के आने से पहले शव उतारने से उठे सवाल
पुलिस साक्ष्यों और फरेंसिक जांच के जरिए तफ्तीश को आगे बढ़ा रही है लेकिन एक सवाल क्राइम सीन से छेड़छाड़ का भी है। संदिग्ध मौत या हत्या के मामलों में फरेंसिक टीम के ना पहुंचने तक किसी भी वस्तु पर हाथ नहीं लगाया जाना चाहिए। लेकिन महंत के शिष्यों ने उनके शव को फरेंसिक टीम के आने से पहले ही फंदे से उतार लिया। पुलिस के मौके पर पहुंचने से पहले अखाड़ा परिषद अध्यक्ष के शिष्य और तमाम लोग क्राइम सीन पर पहुंच चुके थे। इस दौरान सूइसाइड नोट और कमरे में मौजूद अन्य चीजों को भी हाथ लगाया गया। ऐसे में फरेंसिक जांच की विश्ववसनीयता भी सवालों के घेरे में रहेगी।
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आनंद गिरि पर खुदकुशी के लिए उकसाने का केस
उधर प्रयागराज पुलिस ने नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि के खिलाफ जॉर्ज टाउन थाना क्षेत्र में धारा 306 (खुदकुशी के लिए उकसाने) के तहत केस दर्ज किया है। आनंद गिरि के अलावा बड़े हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी और संदीप तिवारी को भी हिरासत में लिया गया है। प्रयागराज स्थित बाघंबरी गद्दी के महंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का शव सोमवार को उनके बेडरूम में पंखे से लटकता मिला था। पुलिस इसे आत्महत्या बता रही है। कमरे से 7 पेज का एक हाथ से लिखा सूइसाइड नोट भी मिला है। पुलिस का कहना है कि इसमें शिष्यों पर कई आरोप लगाए गए हैं। इनमें प्रमुख शिष्य आनंद गिरि का भी नाम है। सुसाइड नोट में मठ की संपत्ति को लेकर विवाद और आरोपों को वजह बताया गया है। कहा गया है कि, शिष्यों ने उन पर दबाव बनाया और उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जिससे वे दुखी थे।
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दोपहर बाद नहीं उठे तो शिष्यों ने तोड़ा दरवाजा
सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शव और सुसाइड नोट को अपने कब्जे में ले लिया है। आईजी के पी सिंह ने सोमवार को बताया, ‘शाम लगभग 5:25 पर उन्हें महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य बबलू से फोन पर सूचना मिली कि उन्होंने फांसी लगा ली है। गिरि दोपहर में भोजन के बाद कुछ देर आराम करते थे। जब काफी समय बीतने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला तो शिष्यों ने पहले फोन किया। फोन नहीं उठने के बाद उन्होंने दरवाजा तोड़ा तो उन्हें घटना की जानकारी हुई। महंत का शव उनके कमरे में पंखे से रस्सी के सहारे झूलता मिला। सूचना के बाद मौके पर पहुंचे अधिकारियों की मौजूदगी में पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया।’
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संपत्ति विवाद में छवि धूमिल होने की वजह से खुदकुशी!
सूइसाइड नोट हाथ से लिखा गया है। आईजी ने बताया कि नोट में महंत ने मठ की संपत्ति को लेकर विवाद के चलते अपनी छवि धूमिल होने को घटना का कारण बताया है। यह नोट बहुत मार्मिक तरीके से लिखा गया है। उसमें लिखा गया है कि, उन्होंने अपने सम्मान को लेकर कभी समझौता नहीं किया। मठ को आगे बढ़ाने में उन्होंने अपनी पूरी ताकत लगा दी और मठ की संपत्ति को बचाने और उसे बढ़ाने में अपना जीवन लगा दिया। लेकिन इसके बावजूद उनके ऊपर इल्जाम लगाए गए। नोट में जिस आनंद गिरि का जिक्र है उसे कुछ दिन पहले ही नरेंद्र गिरि ने मठ से बाहर कर दिया था। हालांकि बाद में अखाड़ा परिषद की मध्यस्थता के बाद उन्हें वापस मठ में ले लिया गया। नरेंद्र गिरि और आनंद गिरि दोनों ही निरंजनी अखाड़े से जुड़े रहे हैं।
नरेंद्र गिरि (फाइल फोटो)
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