शहर में सौ से अधिक जर्जर मकान हादसों को आमंत्रण दे रहे हैं। लोगों को जान का खतरा है। नगर निगम ने नोटिस जारी किया है फिर भी कार्रवाई लंबित है। ज्यादातर स्थानों पर मकान मालिक और किराएदारों का विवाद कार्रवाई में बाधा बना है। दो दिन से हो रही भारी बारिश के दौरान मकान गिरने से हुई मौतों के बाद प्रशासन फिर हरकत में आया है।
शहर के चौक, बताशा मंडी, नखास कोहना, कीडगंज, मुट्ठीगंज, रानी मंडी, मीरापुर सहित पुराने शहर के कई मोहल्लों में नगर निगम ने सौ से अधिक जर्जर मकान चिह्नित किए हैं। करीब पांच वर्ष में 16 जर्जर भवनों की संख्या सौ के पार हो गई, लेकिन ध्वस्तीकरण की कार्रवाई एक स्थान पर भी नहीं हुई।
जर्जर भवनों की हालत यह है कि कहीं छत लटकी या चटकी है, अधिकतर स्थानों पर दीवारें टेढ़ी हो गई हैं। जर्जरों मकानों के बरामदे डरावने हैं। दूर से इन मकानों को देखने वाले सिहर जाते हैं, लेकिन सच यह है कि लोग जान जोखिम में डालकर इन मकानों में रह रहे हैं।
गऊघाट में ढहे मकान में रहने वालों को मकान मालिक ने कई बार चेतावनी दी, लेकिन वे नहीं माने। पुलिस को नोटिस की छाया प्रति दिखाई गई। चौक, रानी मंडी, नखाखकोहना और कीडगंज के 46 मकान मालिकों को मकान स्वत: ध्वस्त कराने का नोटिस नगर निगम ने जारी किया है। साल, दो साल अब पांच साल बीतने को हैं, लेकिन न मकान मालिक माने न ही किराएदार, कार्रवाई विवाद में फंसी है।
जर्जर भवन के स्वामियों को नोटिस जारी किया गया है। विवाद के कारण कार्रवाई नहीं हो पा रही है। दोनों पक्षों को नोटिस किए गए। कहा गया है कि भवन खाली या ध्वस्त करा दें, अनहोनी हुई तो उनकी जिम्मेदारी होगी। कई मामलों में कानूनी अड़चन भी है। – सतीश कुमार, मुख्य अभियंता नगर निगम
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